Sun, 21 Oct 2025 04:00 PM IST, आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत।
उत्तर प्रदेश के जौनपुर में दीपावली के पर्व पर एक परिवार की खुशियां उस वक्त मातम में तब्दील हो गईं, जब उनके बेटे और ब्लिंकिट (Blinkit) डिलीवरी बॉय प्रियंक सोनकर (Priyank Sonkar) ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। हुसैनाबाद निवासी प्रियंक ने शनिवार देर रात को शहर के सिविल लाइन्स स्थित एक होटल में कमरा बुक करवाया था। रविवार की सुबह काफी देर तक जब कमरे का दरवाजा नहीं खुला, तो होटल प्रबंधन ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस की मौजूदगी में दरवाजा तोड़ने पर प्रियंक का शव पंखे से लटका मिला। यह खौफनाक कदम प्रियंक ने क्यों उठाया, इसका कोई सुसाइड नोट मौके से बरामद नहीं हुआ है। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और आवश्यक कानूनी कार्रवाई में जुट गई है। यह घटना ऑनलाइन डिलीवरी प्लेटफॉर्म पर काम करने वाले युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य और काम के दबाव जैसे गंभीर सामाजिक मुद्दों पर प्रश्नचिह्न लगाती है, जिसकी गहराई से जांच और सामाजिक विमर्श की आवश्यकता है।

जौनपुर का सिविल लाइन्स होटल: एक दुखद अंत
यह हृदय विदारक घटना जौनपुर के लाइन बाजार क्षेत्र के सिविल लाइन्स स्थित एक होटल की है। मृतक, हुसैनाबाद का रहने वाला प्रियंक सोनकर, ब्लिंकिट में डिलीवरी बॉय के तौर पर काम करता था। क्विक-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर काम करने वाले इन कर्मचारियों का जीवन अक्सर तेज गति और समय पर डिलीवरी के अत्यधिक दबाव वाला होता है। इस दबाव का प्रियंक पर क्या असर था, यह अब जांच का विषय है।
- होटल में एंट्री और चुप्पी: प्रियंक सोनकर शनिवार की देर रात होटल में कमरा बुक करवाया था। रात को कमरे में सोने गया प्रियंक रविवार की सुबह करीब दस बजे तक नहीं उठा। होटल के वेटर ने जब नाश्ता देने के लिए दरवाजा खटखटाया, तो कोई जवाब नहीं मिला। वेटर के बार-बार प्रयास के बाद भी दरवाजा न खुलने पर होटल मैनेजर को संदेह हुआ।
- पुलिस की कार्रवाई और खोजबीन: होटल मैनेजर ने तत्काल स्थानीय पुलिस को सूचना दी। पुलिस की मौजूदगी में कमरे का दरवाजा तोड़ा गया। अंदर का मंजर भयानक था—प्रियंक सोनकर का शव पंखे से लटका हुआ था। पुलिस ने कमरे की गहन तलाशी ली, लेकिन दुख की बात यह रही कि कोई सुसाइड नोट या कोई अन्य नोट बरामद नहीं हुआ। सुसाइड नोट का न मिलना इस आत्महत्या के पीछे के वास्तविक कारण को एक रहस्य बना देता है, जिससे जांच की दिशा और भी जटिल हो गई है।
प्रियंक के घर में कोहराम: अनसुलझा दर्द
युवक द्वारा होटल में फांसी लगाकर आत्महत्या करने की खबर सुनकर पुलिस ने तत्काल उसके परिजनों को सूचना दी। बेटे की मौत की खबर सुनते ही हुसैनाबाद स्थित प्रियंक के घर में कोहराम मच गया। प्रियंक के माता-पिता और अन्य परिवार वाले गहरे सदमे में हैं और उनके लिए दीपावली का उल्लास हमेशा के लिए मातम में बदल गया है।
- दो दिन पहले का गुम होना: परिजनों ने पुलिस को जानकारी दी कि प्रियंक दो दिन पहले से ही घर से कहीं चला गया था। परिवार ने उसकी काफी खोजबीन की थी, लेकिन वह कहीं नहीं मिला।
