सुप्रीम कोर्ट में पेड़ काटने के कानूनों पर सुनवाई, अगली तारीख 11 फरवरी
आगरा। ताज ट्रिपेजियम जोन में हरे पेड़ों के काटने के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट में आज हुई सुनवाई मुख्यतः पेड़ काटने के अलग-अलग कानूनों पर हुई बहस तक सीमित रही। याचिकाकर्ता आगरा के पर्यावरणविद डॉ. शरद गुप्ता ने इस दौरान टीटीजेड क्षेत्र में पेड़ों की गिनती कराने की मांग उठाई। सुप्रीम कोर्ट में इन मामलों की अगली सुनवाई अब 11 फरवरी को होगी।
सुनवाई का विवरण
आज की सुनवाई में रेलवे मालगोदाम, माथुर फॉर्म हाउस और डालमिया फॉर्म हाउस से पेड़ काटने के मामलों पर चर्चा की गई। इन तीनों स्थानों से संबंधित मामलों में डॉ. शरद गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की हुई हैं। ताज ट्रिपेजियम जोन में पेड़ों की कटाई की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताते हुए उन्होंने इसकी गिनती कराने की अपील की।
मामले की पृष्ठभूमि
इन मामलों में आगरा के गधापाड़ा स्थित रेलवे मालगोदाम परिसर से 115, दयालबाग स्थित माथुर फॉर्म हाउस से 17 और मथुरा जिले में छटीकरा-वृंदावन मार्ग पर डालमिया फॉर्म हाउस से सैकड़ों हरे पेड़ काटने की घटनाएं शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इन तीनों मामलों को सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी (सीईसी) को सौंपा था, जिसने अपनी रिपोर्ट पहले ही कोर्ट में पेश कर दी है।
कानूनी बिंदु
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एश्वर्या भाटी ने टीटीजेड में पेड़ों के काटने पर लगाए गए जुर्माने का मामला उठाते हुए कहा कि सीईसी ने प्रति पेड़ एक लाख रुपये जुर्माना लगाया है, जिसे कम कर दस हजार रुपये प्रति पेड़ किया जाना चाहिए।
इस पर डॉ. शरद गुप्ता के अधिवक्ता अंशुल गुप्ता ने रेलवे मालगोदाम मामले में सीईसी की रिपोर्ट का अभाव दर्शाते हुए कोर्ट का ध्यान आकर्षित किया। बेंच ने ऐसे मामलों की रिपोर्ट को कोर्ट में सबमिट करने की सलाह दी।
अगली सुनवाई
पेड़ काटने के कानूनों पर हुई बहस के बाद बेंच ने इन मामलों की सुनवाई के लिए अगली तारीख 11 फरवरी को निर्धारित की। आज की सुनवाई के दौरान सीईसी के सदस्य और याचिकाकर्ता डॉ. शरद गुप्ता भी कोर्ट में मौजूद रहे।