📅 बुधवार, 15 अक्टूबर 2025 | रात 11:45 बजे | इंदौर, मध्य प्रदेश
इंदौर के नंदलालपुरा क्षेत्र से आई एक दर्दनाक खबर ने पूरे देश को झकझोर दिया है। बुधवार रात, 24 किन्नरों ने एक साथ ज़हर पी लिया — यह घटना न केवल एक सामूहिक विरोध का रूप थी, बल्कि समाज, कानून और प्रशासन के सामने एक कठोर सवाल भी बनकर उभरी: क्या भारत में ट्रांसजेंडर समुदाय आज भी सुरक्षित है?

🧩 घटना की पृष्ठभूमि: संपत्ति विवाद, फर्जी पत्रकार और ब्लैकमेल
इस घटना के पीछे कई परतें हैं। किन्नर समुदाय के दो प्रमुख गुट — पायल गुरु और सीमा गुरु — के बीच संपत्ति को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था। इस विवाद की जांच के लिए SIT बनाई गई थी, लेकिन संबंधित अधिकारी के ट्रांसफर के बाद जांच ठप हो गई।
इसी बीच दो फर्जी पत्रकार — पंकज जैन और अक्षय — ने समुदाय के डेरे में आना-जाना शुरू किया। आरोप है कि उन्होंने शिकायतों का हवाला देकर धमकाया, एक किन्नर के साथ दुष्कर्म किया और ₹1.5 लाख की वसूली की। तीन महीने तक यह ब्लैकमेल चलता रहा, जिससे समुदाय में भय और असुरक्षा फैल गई।
किन्नर नेहा ने कहा:
“अब किन्नर भी सुरक्षित नहीं हैं। इन अपराधियों को सजा दो।”
⚖️ कानूनी कार्रवाई: ट्रांसजेंडर प्रोटेक्शन एक्ट की धारा 18
पुलिस ने पंकज और अक्षय के खिलाफ ट्रांसजेंडर प्रोटेक्शन एक्ट की धारा 18 के तहत मामला दर्ज किया है। यह धारा ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के खिलाफ हिंसा, शोषण और भेदभाव को अपराध मानती है।
पंढरीनाथ थाने में दर्ज शिकायत के अनुसार, यह मामला केवल ब्लैकमेल का नहीं, बल्कि यौन हिंसा और आर्थिक शोषण का भी है।
🏥 स्वास्थ्य स्थिति: अस्पताल में भर्ती, दो ऑब्जर्वेशन में
सभी 24 किन्नरों को महाराजा यशवंतराव अस्पताल में भर्ती किया गया। CMHO डॉ. माधव हसानी ने बताया:
“फिनाइल पीया गया था, लेकिन हालत स्थिर है। दो को ऑब्जर्वेशन में रखा गया है।”
अस्पताल के बाहर समुदाय के अन्य सदस्य जमा हो गए। एक किन्नर ने खुद को आग लगाने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने समय रहते रोक लिया।
👮♀️ पुलिस की कार्रवाई: हिरासत और तलाश
पुलिस ने समुदाय की वरिष्ठ सदस्य सपना को हिरासत में लिया है और राजा हाशमी की तलाश जारी है। जांच इस बात पर केंद्रित है कि यह घटना गुटों के विवाद का परिणाम है या ब्लैकमेल का प्रतिरोध।
🧠 सामाजिक सवाल: क्या किन्नर समुदाय सुरक्षित है?
यह घटना केवल एक आपराधिक मामला नहीं, बल्कि एक सामाजिक चेतावनी है। ट्रांसजेंडर समुदाय आज भी कई स्तरों पर असुरक्षित महसूस करता है — कानूनी संरक्षण के बावजूद, ज़मीनी स्तर पर उन्हें न्याय, सम्मान और सुरक्षा नहीं मिल पा रही है।
📜 ट्रांसजेंडर अधिकार और भारत की स्थिति
भारत ने 2019 में Transgender Persons (Protection of Rights) Act पारित किया था, जिसमें ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को पहचान, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार में समान अधिकार देने की बात कही गई थी। लेकिन इस कानून का क्रियान्वयन अभी भी अधूरा है।
🔍 प्रशासनिक लापरवाही और जांच की बाधाएँ
- SIT का गठन हुआ लेकिन अधिकारी का ट्रांसफर होते ही जांच रुक गई
- फर्जी पत्रकारों की पहचान पहले क्यों नहीं हुई?
- ब्लैकमेल की शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
ये सवाल प्रशासन की जवाबदेही पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं।
🧭 आगे की राह: न्याय, पुनर्वास और संरक्षकता
इस घटना के बाद ज़रूरी है कि:
- पीड़ितों को मानसिक स्वास्थ्य सहायता दी जाए
- दोषियों को त्वरित न्याय मिले
- ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए संरक्षक मॉडल बनाया जाए
- फर्जी पत्रकारों और ब्लैकमेलरों पर कड़ी कार्रवाई हो
- मीडिया रिपोर्टिंग में संवेदनशीलता और गरिमा का पालन हो
📌 निष्कर्ष
इंदौर की यह घटना एक सामूहिक चीख है — न्याय की, सुरक्षा की, और गरिमा की। यह केवल एक शहर की खबर नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए चेतावनी है कि यदि हम अब भी नहीं जागे, तो समाज के सबसे संवेदनशील वर्गों को हम खो देंगे।
अब समय है कि हम केवल कानूनों की बात न करें, बल्कि उन्हें ज़मीन पर उतारें — ताकि कोई भी किन्नर, कोई भी नागरिक, कभी भी ज़हर पीने को मजबूर न हो।
संपादन: ठाकुर पवन सिंह | pawansingh@tajnews.in
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