फिर चर्चा में आगरा का डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय : अनिल दीक्षित 

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फिर चर्चा में आगरा का डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय : अनिल दीक्षित 

 

 

आगरा के डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में सनसनी और बेचैनी का आलम है। घोटालों के ज्वालामुखी की अग्नि प्रतिदिन भड़क रही है। माफिया डेविड मारियो डेनिस की नाव में अपने करियर की वैतरणी पार करने की जुगत लगाए बैठे दर्जनों मेडिकल छात्र बुरे फंस रहे हैं। और, माफिया के पंजों के निशान नई जगह मिल रहे हैं।

 

अनिल दीक्षित



छात्रों का भविष्य गढ़ने के लिए अंग्रेजी सत्ता में बने देश के पुराने विश्वविद्यालयों में से एक इस विश्वविद्यालय के बारे में कितना भी लिख दिया जाए, कम है। घोटालों के अंबार हैं। हाल ये है कि ढंग से परीक्षाएं और रिजल्ट जैसे काम न कर पाने वाली ये शिक्षण संस्था हर साल हजारों छात्रों का भविष्य अधर में लटका देती है। कोई काबिल कमान सम्हालने आ जाए, और अच्छा कार्य करने की सोचे तो ये उसे भी डंस ले, जैसा तमाम विश्वविद्यालयों में अपने बेहतरीन काम का डंका बजवाने वाले प्रोफेसर विनय कुमार पाठक के साथ हुआ। अफसर छोड़िए, शिक्षक भी लूटने में उन्नीस नहीं, और यहीं से माफिया पनपता है।

 

खैर, ताजा और चर्चित मामला एमबीबीएस और बीएएमएस जैसी मेडिकल परीक्षाओं में कॉपियां बदलकर छात्रों को पास और टॉप तक करा देने वाला है। यह वही मामला है जो प्रो. पाठक ने पकड़ा, एफआईआर कराई। और बर्र के छत्ते में हाथ डाल दिया। मामले में साजिश खुल चुकी है, दूध का दूध और पानी का पानी सामने आ रहा है। प्रो. पाठक बेदाग निकले हैं। अब शिकंजा माफिया को बार-बार यूनिवर्सिटी के काम दिलाने वाले दो शिक्षकों पर कसा है। इनमें एक परीक्षा केंद्र से जुड़ा है और दूसरा नियम विरुद्ध प्रोफेसर बना है। केंद्र वाले प्रोफेसर की तो नियुक्ति ही नियमों के खिलाफ थी।

 

फंस वो मुन्नाभाई टाइप छात्र भी गए हैं जो अपनी अक्ल से बढ़कर दौलत के दम पर डॉक्टर बनने का सपना देख रहे हैं। ये सभी छात्र कल से अगले तीन दिन प्रवर्तन निदेशालय की पूछताछ का सामना करेंगे। उनसे उनके और पूरे परिवार के बैंक खातों की डिटेल मंगाई गई है। इनमें एक ही कॉलेज के 26 मेडिकल छात्र हैं। बाकी अन्य कॉलेजों के हैं। अगले हफ्ते कुछ और शिक्षक ईडी की स्कैनिंग से गुजरने वाले हैं। विवि में खौफ इतना है कि कॉन्फ्रेंस में विदेश गए दो शिक्षकों के बारे में कहा जा रहा है कि वह देश से बाहर ही बसने की योजना बना रहे हैं। उधर, माफिया के तार फार्मेसी कॉलेज के छात्रवृति घोटाले में सामने आए हैं।

 



यानी काजल की कोठरी में पसरी कालिख में सत्य चमकने लगा है। सच हमेशा की तरह जीतने वाला है। साजिशें बेनकाब हो रही हैं।

 

 

 

अनिल दीक्षित 

( लेखक प्रख्यात पत्रकार व् शिक्षा से जुड़े मामलों के विशेष जानकार है )

 

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