🕒 बुधवार, 8 अक्टूबर 2025 | Updated at: दोपहर 01:21 बजे IST | रामपुर, उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक भावनात्मक क्षण उस समय सामने आया जब समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने आजम खान से उनकी रिहाई के 15 दिन बाद पहली बार मुलाकात की। यह मुलाकात सिर्फ दो नेताओं के बीच नहीं थी — यह एक संकेत थी, एक संदेश था, और शायद एक सुलह की शुरुआत भी।
Rampur News: अखिलेश यादव और आजम खान की पहली मुलाकात बनी चर्चा का विषय

बुधवार सुबह अखिलेश यादव लखनऊ से निजी विमान से रवाना हुए और बरेली एयरपोर्ट होते हुए दोपहर 12:45 बजे रामपुर की जौहर यूनिवर्सिटी के हेलीपैड पर पहुंचे। यहां आजम खान ने खुद उनका स्वागत किया, गले लगाया और नम आंखों के साथ उन्हें अपनी कार में बैठाया।
दोनों नेता एक ही कार में बैठकर आजम खान के घर पहुंचे। रास्ते भर दोनों के बीच बातचीत होती रही। घर पहुंचने पर अखिलेश ने आजम का हाथ थामकर उन्हें अंदर ले गए — यह दृश्य कार्यकर्ताओं के लिए भावनात्मक और ऐतिहासिक बन गया।
मुलाकात से पहले रखी गई थी शर्त
यह मुलाकात इसलिए भी खास थी क्योंकि आजम खान ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वह अखिलेश यादव से अकेले मिलेंगे — परिवार का कोई अन्य सदस्य इस मुलाकात में शामिल नहीं होगा। माना जा रहा है कि आजम खान को कुछ मुद्दों पर अखिलेश से नाराजगी रही है, और यह मुलाकात उस नाराजगी को दूर करने का प्रयास हो सकती है।
सपा कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ और सुरक्षा इंतजाम
आजम खान के घर के बाहर सपा कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ मौजूद थी। पुलिस ने मीडिया और अन्य नेताओं को घर से कुछ दूरी पर बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया। घर के अंदर सिर्फ 12 लोग मौजूद थे — यह मुलाकात पूरी तरह निजी और सीमित रही।
भावनात्मक क्षण और मुलायम सिंह की याद
मुलाकात के दौरान आजम खान ने मुलायम सिंह यादव को याद करते हुए कहा, “मैं जहां उंगली रखता, नेताजी वहां साइन करते थे।” यह बयान दर्शाता है कि आजम खान पार्टी के भीतर अपने पुराने संबंधों और सम्मान को फिर से स्थापित करना चाहते हैं।
अखिलेश यादव ने भी कहा, “आजम खान हमारी पार्टी के दरख्त हैं — इनकी बात ही कुछ और है।” यह बयान न सिर्फ सम्मान का प्रतीक था, बल्कि एक राजनीतिक संकेत भी।
जेल से रिहाई और पुराने बयान
आजम खान 23 सितंबर को जेल से रिहा हुए थे, लेकिन उस समय अखिलेश यादव उन्हें लेने नहीं पहुंचे थे। तब आजम ने कहा था, “हम कोई बड़े नेता नहीं हैं। अगर बड़े नेता होते, तो बड़ा नेता लेने आता। बड़ा, बड़े को लेने आता है।” यह बयान उस समय चर्चा में रहा था और आज की मुलाकात को उसी संदर्भ में देखा जा रहा है।
रामपुर की यह मुलाकात सिर्फ एक राजनीतिक घटना नहीं थी — यह एक भावनात्मक पुनर्मिलन था। आजम खान और अखिलेश यादव के बीच की यह बातचीत आने वाले दिनों में समाजवादी पार्टी की दिशा और रणनीति को प्रभावित कर सकती है।
क्या यह नाराजगी का अंत है या एक नई शुरुआत? यह आने वाला समय बताएगा।
संपादन: ठाकुर पवन सिंह | pawansingh@tajnews.in
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