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ईद उल अजहा की नमाज परंपरागत रूप से अदा कराई गयी

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ईद उल अजहा की नमाज परंपरागत रूप से अदा कराई गयी

17 जून 2024, आगरा। 


अकबरी दौर की यादगार शाही ईदगाह में शहर मुफ्ती हजरत मौलाना मजदुल कुद्दूस खुबैब रूमी साहब ने परंपरागत रूप से ईद उल अजहा की नमाज अदा कराई। इस तारीखी ईदगाह में मौजूदा शहर मुफ्ती हजरत मौलाना खुबैब रूमी साहब लगभग 15 वर्षों से लगातार ईदैन की नमाजे़ं अदा करा रहे हैं। उनसे पहले उनके वालिद हजरत मौलाना अब्दुल कुद्दूस रूमी साहब आगरा के शहर मुफ्ती रहे और तकरीबन 40 साल यहां ईद की नमाज पढ़ाई।


नमाज के बाद आपने हस्बे दस्तूर खुत्बा दिया
इस अवसर पर आपने मुल्क में अमन व सलामती की दुआ के साथ ही आगरा के अवाम से यह सवाल भी किया कि इस ईदगाह में मौजूद लोगों में से अगर कोई एक शख्स भी उनको शहर मुफ्ती नहीं देखना चाहता या उनके पीछे नमाज नहीं पढ़ना चाहता तो वह अभी इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं।लेकिन खचाखच भारी ईदगाह में से एक भी व्यक्ति ऐसा खड़ा नहीं हुआ। इस पर मुफ्ती साहब ने इस ईदगाह की देखभाल पर मामूर इस्लामिया लोकल एजेंसी को डुप्लीकेट इस्लामिया लोकल एजेंसी करार देते हुए सवाल किया कि फिर इस डुप्लीकेट इस्लामिया लोकल एजेंसी के नाम निहाद सदर को किसने इख़तियार दिया कि वह नए शहर मुफ्तियों का तक़र्रुर करता फिरे और बाक़ायदा तरीके से पहले से मौजूद शहर मुफ्ती से बद जुबानी करे, बदकलामी करे, बेहूदा बातें करे, बदतमीजी करे। यहां तक की 14 माह से उनकी तनख्वाह भी अदा न करे। उन्होंने कहा कि डुप्लीकेट इस्लामिया लोकल एजेंसी का नाम निहाद सदर एक तरफ यह कहता फिर रहा है कि इस शहर में शहर मुफ्ती की जरूरत ही क्या है? और दूसरी तरफ कुरैशी मुफ्ती, पठान मुफ्ती, अंसारी मुफ्ती, देवबंदी मुफ्ती, बरेलवी मुफ्ती वगैरा चार चार शहर मुफ्ती बनाकर शहर को फिरका परस्ती और नफरत की आग में झोंकने का काम कर रहा है और आगरा के अवाम खामोश हैं।

उन्होंने इस पर जोर दिया कि शहर मुफ्ती के तक़र्रुर या हटाने का इख़तियार इस्लामिया लोकल एजेंसी को कभी भी नहीं रहा। यह काम सन 1857 से मजलिसे अहले इस्लाम का रहा है जिसमें आगरा के चुनिंदा बा असर दानिश्वर, उलेमा और दीनदार बुजुर्ग हजरात शामिल रहे हैं। जोकि शहर मुफ्ती का इंतखाब करते चले आ रहे हैं। इसलिए अब ना किसी मजलिसे शूरा की जरूरत है और ना इस्लामिया लोकल एजेंसी की। खासतौर पर मौजूदा डुप्लीकेट इस्लामिया लोकल एजेंसी को तो शहर मुफ्ती के बारे में कुछ भी कहने या करने का इख्तियार नहीं है। डुप्लीकेट इस्लामिया लोकल एजेंसी के नाम निहाद सदर अभी शायद इस बात से वाकिफ नहीं हैं कि इस्लामिया लोकल एजेंसी के सदर और उसके मेंबरान के इंतखाब का इख़तियार भी शहर मुफ्ती और मजलिसे अहले इस्लाम आगरा को ही हासिल है। यही इस्लामिया लोकल एजेंसी की तारीख है।

शहर मुफ्ती खुबैब रूमी साहब ने आगे डुप्लीकेट इस्लामिया लोकल एजेंसी द्वारा तक़र्रुर किए गए दो मुफ्तियों की काबिलियत पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्होंने जो ईद-उल-अजहा से मुताल्लिक किताबचा छापा है उसमें दो मसअले ही गलत बताए हैं। पहले यह कि शाही ईदगाह, जामा मस्जिद वगैरा मस्जिदों में पढ़ाई जाने वाली ईद की नमाजों का टाइम टेबल हमेशा शहर मुफ्ती साहब ही जारी करते हैं, जबकि इस बार मुफ्ती साहब का टाइम टेबल जारी होने के बाद कथित इस्लामिया लोकल एजेंसी की तरफ से भी टाइम टेबल जारी किया गया, जिसमें बहुत सी गलतियां हैं। इस किताबचे में बताया गया है कि तकबीरे तशरीक़ औरतों को कहना वाजिब नहीं है। हालांकि तकबीरे तशरीक़ मर्दों को हर फर्ज नमाज के बाद बुलंद आवाज से कहना और औरतों को अपने घरों में आहिस्ता से कहना वाजिब है। इसी तरह कुर्बानी की खाल (चर्म) को इस्तेमाल करने का मसला भी खिलाफ़े शरीअत बयान किया गया है। ऐसे मुफ्तियों को अगर शहर मुफ्ती बनाया जाएगा तो शरीअत का खुदा ही हाफिज है।

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