Adani मुद्दे पर ‘इंडी’ गठबंधन में फूट, TMC ने अपनाया अलग रुख
नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र 2024 (Parliament Winter Session 2024) में विपक्ष ने अदाणी और मणिपुर मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार पर जोरदार हमला बोला है। इन मुद्दों पर बीते दो दिनों से दोनों सदनों में भारी हंगामा हुआ, जिसके चलते कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी। हालांकि, अदाणी मुद्दे पर विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ में मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने इस मामले पर कांग्रेस को खरी-खरी सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि वह दूसरे “जनता से जुड़े” मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहती है।
TMC का अलग रुख
जहां कांग्रेस ने उद्योगपति गौतम अदाणी पर अमेरिका में रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के आरोपों का मुद्दा जोर-शोर से उठाया, वहीं ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने इसे प्रमुख एजेंडा बनाने से इनकार कर दिया। TMC का कहना है कि पश्चिम बंगाल को केंद्रीय फंड से वंचित किए जाने और मणिपुर की गंभीर स्थिति जैसे मुद्दे अधिक महत्वपूर्ण हैं।
‘जनता के मुद्दों’ पर TMC का फोकस
लोकसभा में TMC की उपनेता काकोली घोष दस्तीदार ने कहा, “हम ‘जनता के मुद्दों’ पर ध्यान केंद्रित करेंगे और नहीं चाहते कि केवल एक मुद्दे की वजह से संसद की कार्यवाही बाधित हो।” उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी पार्टी उन विषयों को प्राथमिकता देगी जो सीधे आम लोगों के जीवन को प्रभावित करते हैं।
कांग्रेस को मिली कड़ी प्रतिक्रिया
TMC की इस टिप्पणी ने कांग्रेस को असहज स्थिति में डाल दिया है। कांग्रेस लगातार अदाणी मुद्दे को उठाकर केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है, जबकि TMC ने इसे महत्वहीन बताते हुए अपनी प्राथमिकताओं को स्पष्ट किया है।
सदन में बढ़ा गतिरोध
अदाणी का मुद्दा बुधवार को भी लोकसभा और राज्यसभा में छाया रहा। दोनों सदनों में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने अदाणी समूह के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के मामले की जांच की मांग की। इससे कार्यवाही एक बार फिर बाधित हो गई।
क्या है TMC का उद्देश्य?
TMC का रुख यह संकेत देता है कि वह क्षेत्रीय और राज्य से जुड़े मुद्दों को प्राथमिकता देकर अपने समर्थकों के बीच अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है। पार्टी का मानना है कि केंद्रीय फंड के आवंटन और मणिपुर की अस्थिरता जैसे मुद्दे पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों के लिए ज्यादा प्रासंगिक हैं।
विपक्षी एकता पर सवाल
TMC के इस कदम ने विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ की एकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह स्पष्ट हो गया है कि अदाणी जैसे राष्ट्रीय मुद्दों पर सभी दलों का एकमत होना मुश्किल है। यह स्थिति भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है, क्योंकि विपक्ष के आपसी मतभेद उसके खिलाफ एकजुट हमलों को कमजोर कर सकते हैं।
आगे की राह
पार्टी के रुख को देखते हुए यह साफ है कि TMC संसद के इस सत्र में जनता से जुड़े मुद्दों को प्राथमिकता देकर अपने एजेंडे को स्पष्ट करना चाहती है। वहीं, कांग्रेस और अन्य दल अदाणी मुद्दे को लेकर सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति जारी रखेंगे। विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ के लिए यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि वह इन मतभेदों को कैसे सुलझाता है और आगामी सत्रों में अपनी रणनीति को बेहतर बनाता है।