बड़ी खबर: ‘मेरे पास पैसा नहीं, खर्च कहां से उठाऊंगा?’—आजम खान ने ठुकराई सरकार की ‘Y’ श्रेणी सुरक्षा, राजनीतिक गलियारों में हड़कंप

Sun, 21 Sep 2025 02:30 PM IST, आगरा, भारत।

रामपुर: समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री आजम खान ने, जो पिछले महीने सितंबर में 23 महीने बाद जेल से बाहर आए हैं, सरकार द्वारा दी गई ‘Y’ श्रेणी की सुरक्षा लेने से साफ इनकार कर दिया है। सरकार की तरफ से मिली सुरक्षा को ठुकराने के बाद सियासी गलियारों में हड़कंप मच गया है। आजम खान ने न सिर्फ सुरक्षा के लिखित आदेश पर सवाल उठाया है, बल्कि सबसे बड़ा मुद्दा इसके खर्च को लेकर उठाया है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि ‘Y’ श्रेणी सुरक्षा में गाड़ी और अन्य इंतजामों का खर्च व्यक्ति को खुद उठाना होता है, लेकिन ‘मैं तो मुर्गी और बकरी चोर हूँ, 21 साल की सजा भुगत रहा हूँ, मेरे पास इतनी बड़ी रकम नहीं है कि मैं यह खर्च उठा सकूँ।’ उन्होंने यह भी सवाल किया कि जब उनके विरोधियों को केंद्रीय कमांडो के साथ सुरक्षा मिली हुई है, तो उन्हें सिर्फ ‘Y’ श्रेणी क्यों दी गई है।

बड़ी खबर: 'मेरे पास पैसा नहीं, खर्च कहां से उठाऊंगा?'—आजम खान ने ठुकराई सरकार की 'Y' श्रेणी सुरक्षा, राजनीतिक गलियारों में हड़कंप

आजम खान का इनकार: लिखित आदेश और खर्च का सवाल

पूर्व मंत्री आजम खान को सरकार द्वारा ‘Y’ श्रेणी की सुरक्षा देने का प्रस्ताव मिला था, लेकिन उन्होंने इस सुरक्षा को लेने से स्पष्ट इनकार कर दिया। सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों से आजम खान ने कहा कि वे पहले जाएं और सरकार से लिखित में आदेश लेकर आएं। आजम खान का यह बयान और इनकार कई राजनीतिक सवाल खड़े करता है।

  1. खर्च वहन करने से इनकार: आजम खान का मुख्य विरोध सुरक्षा पर आने वाले खर्च को लेकर है। ‘Y’ कैटेगरी की सुरक्षा में, सुरक्षाकर्मियों के वेतन का भुगतान भले ही सरकार करती हो, लेकिन सुरक्षा में इस्तेमाल होने वाली गाड़ी और अन्य लॉजिस्टिक इंतजामों का खर्च व्यक्ति को खुद उठाना पड़ता है। खान ने अपनी वर्तमान आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए कहा कि वह इस समय इतनी बड़ी रकम वहन नहीं कर सकते।
  2. सुरक्षा पर तंज: सपा नेता आजम खान ने तंज भरे अंदाज में कहा, “मैं तो मुर्गी और बकरी चोर हूँ, 21 साल की सजा भुगत रहा हूँ, तो मुझे सुरक्षा कैसे मिल सकती है? मुझे इस पर भरोसा नहीं है।” उन्होंने अपनी छवि और वर्तमान कानूनी स्थिति पर कटाक्ष करते हुए सुरक्षा देने के सरकार के इरादों पर सवालिया निशान लगाया।
  3. विरोधियों की सुरक्षा से तुलना: उन्होंने अपनी सुरक्षा की तुलना अपने विरोधियों की सुरक्षा से करते हुए आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि उन्हें सिर्फ ‘Y’ श्रेणी की सुरक्षा दी गई है, जबकि “1 बार के एमएलए के साथ केंद्र सरकार के कमांडो चल रहे हैं।” उन्होंने मांग की कि अगर सुरक्षा देनी ही है, तो कम से कम उतनी तो होनी चाहिए, जितनी उनके विरोधियों को मिली हुई है।
सियासी गलियारों में हड़कंप: इनकार के मायने

