यौन अपराधों में हमेशा पुरुष ही दोषी नहीं होता : हाई कोर्ट
दुष्कर्म के आरोप से बरी युवक की बेगुनाही पर अदालत ने लगाई मुहर
14 जून 2024, प्रयागराज।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि यौन कानून महिला केंद्रित जरूर है पर यौन अपराधों में हमेशा पुरुष ही दोषी नहीं होते। ऐसे संबंधों में महिलाओं को भी भागीदारी होती है कभी कम, कभी ज्यादा।इस टिप्पणी के साथ न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी व न्यायमूर्ति आनंद प्रभा शुक्ला की खंडपीठ ने ट्रायल कोर्ट से बरी हुए युवक की बेगुनाहों पर अपनी मुहर लगा दी। साथ ही पीड़ित की ओर से ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली अपील को खारिज कर दिया।
मामला प्रयागराज के कर्नलगंज थाना क्षेत्र का है। पीड़िता ने 2019 वर्ष में युवक पर शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने, मारपीट औरअनुसूचित जाति के उत्पीड़न के आरोप में केस दर्ज कराया था। पुलिस ने विवेचना के बाद युवक के खिलाफ़ आरोपपत्र ट्रायल कोर्ट में दाखिल किया था।
कोर्ट ने युवक को सभी आरोपों से बरी कर दिया। केवल मारपीट का दोषी मानते हुए छह माह की कैद और ₹1000 का दंड आदेश सुनाया था। उसके खिलाफ़ पीड़िता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कोर्ट ने अपील खारिज करते हुए युवक को दुष्कर्म के आरोप के दुश्मनों मुक्त करने वाले आदेश को बरकरार रखा। कहा कि यह अपराधों से जुड़े कानून महिलाओं के केंद्रीय जरूर है, लेकिन हमेशा पुरुष साथी गलत नहीं होती है।