Monday, 15 December 2025, 4:15:00 PM. Agra, Uttar Pradesh
आगरा। चिकित्सा शिक्षा (Medical Education) का क्षेत्र जितना प्रतिष्ठित है, उतना ही चुनौतीपूर्ण और तनावपूर्ण भी है। पढ़ाई का भारी दबाव और करियर की चिंता अक्सर युवा छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालती है। इसी संवेदनशीलता को समझते हुए आगरा के सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज (SNMC) ने एक सराहनीय पहल की है। सोमवार को कॉलेज प्रशासन ने एमबीबीएस की लगभग 350 छात्राओं के लिए एक विशेष ‘मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम’ (Mental Health Awareness Program) का आयोजन किया।

इस सत्र का मुख्य उद्देश्य भावी महिला चिकित्सकों को मानसिक रूप से सुदृढ़ बनाना और उन्हें तनाव प्रबंधन (Stress Management) के गुर सिखाना था, ताकि वे न केवल एक अच्छी डॉक्टर बनें, बल्कि एक स्वस्थ जीवन भी जी सकें।
‘दिमागी बुखार’ भी शरीर के बुखार जैसा, शर्म कैसी?
कार्यक्रम का संचालन स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग (Gynecology) की प्रोफेसर डॉ. रुचिका गर्ग और मनोरोग विभाग (Psychiatry) की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. कश्यपी गर्ग ने संयुक्त रूप से किया। दोनों विशेषज्ञ चिकित्सकों ने छात्राओं से सीधा संवाद स्थापित किया।
डॉ. कश्यपी गर्ग ने छात्राओं को समझाया कि मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है। उन्होंने कहा, “अक्सर हम शारीरिक बीमारियों का इलाज तो तुरंत कराते हैं, लेकिन मन की परेशानी को छिपाते हैं। अगर आपको तनाव, अवसाद या पढ़ाई का अत्यधिक दबाव महसूस हो रहा है, तो इसे सामान्य बीमारी की तरह ही समझें। मनोरोग विशेषज्ञ (Psychiatrist) से सलाह लेने में बिल्कुल भी संकोच न करें। यह कोई सामाजिक कलंक (Stigma) नहीं है।”
शैक्षणिक दबाव से निपटने की रणनीतियाँ
सत्र के दौरान डॉ. रुचिका गर्ग ने छात्राओं को शैक्षणिक दबाव (Academic Pressure) को संभालने के लिए व्यावहारिक रणनीतियाँ बताईं। उन्होंने कहा कि एमबीबीएस की पढ़ाई लंबी और कठिन होती है, लेकिन संतुलित दिनचर्या, सकारात्मक सोच और दोस्तों-परिवार के साथ बातचीत से इस दबाव को कम किया जा सकता है। उन्होंने छात्राओं को अपनी हॉबीज के लिए समय निकालने और पर्याप्त नींद लेने की भी सलाह दी।
‘मानसिक स्वास्थ्य ही जीवन का आधार’: प्राचार्य
एसएन मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य एवं डीन, डॉ. प्रशांत गुप्ता ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए एक महत्वपूर्ण संदेश दिया। उन्होंने कहा, “जीवन में चुनौतियां तो आती रहेंगी, लेकिन अगर हमारा मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) सही रहेगा, तो हम किसी भी बड़ी से बड़ी परेशानी का डटकर सामना कर सकते हैं। एक डॉक्टर के रूप में दूसरों का इलाज करने से पहले खुद स्वस्थ रहना अनिवार्य है।”
कॉलेज प्रशासन का कहना है कि इस तरह के कार्यक्रमों का उद्देश्य परिसर में एक स्वस्थ और भयमुक्त शैक्षणिक वातावरण सुनिश्चित करना है, जहाँ छात्र खुलकर अपनी बात कह सकें और बिना किसी तनाव के अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें।
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