ADGP वाई पूरन कुमार मौत मामला: 9 पेज का सुसाइड नोट, बड़े अफसर का नाम और गनमैन की गिरफ्तारी से उठे सवाल

🕒 बुधवार, 8 अक्टूबर 2025 | स्थान: चंडीगढ़, भारत

ADGP वाई पूरन कुमार मौत मामला: सुसाइड नोट, गनमैन की गिरफ्तारी और सिस्टम पर उठते सवाल

हरियाणा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ADGP वाई पूरन कुमार की अचानक हुई मौत ने पूरे प्रशासनिक ढांचे को हिला दिया है। चंडीगढ़ के सेक्टर 11 स्थित उनके निजी आवास पर खुद को गोली मारने की घटना ने न केवल पुलिस महकमे को स्तब्ध किया, बल्कि एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया कि क्या व्यवस्था के भीतर ईमानदारी की कोई जगह बची है? इस ADGP वाई पूरन कुमार मौत मामले में जो तथ्य सामने आ रहे हैं, वे बेहद गंभीर और चिंताजनक हैं।

मंगलवार की सुबह जब पूरन कुमार की मौत की खबर आई, तो सबसे पहले चंडीगढ़ पुलिस ने उनके घर को सील किया और फॉरेंसिक टीम ने जांच शुरू की। शुरुआती जानकारी के अनुसार, उनके कमरे से 9 पेज का सुसाइड नोट बरामद हुआ है, जिसमें एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का नाम दर्ज है। हालांकि, चंडीगढ़ की एसपी कंवरदीप कौर ने इसकी पुष्टि नहीं की, लेकिन इंकार भी नहीं किया। इससे यह स्पष्ट हो गया कि मामला बेहद संवेदनशील है और जांच एजेंसियां फिलहाल सतर्कता बरत रही हैं।

इस बीच, एक और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया — पूरन कुमार के गनमैन सुशील कुमार को दो दिन पहले ही रोहतक पुलिस ने गिरफ्तार किया था। आरोप था कि उसने एक शराब कारोबारी से दो से ढाई लाख रुपये की मंथली रिश्वत मांगी थी। पुलिस हिरासत में सुशील ने कबूल किया कि उसने यह मांग वाई पूरन कुमार के कहने पर की थी। इस बयान ने पूरे मामले को उलझा दिया है। क्या यह बयान दबाव में लिया गया था? क्या पूरन कुमार को किसी साजिश के तहत फंसाया जा रहा था?

पूरन कुमार का प्रशासनिक करियर हमेशा चर्चा में रहा। उन्होंने बीते चार वर्षों में कई बार सिस्टम की खामियों को उजागर किया। उन्होंने डीजीपी से लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त तक की शिकायतें की थीं। उन्होंने जातिगत आधार पर ट्रांसफर किए जाने के आरोप लगाए थे और कुछ आईपीएस अधिकारियों की प्रमोशन प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए थे। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि वह एक असहज अधिकारी थे, जो व्यवस्था के भीतर रहकर व्यवस्था से लड़ रहे थे।

हाल ही में उन्हें रोहतक रेंज के IG पद से हटाकर सुनारिया स्थित पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज में स्थानांतरित किया गया था। विभाग के भीतर इसे एक तरह की ‘पनीशमेंट पोस्टिंग’ माना जा रहा था। उन्होंने अब तक उस पद पर ज्वाइन नहीं किया था और कहा जा रहा है कि जिस दिन उन्होंने आत्महत्या की, उसी दिन उन्हें ज्वाइन करना था।

उनकी पत्नी एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं और उस समय मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ जापान दौरे पर थीं। यह घटना उनके लिए व्यक्तिगत रूप से भी एक गहरा आघात है। एक ऐसा अधिकारी, जिसने अपने जीवन को जनसेवा के लिए समर्पित किया, आखिरकार खुद को गोली मारने के लिए मजबूर हो गया — यह सिर्फ एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि एक संस्थागत विफलता भी है।

पूरन कुमार की मौत के बाद उनके पोस्टमार्टम की प्रक्रिया सेक्टर 16 अस्पताल में पूरी की गई। पुलिस ने उनके घर से कई अहम दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए हैं। जांच एजेंसियां अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि क्या पूरन कुमार किसी बड़े षड्यंत्र का शिकार हुए थे? क्या उनके खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार के आरोपों में कोई सच्चाई थी या यह सब उन्हें मानसिक रूप से कमजोर करने की रणनीति थी?

इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि एक वरिष्ठ अधिकारी, जो खुद को सिस्टम का सुधारक मानता था, आखिरकार क्यों टूट गया? क्या वह अकेले पड़ गए थे? क्या उनके आसपास कोई ऐसा नहीं था जो उन्हें भावनात्मक सहारा दे सके? क्या उनके खिलाफ चल रही जांचों ने उन्हें इतना दबाव में ला दिया कि उन्होंने आत्महत्या जैसा कदम उठा लिया?

