4 नवंबर 2024, दिल्ली।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने वक्फ (संशोधन) विधेयक के खिलाफ अपने अभियान को तेज किया है। जमीयत ने टीडीपी के चंद्रबाबू नायडू व जेडीयू के नीतीश कुमार से मुसलमानों की भावनाओं का ध्यान रखने की अपील की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर बिल पास हुआ तो एनडीए की सरकार चलाने वाली ‘बैसाखियां’ भी जिम्मेदार होंगी।
- जमीयत ने वक्फ (संशोधन) विधेयक के खिलाफ तेज किया अभियान
- नीतीश, चंद्रबाबू से मुसलमानों की भावनाओं पर ध्यान देने की गुजारिश
- कहा विधेयक पारित हुआ ते जेडीयू, टीडीपी जिम्मेदारी से बच नहीं पाएंगे
जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एएम) ने वक्फ (संशोधन) विधेयक के खिलाफ अपने अभियान को तेज कर दिया है। जमीयत ने टीडीपी के चंद्रबाबू नायडू और जनता दल (यूनाइटेड) के नीतीश कुमार से इस मामले में मुसलमानों की भावनाओं पर ध्यान देने की गुजारिश की है। जमीयत ने कहा कि एनडीए में शामिल जो दल खुद को धर्मनिरपेक्ष बताते हैं, उन्हें इस ‘खतरनाक’ विधेयक के समर्थन से दूर रहना चाहिए। अब देखना है कि क्या टीडीपी और जेडीयू जमीयत की अपील पर क्या कदम उठाती हैं। हालांकि, टीडीपी उपाध्यक्ष के बयान के बाद से इस विधेयक के पारित होने को लेकर सवाल उठने शुरू हो गए हैं।
दो बैसाखियों पर चल रही एनडीए सरकार
मुस्लिम संगठन ने यह भी कहा कि अगर विधेयक पारित हुआ तो जिन दो ‘बैसाखियों’ (टीडीपी और जेडीयू) पर केंद्र में बीजेपी नीत सरकार चल रही है, वे जिम्मेदारी से बच नहीं पाएंगी। उन्होंने कहा कि यह सरकार दो ‘बैसाखियों’ पर टिकी है – एक मज़बूत ‘बैसाखी’ चंद्रबाबू हैं और दूसरे बिहार के नीतीश कुमार हैं। मैंने उन्हें (नायडू को) आमंत्रित किया था, उन्होंने माफी मांगी लेकिन अपनी पार्टी के उपाध्यक्ष नवाब जान को भेज दिया। मैं इसे सकारात्मक रूप से देखता हूं क्योंकि वह यहां एकत्रित लोगों की भावनाओं को व्यक्त करेंगे।
सबको मिलकर वक्फ संशोधन विधेयक को पारित होने से रोकना चाहिए। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं तेदेपा प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ऐसे इंसान हैं, जो मुसलमानों के हितों को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी विधेयक को पारित नहीं होने देंगे।
नवाब जान, टीडीपी उपाध्यक्ष, आंध्र प्रदेश यूनिट
जमीयत को मिला था आश्वासन
मदनी ने कहा कि स्वतंत्रता से पूर्व कांग्रेस के तत्कालीन नेताओं – मोतीलाल नेहरू और जहवारलाल नेहरू – ने जमीयत को आश्वासन दिया था कि आजादी के बाद मुल्क धर्मनिरपेक्ष रहेगा तथा मुसलमानों के धार्मिक एवं सांस्कृतिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा, लेकिन उत्तराखंड में भाजपा की सरकार, समान नागरिक संहिता लेकर आई । उन्होंने कहा कि इसका मकसद मुसलमानों को उनके मजहब से दूर करना तथा सरकार निजी मामलों को लेकर जो कानून बनाए, उनका पालन कराना है।
वक्फ की जमीन हड़पने की साजिश?
81 वर्षीय मदनी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वक्फ की ज़मीन को हड़पने की कोशिश की जा रही है। मदनी ने कहा कि दिल्ली में बहुत सारी मस्जिदें हैं, जिनमें से कुछ 400-500 साल पुरानी हैं…भारत में एक वर्ग है जो इन मस्जिदों पर कब्ज़ा करना चाहता है…500 साल पुराने दस्तावेज़ कौन पेश कर सकता है? कानून कहता है कि वक्फ की जमीन पर बनी कोई भी मस्जिद वास्तव में वक्फ है। मदनी ने कहा कि अगर मुसलमानों की भावनाओं की अनदेखी करते हुए वक्फ विधेयक पारित किया जाता है तो इसके लिए केंद्र सरकार का समर्थन कर रही ‘बैसाखियां’ भी जिम्मेदारी होंगी।
टीडीपी नेता के बयान से सवाल
केंद्र की एनडीए सरकार में अहम सहयोगी टीडीपी की आंध्र प्रदेश इकाई के उपाध्यक्ष नवाब जान ने कहा कि सबको मिलकर वक्फ संशोधन विधेयक को पारित होने से रोकना चाहिए। नवाब जान ने रविवार को इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एएम समूह) की ओर से आयोजित ‘संविधान बचाओ सम्मेलन’ को संबोधित कर रहे थे।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं तेदेपा प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ऐसे इंसान हैं, जो मुसलमानों के हितों को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी विधेयक को पारित नहीं होने देंगे। तेदेपा नेता ने दावा किया कि वक्फ संशोधन विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजना भी नायडू की वजह से मुमकिन हुआ और उन्होंने फिलहाल इस विधेयक को पारित होने से रुकवा दिया है।