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पितृपक्ष : पितरों की पूजा का महत्त्व क्या होता है

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पितृपक्ष : पितरों की पूजा का महत्त्व क्या होता है

11 जून2024, आगरा।


हिंदू धर्म में पितरों का देवताओं के समान दर्जा दिया गया है और पितरों को प्रसन्न रखना महत्वपूर्ण माना गया है।क्योंकि पित्र प्रसन्न होते हैं तो जीवन में सुख समृद्धि आती है।

हिंदू धर्म शास्त्रों में पितृपक्ष के दिनों को बहुत ही खास और महत्वपूर्ण माना गया है। कहते हैं कि पितृ पक्ष में पित्र 15 दिनों के लिए धरती पर आते हैं और ऐसे में उनका श्राद्ध व तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है।जिसके बाद तृप्त होकर वह पितृलोक में वापसी चले जाते हैं और जाने से पहले अपने परिवारजनों को आशीर्वाद देते हैं, जिस परिवार में पितरों का आशीर्वाद होता है वहाँ हमेशा खुशहाली बनी रहती है। इसलिए पितरों को प्रसन्न रखना बेहद ज़रूरी है।

2024।का पितृ पक्ष का शुरू होग ?
हर साल भाद्रपद महा की पूर्णिमा तिथि से पितृपक्ष की शुरुआत होती है और अमावस्या के दिन समापन होता है। वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल भाद्रपद पूर्णिमा तिथि 17 सितंबर 2024 को है। ऐसे में इस साल 17 सितंबर से पितृपक्ष शुरू हो रहे हैं और 2 अक्टूबर को अमावस्या के दिन समाप्त होंगे।पितृपक्ष की अमावस्या को पितृ मोक्ष अमावस्या या महालय अमावस्या कहते हैं।और तर्पण के लिए इसे बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।


पितृपक्ष का महत्त्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृपक्ष में पितरों का तर्पण करना बहुत ही फलदायी माना गया है। इस दौरान यदि तिथि के अनुसार पितरों का तर्पण किया जाए तो उनकी आत्मा को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होकरपितरों को वापिस जाते हैं।जीवन में सुख, शांति व खुशहाली के लिए पितरों का आशीर्वाद साथ होना बहुत जरूरी है, क्योंकि जब पवित्र नाराज होते हैं तो बनते कामभी बिगड़ने लगते हैं।और दुख दरिद्रता का सामना करना पड़ता है। यदि किसी को अपने पितरों की मृत्यु तिथि याद न हों तो उन्हें पित्र अमावस्या के दिन श्राद्ध अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से सभी पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।

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