आगरा: भतीजे के विवाद में ‘अकेली’ पड़ीं मेयर हेमलता दिवाकर? अब बदले सुर, बोलीं- ‘नगर निगम मेरा परिवार, मिल-बैठकर सुलझा लेंगे गलतफहमियां’

Friday, 12 December 2025, 3:30:00 PM. Agra, Uttar Pradesh

आगरा। आगरा नगर निगम में पिछले कई दिनों से चल रहा ‘महाभारत’ अब एक नए मोड़ पर आ गया है। सहायक नगर आयुक्त अशोक प्रिय गौतम और मेयर के भतीजे हर्ष दिवाकर के बीच हुए विवाद ने सियासी और प्रशासनिक पारे को चढ़ा रखा है। लेकिन, अब तक आक्रामक तेवर दिखाने वालीं मेयर हेमलता दिवाकर कुशवाहा के सुर अचानक बदल गए हैं। जो मेयर कल तक अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोले हुई थीं और मामला मुख्यमंत्री तक ले गई थीं, अब वे ‘सुलह’ की बात कर रही हैं। इसे उनकी राजनीतिक अपरिपक्वता कहा जाए या अधिकारियों की एकजुटता का दबाव, लेकिन चर्चा है कि इस लड़ाई में मेयर अब खुद को ‘अकेला’ महसूस कर रही हैं।

दूसरी तरफ, नगर निगम के कर्मचारी और अधिकारी टस से मस होने को तैयार नहीं हैं। उनका स्पष्ट कहना है कि जब तक मेयर के भतीजे हर्ष दिवाकर पर कड़ी कार्रवाई नहीं होती, उनका आंदोलन जारी रहेगा।

मेयर का यू-टर्न: ‘कोई विवाद नहीं, सिर्फ गलतफहमियां हैं’
हेमलता दिवाकर

सहायक नगर आयुक्त अशोक प्रिय गौतम को आड़े हाथों लेने वालीं मेयर ने अब अपना रुख पूरी तरह बदल लिया है। मीडिया से बातचीत में मेयर हेमलता दिवाकर ने कहा, “नगर निगम में अधिकारियों और मेरे बीच कोई विवाद नहीं है। कुछ गलतफहमियां हैं, जिन्हें साथ बैठकर दूर कर लिया जाएगा। नगर निगम के पार्षद और अधिकारी सब मेरा परिवार हैं। मैं किसी भी हालत में अपने परिवार को बिखरने नहीं दूंगी।”

यह बयान उनके पिछले बयानों से बिल्कुल उलट है। इससे पहले मेयर ने सहायक नगर आयुक्त पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे और इसे लेकर शासन से लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक शिकायत की थी। लेकिन अब उनका कहना है कि वे अधिकारियों के साथ बैठकर मामले को रफा-दफा करने के मूड में हैं। सूत्र बता रहे हैं कि अंदरखाने पड़े किसी ‘अज्ञात दबाव’ के चलते मेयर अब इस झगड़े को ठंडे बस्ते में डालना चाहती हैं।

भतीजे के बचाव में दलील: ‘सबूत हो तो मैं खुद पुलिस ले जाऊंगी’

विवाद की जड़ यानी अपने भतीजे हर्ष दिवाकर का बचाव करते हुए मेयर ने फिर से सबूतों की मांग की है। उन्होंने कहा, “जिस कार्यक्रम में मारपीट का आरोप लगाया जा रहा है, वहां सैकड़ों लोगों के मोबाइल फोन थे। मुझे अब तक घटना का कोई वीडियो या प्रूफ नहीं मिला है। हर्ष की इतनी हिम्मत कैसे हो गई कि वह मेरे अधिकारी को हाथ लगा देगा? मेरा भतीजा है, वह इस तरह की हरकत कभी नहीं कर सकता।”

मेयर ने चुनौती देते हुए कहा कि अगर कोई सबूत मिलता है, तो वह खुद हर्ष को पकड़कर पुलिस के पास ले जाएंगी। उनका आरोप है कि सहायक नगर आयुक्त ने जो गलतियां (भ्रष्टाचार) की हैं, उन्हें दबाने के लिए यह पूरा बखेड़ा खड़ा किया जा रहा है।

कर्मचारी लामबंद: मंडलायुक्त से मिले, हर्ष पर कार्रवाई की मांग

भले ही मेयर सुलह की बात कर रही हों, लेकिन नगर निगम के कर्मचारी आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। कर्मचारी नेता विनोद इलाहाबादी के नेतृत्व में कर्मचारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंडलायुक्त (कमिश्नर) शैलेंद्र कुमार सिंह को ज्ञापन सौंपा। कर्मचारियों का कहना है कि जनता के हित को देखते हुए वे हड़ताल पर नहीं हैं, लेकिन हर्ष पर कार्रवाई की मांग को लेकर उनका आंदोलन जारी रहेगा।

विनोद इलाहाबादी ने कहा, “सहमति के प्रयास किए गए थे, लेकिन वह सम्मानजनक नहीं थे, इसलिए वार्ता विफल रही। हमारी मांग है कि सहायक नगर आयुक्त अशोक प्रिय गौतम के साथ अभद्रता करने वाले को सख्त सजा मिले। जब अधिकारी ही सुरक्षित नहीं होंगे, तो कर्मचारियों में सुरक्षा का भाव कैसे आएगा?”

सियासी गलियारों में चर्चा: क्या अलग-थलग पड़ गईं मेयर?

इस पूरे प्रकरण में एक बात जो सबसे ज्यादा उभरकर आई है, वह है मेयर का ‘राजनीतिक एकाकीपन’। जहाँ अधिकारी एकजूट नजर आए, वहीं मेयर अपनी ही पार्टी के खेमे में भी अलग-थलग दिखाई दीं। सत्ता में आते ही लोकल स्तर पर बने गुटों ने इस विवाद में मेयर का खुलकर साथ नहीं दिया।

जानकारों का मानना है कि मेयर ने प्रशासनिक स्तर पर तो मोर्चा खोला ही, साथ ही राजनीतिक मोर्चा भी खोल दिया था। उन्होंने अपनी शिकायत सीधे सूबे के मुखिया सीएम योगी तक पहुंचाई थी, लेकिन अब जिस तरह से वे ‘सुलह’ और ‘परिवार’ की बात कर रही हैं, उससे साफ है कि उन्हें वह समर्थन नहीं मिला जिसकी उन्हें उम्मीद थी। अब देखना यह होगा कि मेयर अपनी ‘क्लीनचिट’ से अधिकारियों को कैसे मना पाती हैं और क्या कर्मचारी बिना कार्रवाई के शांत होंगे?

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