- विलाप और सवाल: विलाप करते हुए परिजनों ने कहा, “अगर वो परेशान था तो हमें बताता। बिना कुछ बताए हमें अकेला छोड़कर चला गया।” परिजनों का यह दर्दनाक बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि प्रियंक संभवतः किसी गंभीर मानसिक, आर्थिक या निजी तनाव से जूझ रहा था, जिसे उसने परिवार से साझा करना उचित नहीं समझा या संभवतः वह अपनी परेशानी को व्यक्त करने में असमर्थ था। यह घटना तेजी से शहरी होते समाज में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता और पारिवारिक संवाद की कमी जैसे मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित करती है।
‘गिग इकॉनमी’ का गहरा अंधेरा पक्ष
प्रियंक सोनकर की आत्महत्या ने एक बार फिर gig economy (अस्थायी कामगारों पर आधारित अर्थव्यवस्था) के अंधेरे पहलू को उजागर किया है। ब्लिंकिट और जोमैटो जैसे प्लेटफॉर्म्स पर काम करने वाले लाखों डिलीवरी बॉयज की जिंदगी अक्सर खुशी और तनाव के बीच झूलती रहती है।
- मिनटों की दौड़: ग्राहकों को 10 से 20 मिनट के भीतर डिलीवरी करने का अत्यधिक दबाव, खासकर त्योहारी सीज़न में, इन कर्मचारियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है। समय पर डिलीवरी न करने पर रेटिंग गिरने और आय प्रभावित होने का डर हर समय बना रहता है, जो उन्हें एक निरंतर तनावपूर्ण स्थिति में रखता है।
- आर्थिक अनिश्चितता: इन नौकरियों में आय अक्सर अनियमित और कम होती है, जो उच्च जीवनयापन लागत वाले शहरों में तनाव पैदा करती है। कर्ज, किराया और परिवार का खर्च चलाने की चिंता कई बार इतनी बढ़ जाती है कि युवा अत्यधिक दबाव में आ जाते हैं।
- सुरक्षा और बीमा का अभाव: डिलीवरी बॉयज को पारंपरिक नौकरियों की तरह सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य बीमा या भविष्य निधि का लाभ नहीं मिलता। वे हर समय एक अनिश्चित भविष्य के साथ काम करते हैं, जहाँ दुर्घटना या बीमारी की स्थिति में उनकी मदद के लिए कोई सुरक्षा जाल मौजूद नहीं होता।
- मानसिक स्वास्थ्य: काम का तनाव, खराब ट्रैफिक, खराब मौसम और ग्राहकों के खराब व्यवहार से डिलीवरी बॉयज अक्सर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का शिकार हो जाते हैं।
पुलिस जांच का विस्तृत दायरा और सामाजिक उत्तरदायित्व
फिलहाल, पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। जौनपुर पुलिस का ध्यान अब प्रियंक के जीवन के अंतिम 48 घंटों पर केंद्रित है।
- मोबाइल और संपर्क जांच: पुलिस अब प्रियंक के मोबाइल फोन रिकॉर्ड्स, कॉल डिटेल्स और मैसेज की गहन जांच करेगी ताकि यह पता लगाया जा सके कि आत्महत्या से पहले उसने किससे बात की, क्या उसे कोई धमकी मिली थी, या वह किसी कर्ज/आर्थिक विवाद में फंसा था।
- कंपनी से रिकॉर्ड: पुलिस ब्लिंकिट कंपनी से भी प्रियंक के काम के घंटे, हालिया प्रदर्शन स्कोर, उसकी आय (Incentives), और किसी भी आंतरिक शिकायत के रिकॉर्ड की मांग कर सकती है ताकि यह स्थापित किया जा सके कि क्या काम का दबाव इस त्रासदी का कारण बना।
प्रियंक सोनकर की यह दुखद मौत सिर्फ जौनपुर की एक घटना नहीं है, बल्कि यह उस चमकती हुई ‘डिजिटल इंडिया’ के अंधेरे पहलू को दर्शाती है, जहाँ तेज़ तरक्की के दबाव में कई युवा अपनी जिंदगी से हार मान रहे हैं। समाज और सरकार, दोनों को gig workers के लिए बेहतर सामाजिक और मानसिक सुरक्षा प्रदान करने पर गंभीरता से विचार करना होगा।
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संपादन: ठाकुर पवन सिंह | pawansingh@tajnews.in
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