नागपुर ब्लास्ट : अब तक नहीं निकल पाई 9 में से एक भी डेड बॉडी

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नागपुर ब्लास्ट : अब तक नहीं निकल पाई 9 में से एक भी डेड बॉडी

 

 

मुझे कुछ नहीं चाहिए, मेरी बेटी का शव दे दो’

नागपुर ब्लास्ट के बाद भड़के पिता का दर्द

अब तक नहीं निकल पाई 9 में से एक भी डेड बॉडी

 

17 दिसम्बर 2023, नागपुर। 
महाराष्ट्र के नागपुर जिले में विस्फोटक बनाने वाली एक फैक्टरी में विस्फोट होने से नौ लोगों की मौत हो गई और तीन अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए.

महाराष्ट्र के नागपुर जिले में विस्फोटक बनाने वाली एक फैक्टरी में विस्फोट होने से नौ लोगों की मौत हो गई और तीन अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. इस फैक्टरी में हुए विस्फोट में नीलकंठराव सहारे नामक व्यक्ति की बेटी की मौत हो गई. सहारे अपनी बेटी से जुड़ी जानकारी पाने के लिए फैक्टरी के सामने परेशान हाल में खड़े नजर आये. उन्होंने कहा कि बेटी की मौत के बाद जैसे उनकी पूरी दुनिया ही उजड़ गई है. सहारे की बेटी आरती (22) उन नौ लोगों में शामिल थी, जो यहां से लगभग 35 किलोमीटर दूर बाजारगांव इलाके में ‘सोलर इंडस्ट्रीज’ नामक कंपनी में रविवार सुबह हुए विस्फोट में मारे गए थे. आरती परिवार की एकमात्र कमाने वाली सदस्य थीं.

महाराष्ट्र के नागपुर जिले में विस्फोटक बनाने वाली एक फैक्टरी में रविवार को विस्फोट होने से नौ लोगों की मौत हो गई और तीन अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. आरती अपने पिता, बोलने में अक्षम मां और छोटी बहन का एकमात्र सहारा थीं. सहारे ने कहा कि वह अपनी मृत बेटी को देखने के लिए सुबह 9:30 बजे से फैक्टरी के गेट के बाहर इंतजार कर रहे हैं. परेशान पिता ने कहा, ‘‘मुझे कुछ नहीं चाहिए, बस मेरी बेटी का शव सौंप दो.’’

सूत्रों के मुताबिक, विस्फोट में मारे गए श्रमिकों के शव अभी भी परिसर के अंदर हैं. सोलर इंडस्ट्रीज के प्रवेश द्वार पर कई एम्बुलेंस तैनात हैं. स्थानीय लोगों और पीड़ितों के परिवार के सदस्यों ने इकाई के प्रवेश द्वार को घेर लिया और मांग की कि उन्हें फैक्टरी परिसर में प्रवेश करने की अनुमति दी जाए, जिससे तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो गई. इस हादसे में दो बच्चों की मां रुमिता उइके (32) की भी जान चली गई. फैक्टरी के बाहर खड़े उइके के पिता देवीदास इरपति ने कहा कि उन्हें दूसरों के माध्यम से दुर्घटना के बारे में पता चला.

विस्फोटक निर्माण इकाई के पास खैरी में रहने वाली रुमिता को रविवार को धामनगांव स्थित अपने पैतृक घर जाना था. देवीदास ने कहा कि रुमिता के दो बेटे हैं और उनका पति खेतीहर मजदूर के रूप में काम करता है. उन्होंने कहा, ‘‘हमें नहीं पता कि वे रुमिता का शव हमें कब सौंपेंगे. हम यहां उसका इंतजार कर रहे हैं.’’


 

 

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