हर साल 10 सितंबर को हम विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के रूप में मनाते हैं।
10 सितंबर 2024, आगरा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर साल 7 लाख से भी ज्यादा लोगों की मृत्यु आत्महत्या के कारण होती है जो कि हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति है। 15 से 29 वर्ष आयु वर्ग के बीच यह चौथी सबसे बड़ी मृत्यु का कारण है, अतः लोगों में आत्महत्या के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए और इस गंभीर समस्या को रोकने के उपायों को प्रोत्साहित करने के लिए हर साल 10 सितंबर को हम विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के रूप में मनाते हैं।
इस वर्ष की थीम ‘चेंजिंग द नैरेटिव आन सुसाइड’ है जिसका अर्थ है ‘आत्महत्या के बारे में बातचीत को बदलना’ यह थीम लोगों को आत्महत्या और मानसिक स्मृास्थ्य पर खुलकर चर्चा करने के लिए प्रेरित करती है इस उपलक्ष्य में सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज आगरा के प्रधानाचार्य डॉ प्रशांत गुप्ता के मार्गदर्शन में मानसिक रोग विभाग में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें विभागाध्यक्ष प्रोफेसर विशाल सिन्हा ने मरीजों व उनके तीमारदारों को आत्महत्या के प्रति फैली भ्रांतियों के बारे में बताया जैसे कि आत्महत्या के बारे में बात करने से यह प्रवृत्ति बढ़ती है, केवल मानसिक बीमार लोग ही आत्महत्या करते हैं, आत्महत्या का प्रयास करने वाले लोग वास्सृव में मदद नहीं चाहते हैं इत्रादि और उन्होंने ये भी बताया कि न सिर्फ डॉक्टर बल्कि हर व्यक्ति ऐसे लोगों की मदद कर सकते हैं।
उन्होंने आत्महत्या के प्रयास के पहले व्यक्तियों में आने वाले लक्षणों जैसे कि हमेशा मरने की बात करना, अकेले रहना, मन उदास रहना, वसीयत बनाना, कीमती चीजों को बांटना, अपनी पसंदीदा चीजों में रुचि खत्म हो जाना, अपने आप को दोष देना, खुद को हानि पहुंचाना, ऑनलाइन मरने के तरीके खोजने इत्यादि के बारे में विस्तार से बताया उन्होंने यह भी बताया कि ऐसे व्यक्तियों की सिर्फ बात सुनना ही उनके लिए काफी मददगार साबित हो सकती है और भी अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की इसके उपरान्त डॉक्टर आशुतोष कुमार ने बताया कि ऐसे व्यक्ति की मदद करें उनसे बात करें उनकी परेशानी को सुने और उन्हें इलाज के लिए सलाह दें क्योंकि मानसिक बीमारियों का इलाज संभव है उन्होंने तीमारदारों को यह भी बताया कि वह कैसे अन्यू लोगों की मदद कर सकते हैं।
कार्यक्रम के दौरान तीमारदारों ने इस बात की भी शपथ ली कि वह समाज में अन्ध्र व्यक्तियों को भी जागरूक करेंगे जिससे की आत्महत्मा को रोकने में और मदद मिल सके। रेजिडेंट डॉक्टरों के द्वारा मरीजों व उनके तीमारदारों को आत्महत्या से जुड़े लक्षणो की जानकारी पम्फलेट के माध्यम से भी प्रदान किया जिसमे आत्महत्या करने से पहले आने वाले लक्षणों की जानकारी एवम ऐसे लोगों की मदद कैसे की जा सकती है, के बारे में पूर्ण जानकारी उपस्थित थी।
इस कार्यक्रम के दौरान मानसिक रोग विभाग से विभागाध्यक्ष डॉ विशाल सिन्हा, डॉ. आशुतोष कुमार, डॉ काश्यपि गर्ग, सीनियर रेजिडेंट डॉ आंचल जूनियर रेजिडेंट डॉ रघुवीर, डॉ दिलीप, डॉ विदुषी, डॉ राहुल, डॉ नियति, डॉ निधि, डॉ प्रियंका, डॉ अंकुर, नॉन पीजी रेजिडेंट डॉक्टर व इंटर्न ओ एस टी व डी टी सी में कार्यरत लोग लगभग 200 मरीज व उनके तीमारदारों ने भाग लिया और इस कार्यक्रम को सफल बनाने में मदद की।