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प्रियंका गांधी का चुनावी डेब्यू: 52 साल की उम्र में वायनाड से जीत और संसद में प्रवेश

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कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने 52 साल की उम्र में अपने चुनावी करियर की शानदार शुरुआत की है। उन्होंने वायनाड लोकसभा उपचुनाव में भारी जीत हासिल की, जिससे उनका राजनीति में कदम और भी मजबूत हुआ। राहुल गांधी द्वारा वायनाड सीट छोड़ने के बाद प्रियंका गांधी ने यहां चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाई और शानदार जीत दर्ज की। इस जीत के बाद प्रियंका गांधी वाड्रा आज संसद सदस्य के रूप में शपथ लेंगी। उनके साथ उनके भाई राहुल गांधी और मां सोनिया गांधी भी उपस्थित रहेंगे, जो संसद के सदस्य हैं।

प्रियंका का वायनाड से चुनावी डेब्यू न केवल उनके राजनीतिक सफर की नई शुरुआत है, बल्कि यह यह भी दिखाता है कि गांधी परिवार का राजनीति में प्रभाव अब भी मजबूत है। शपथ ग्रहण के बाद प्रियंका गांधी उन नेताओं की सूची में शामिल हो जाएंगी जिनके परिवार का एक सदस्य संसद के किसी भी सदन का सदस्य है।

प्रियंका गांधी का वायनाड से चुनावी डेब्यू

प्रियंका गांधी ने हाल ही में वायनाड लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर जबरदस्त जीत हासिल की। राहुल गांधी के वायनाड से इस्तीफा देने के बाद, उनकी बहन प्रियंका गांधी ने इस सीट से चुनावी मैदान में उतरने का निर्णय लिया। यह प्रियंका गांधी के राजनीतिक करियर का पहला चुनावी अनुभव था, और उन्होंने इसे बड़े आत्मविश्वास के साथ जीतकर समाप्त किया। प्रियंका गांधी ने माकपा के उम्मीदवार सत्यन मोकेरी को लगभग चार लाख वोटों के बड़े अंतर से हराया।

वायनाड उपचुनाव में प्रियंका गांधी की जीत ने उनके राजनीतिक करियर को एक नई दिशा दी। अब वह एक सक्रिय सांसद के रूप में संसद में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगी और इस दौरान वह अपनी राजनीतिक ताकत का एहसास भी कराएंगी। प्रियंका गांधी के इस चुनावी डेब्यू को पार्टी और उनके समर्थकों द्वारा बहुत सराहा गया है।

प्रियंका गांधी का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

प्रियंका गांधी का जन्म 12 जनवरी, 1972 को नई दिल्ली में हुआ था। उनका शुरुआती जीवन दिल्ली में ही बीता। प्रियंका ने अपनी स्कूली शिक्षा देहरादून के वेल्हम गर्ल्स स्कूल से शुरू की, लेकिन 1984 में अपनी दादी इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सुरक्षा कारणों से उनकी पढ़ाई दिल्ली के कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी स्कूल से जारी रही, जहाँ उन्होंने 1989 तक अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। इसके बाद प्रियंका ने दिल्ली विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और फिर 2010 में यूनिवर्सिटी ऑफ संडरलैंड, यूके से बौद्ध अध्ययन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा भी प्राप्त किया।

प्रियंका गांधी का व्यक्तिगत जीवन भी मीडिया में चर्चा का विषय रहा है। 1997 में उन्होंने दिल्ली के व्यवसायी रॉबर्ट वाड्रा से शादी की। दोनों के बीच 12 वर्षों की दोस्ती के बाद यह शादी हुई। प्रियंका और रॉबर्ट के दो बच्चे हैं—रेहान वाड्रा (बेटा) और मिराया वाड्रा (बेटी)। प्रियंका गांधी का परिवार हमेशा से मीडिया और राजनीति के केंद्र में रहा है, और उन्होंने निजी जीवन को हमेशा निजी रखा है।

प्रियंका गांधी का राजनीतिक करियर

प्रियंका गांधी का सक्रिय राजनीति में कदम काफी देर से पड़ा, हालांकि इससे पहले वह हमेशा अपने परिवार के सदस्यों के चुनावी अभियानों में मदद करती रही थीं। 2004 के लोकसभा चुनाव में प्रियंका ने अपनी मां सोनिया गांधी के चुनाव अभियान को संभाला और अपने भाई राहुल गांधी के चुनावी अभियान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके लिए राजनीति में कदम रखना अनिवार्य नहीं था, लेकिन फिर भी उन्होंने समय आने पर सक्रिय राजनीति में प्रवेश करने का निर्णय लिया।

23 जनवरी 2019 को प्रियंका गांधी को कांग्रेस पार्टी महासचिव नियुक्त किया गया। इसके साथ ही उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी भी बना दिया गया। इसके बाद 11 सितंबर 2020 में प्रियंका गांधी को पूरे उत्तर प्रदेश का प्रभारी महासचिव नियुक्त किया गया।

प्रियंका गांधी ने 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व किया, हालांकि इस चुनाव में पार्टी को सफलता नहीं मिल पाई। प्रियंका ने इस चुनाव में 40 प्रतिशत टिकट महिलाओं को देने का फैसला किया, और ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ अभियान को जोर-शोर से शुरू किया। इस पहल का उद्देश्य महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना था, हालांकि कांग्रेस को इस चुनाव में केवल दो सीटों पर जीत हासिल हुई।

वायनाड उपचुनाव और प्रियंका गांधी की जीत

प्रियंका गांधी का राजनीति में प्रवेश एक महत्वपूर्ण मोड़ था, और वायनाड उपचुनाव में उनकी जीत ने यह साबित किया कि वह चुनावी राजनीति में अपनी जगह बना सकती हैं। 17 जून 2024 को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रियंका गांधी के वायनाड से चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रियंका गांधी ने वायनाड और रायबरेली दोनों सीटों से चुनाव लड़ा, और दोनों सीटों पर जीत हासिल की। इसके बाद उन्होंने रायबरेली सीट को चुना और वायनाड सीट खाली हो गई। इस खाली सीट पर उपचुनाव हुआ, जिसमें प्रियंका गांधी ने बड़ी जीत दर्ज की।

वायनाड उपचुनाव में प्रियंका गांधी को 6,22,338 वोट मिले, जबकि माकपा के उम्मीदवार सत्यन मोकेरी को 2,11,407 वोट मिले। तीसरे स्थान पर भाजपा की नाव्या हरिदास रहीं, जिन्हें 1,09,939 वोट मिले। प्रियंका गांधी ने इस चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया और साबित किया कि उनका राजनीतिक भविष्य उज्जवल है।

प्रियंका गांधी का संसद में कदम

प्रियंका गांधी का संसद सदस्य के रूप में कदम एक नए अध्याय की शुरुआत है। आज जब वह संसद सदस्य के रूप में शपथ लेंगी, तो उनके साथ उनके परिवार के अन्य सदस्य भी मौजूद होंगे। यह प्रियंका गांधी के लिए एक ऐतिहासिक पल होगा, क्योंकि वह अब गांधी परिवार के उस हिस्से का हिस्सा बन जाएंगी, जिनका एक सदस्य भारतीय संसद में हमेशा से उपस्थित रहा है।

प्रियंका गांधी की शपथ लेने के बाद उनके राजनीतिक करियर को और मजबूती मिलेगी। यह उनकी मेहनत और राजनीतिक दायित्व को स्वीकार करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रियंका गांधी अब केवल एक पार्टी नेता नहीं बल्कि एक संसद सदस्य के रूप में जनता की सेवा में भी योगदान देंगी।

निष्कर्ष

प्रियंका गांधी का चुनावी डेब्यू और वायनाड में उनकी जीत ने उन्हें भारतीय राजनीति के मुख्यधारा में और अधिक मजबूत किया है। उनका संसद में कदम निश्चित रूप से गांधी परिवार की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ने वाला है। प्रियंका गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस को आगे और मजबूत करने की उम्मीद की जा रही है, और वह अपनी पार्टी के लिए और देश के लिए महत्वपूर्ण योगदान देने की दिशा में काम करेंगी।

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