आजम खान का ‘Y’ श्रेणी सुरक्षा ठुकराना सिर्फ एक प्रशासनिक फैसला नहीं, बल्कि गहन राजनीतिक मायने रखता है। 23 महीने जेल में रहने के बाद बाहर आए आजम खान पहले से ही अपनी कानूनी और राजनीतिक लड़ाई के केंद्र में हैं।

  • ‘विक्टिमहुड’ का संदेश: सुरक्षा ठुकराकर आजम खान जनता के बीच यह संदेश देना चाहते हैं कि वह कमजोर हैं, आर्थिक रूप से परेशान हैं, और सरकार के प्रति अविश्वास रखते हैं। यह उनकी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा हो सकता है ताकि वह खुद को उत्पीड़न का शिकार बताकर जनता की सहानुभूति हासिल कर सकें।
  • सरकार पर दबाव: लिखित आदेश मांगने और खर्च न उठा पाने का मुद्दा उठाकर उन्होंने सीधा-सीधा सरकार को असहज स्थिति में डाल दिया है। यह एक तरह का राजनीतिक दबाव है कि यदि सरकार को उनकी सुरक्षा की वास्तव में चिंता है, तो वह सुरक्षा का पूरा खर्च स्वयं वहन करे या फिर उच्च श्रेणी की सुरक्षा प्रदान करे।
  • खतरे की अनदेखी: सुरक्षा एजेंसियों द्वारा ‘Y’ श्रेणी की सुरक्षा देने का प्रस्ताव यह संकेत देता है कि उन्हें आजम खान की जान को वास्तविक खतरा महसूस होता है। हालांकि, खान का इनकार, खतरे की अनदेखी करने का एक राजनीतिक प्रदर्शन है, जो सुरक्षा पर होने वाले निजी खर्च के विरोध को अधिक महत्व देता है।
सुरक्षा श्रेणी और उससे जुड़े खर्च का विवरण

भारत में सुरक्षा श्रेणी खतरे के आकलन के आधार पर तय की जाती है और इसमें खर्च का वितरण अलग-अलग होता है।

सुरक्षा श्रेणीसुरक्षाकर्मी की संख्यासुरक्षा घेरासामान्य खर्च वहन
Y श्रेणी11 (1-2 कमांडो सहित)मोबाइल और फिक्स्डवाहन और लॉजिस्टिक खर्च व्यक्तिगत
Z श्रेणी22 (4-5 NSG/CRPF कमांडो)मजबूत मोबाइल और फिक्स्डसरकार/संगठन (अक्सर)
Z+ श्रेणी55 (10+ NSG/CRPF कमांडो)सबसे मजबूत और विस्तृतसरकार

‘Y’ श्रेणी की सुरक्षा में, व्यक्ति को अपने लिए सुरक्षा गाड़ी, उसका ईंधन और कभी-कभी सुरक्षाकर्मियों के आवास/भोजन का एक हिस्सा वहन करना पड़ता है, जो एक बड़ी मासिक रकम बन जाती है। आजम खान का तर्क है कि मौजूदा कानूनी और आर्थिक संकट में वह इतना बड़ा खर्च उठाने में असमर्थ हैं।

आगे की राह: राजनीतिक दांव और कानूनी चुनौतियाँ

आजम खान के सामने अभी भी कानूनी चुनौतियाँ मौजूद हैं। 23 महीने की जेल के बाद भी, उन पर कई मामले लंबित हैं। ऐसे में उनकी सुरक्षा एजेंसियों की चिंता जायज है। हालांकि, आजम खान ने जिस तरह से सरकार की पेशकश को ठुकराया है, उससे यह स्पष्ट है कि वह सुरक्षा के मुद्दे को भी अपनी राजनीतिक लड़ाई का हिस्सा बनाएंगे।

यह घटना उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकती है, जहाँ सुरक्षा का विषय अब खर्च और सम्मान के मुद्दे से जुड़ गया है। सपा नेता आजम खान ने इस एक बयान से न सिर्फ सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है, बल्कि अपने समर्थकों के बीच अपनी लड़ाई की भावना को भी मजबूत किया है। सरकार को अब इस मामले में कोई लिखित स्पष्टीकरण या खर्च वहन करने का कोई प्रस्ताव पेश करना पड़ सकता है ताकि इस राजनीतिक विवाद को शांत किया जा सके।

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संपादन: ठाकुर पवन सिंह | pawansingh@tajnews.in

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