उनके गनमैन की गिरफ्तारी और बयान ने इस मामले को और भी उलझा दिया है। सुशील कुमार ने पुलिस को बताया कि उसने शराब कारोबारी से मंथली मांगी थी और यह आदेश वाई पूरन कुमार का था। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह बयान सच है? क्या सुशील ने यह बयान दबाव में दिया? क्या यह किसी राजनीतिक या प्रशासनिक साजिश का हिस्सा था?

हरियाणा पुलिस और चंडीगढ़ पुलिस इस मामले की जांच कर रही हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस बयान सामने नहीं आया है। मीडिया को भी सीमित जानकारी दी जा रही है और सुसाइड नोट की सामग्री को गोपनीय रखा गया है। यह जरूरी भी है, क्योंकि इसमें अगर किसी वरिष्ठ अधिकारी का नाम है, तो जांच पूरी होने तक उसे सार्वजनिक करना उचित नहीं होगा।

पूरन कुमार की मौत ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या हमारे प्रशासनिक तंत्र में ईमानदार अधिकारियों के लिए कोई जगह बची है? क्या जो अधिकारी सिस्टम की खामियों को उजागर करते हैं, उन्हें ही निशाना बनाया जाता है? क्या भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना अब आत्मघाती कदम बन चुका है?

इस घटना ने न केवल हरियाणा पुलिस को, बल्कि पूरे देश के प्रशासनिक ढांचे को सोचने पर मजबूर कर दिया है। एक अधिकारी, जिसने अपने ही विभाग के खिलाफ आवाज उठाई, आखिरकार खुद ही चुप हो गया। लेकिन क्या उसकी आवाज अब भी गूंज रही है? क्या उसका सुसाइड नोट सिर्फ एक अंतिम बयान है या एक दस्तावेजी सबूत, जो आने वाले समय में कई चेहरों को बेनकाब करेगा?

पूरन कुमार की मौत एक चेतावनी है — उन सभी के लिए जो व्यवस्था के भीतर रहकर व्यवस्था को सुधारना चाहते हैं। यह घटना बताती है कि सिस्टम से लड़ना आसान नहीं है, और अगर आप अकेले हैं, तो यह लड़ाई जानलेवा भी हो सकती है।

अब यह देखना होगा कि चंडीगढ़ पुलिस इस मामले की जांच कैसे करती है। क्या सच्चाई सामने आएगी? क्या सुसाइड नोट की सामग्री सार्वजनिक होगी? क्या गनमैन के बयान की पुष्टि होगी या वह पलटेगा? क्या पूरन कुमार को न्याय मिलेगा — भले ही वह अब इस दुनिया में नहीं हैं?

पूरा देश इस घटना को देख रहा है, और उम्मीद कर रहा है कि जांच निष्पक्ष हो, पारदर्शी हो और सच्चाई सामने आए। क्योंकि यह सिर्फ एक अधिकारी की मौत नहीं, बल्कि एक व्यवस्था की परीक्षा है।

पूरन कुमार की मौत पर आपकी राय क्या है? नीचे कमेंट करें या हमें लिखें 👉 pawansingh@tajnews.in


External Link:
👉 चंडीगढ़ पुलिस की आधिकारिक वेबसाइट


संपादन: ठाकुर पवन सिंह | pawansingh@tajnews.in

ताज न्यूज – आईना सच का


Also Read: – हरियाणा के ADGP वाई पूरन कुमार ने दी जान — चंडीगढ़ में घर में मिले मृत, IAS पत्नी सीएम के साथ जापान दौरे पर

हरियाणा के ADGP वाई पूरन कुमार ने दी जान — चंडीगढ़ में घर में मिले मृत, IAS पत्नी सीएम के साथ जापान दौरे पर

Related Posts

🗞️ दिल्ली ब्लास्ट की जांच: NSG-NIA-FSL की मल्टी-एजेंसी छानबीन, संदिग्ध पकड़े गए, सभी कोणों से जाँच जारी

नई दिल्ली, 10 नवंबर 2025 – लाल क़िला मेट्रो स्टेशन (गेट नंबर 1) के पास हुई कार में विस्फोट की घटना के बाद NSG, NIA, Delhi Special Cell, Crime Branch…

बिहार चुनाव 2025: जनादेश की जंग में NDA और महागठबंधन आमने-सामने

📍: Tue, 11 Nov 2025 06:30 PM IST, आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का दूसरा और अंतिम चरण आज संपन्न हो गया। कुल 122 विधानसभा सीटों पर…

One thought on “ADGP वाई पूरन कुमार मौत मामला: 9 पेज का सुसाइड नोट, बड़े अफसर का नाम और गनमैन की गिरफ्तारी से उठे सवाल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *