आगरा के सिकंदरा योजना में स्थित होटल भावना क्लार्क इन और उसके आसपास के फ्लैट्स में रहने वाले 40 परिवारों ने भगत सिंह बघेल के खिलाफ गंभीर शिकायतें दर्ज की हैं। परिवारों का आरोप है कि भगत सिंह ने अवैध निर्माण और अनियमितताओं के जरिए उनका जीवन मुश्किल बना दिया है। भगत सिंह सभी पार्टियो को मोटा चन्दा देता है इसलिए उसपर कोई कार्यवाही नहीं होती है। होटल परिसर के अवैध गैस गोदाम मे अगर कभी भी आग लगी तो 40 परिवारों के घर बच नहीं पाएंगे, इसका जिम्मेदार कौन होगा ?
क्या हैं आरोप?
- अवैध निर्माण: होटल परिसर में अवैध गैस सिलेंडर गोदाम और सीवर ट्रीटमेंट प्लांट का संचालन।
- नक्शे में बदलाव: होटल के नक्शे में अनधिकृत परिवर्तन।
- रास्ता अवरुद्ध: सोसाइटी के सामान्य रास्ते को बंद करना।
- धमकियां: बिल्डर से शिकायत करने पर गालियां और जान से मारने की धमकियां मिलना।
आवास विकास परिषद ने किया निरीक्षण
शिकायत मिलने के बाद आवास विकास परिषद के अधिकारी शुक्रवार को होटल परिसर पहुंचे और मौके का मुआयना किया। पीड़ित परिवारों ने अधिकारियों को बताया कि भगत सिंह के अवैध कार्यों के कारण उनका रहना मुश्किल हो गया है।
अधिकारियों का आश्वासन:
निरीक्षण के बाद अधिकारियों ने अवैध निर्माण पर कार्रवाई का भरोसा दिया, लेकिन स्थानीय लोग संदेह जता रहे हैं कि ऊंची पहुंच रखने वाले भगत सिंह बघेल के खिलाफ ठोस कदम उठाना मुश्किल होगा।
मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत
स्थानीय स्तर पर कार्रवाई न होने के कारण पीड़ित परिवारों ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज करवाई है। उन्हें उम्मीद है कि प्रदेश सरकार इस मामले में हस्तक्षेप करेगी।
बिल्डर ने खारिज किए आरोप
भगत सिंह बघेल ने सभी आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि होटल परिसर में कोई अवैध निर्माण या गतिविधि नहीं हो रही है। उनका दावा है कि ये आरोप झूठे और बेबुनियाद हैं।
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भावना ग्रुप के अन्य विवाद
भावना ग्रुप के खिलाफ यह पहला मामला नहीं है। शास्त्रीपुरम की भावना अरोमा कॉलोनी में भी फ्लैट मालिकों ने अवैध निर्माण और सुविधाओं की कमी को लेकर शिकायत की है।
प्रभावित परिवारों की मांग
- न्याय: पीड़ित परिवार चाहते हैं कि बिल्डर पर सख्त कार्रवाई हो।
- धरना प्रदर्शन: यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो सोसाइटी के लोग आंदोलन करेंगे।
प्रमुख बयान
चौ. युवराज सिंह, पूर्व ब्लॉक प्रमुख:
“हमें अब न्याय चाहिए। अगर इस बार भी कार्रवाई नहीं हुई तो मुख्यमंत्री से मिलकर समाधान की मांग करेंगे।”
हरिकांत शुक्ला, कोषाध्यक्ष, सोसाइटी:
“बिल्डर की दबंगई अब सहन नहीं होगी। यदि जरूरी हुआ तो हम धरने पर बैठेंगे।”
अधिकारियों के सामने चुनौती
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आवास विकास परिषद और स्थानीय प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाते हैं। क्या पीड़ित परिवारों को न्याय मिलेगा, या यह मामला भी अन्य विवादों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा?
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