
Wednesday, 17 December 2025, 11:10:00 PM. Hojai, Assam
असम के होजाई जिले में मंगलवार देर रात एक बेहद दर्दनाक रेल हादसे ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। रेलवे ट्रैक पर हाथियों के एक झुंड से टकराने के बाद ट्रेन के पांच डिब्बे पटरी से उतर गए, जबकि इस हादसे में सात हाथियों की मौके पर ही मौत हो गई। राहत की बात यह रही कि ट्रेन में सवार किसी भी यात्री के घायल होने की सूचना नहीं है।
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, यह हादसा उस समय हुआ जब ट्रेन होजाई जिले के जंगल क्षेत्र से होकर गुजर रही थी। इसी दौरान अचानक रेलवे ट्रैक पर हाथियों का झुंड आ गया। तेज रफ्तार ट्रेन चालक को हाथियों को देखकर ब्रेक लगाने का पर्याप्त समय नहीं मिल सका और टक्कर हो गई। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि ट्रेन के पांच डिब्बे पटरी से उतर गए।

हादसे के बाद मचा हड़कंप
घटना के तुरंत बाद रेलवे और वन विभाग के अधिकारियों को सूचना दी गई। मौके पर पहुंची राहत और बचाव टीमों ने स्थिति का जायजा लिया। ट्रैक पर पड़े हाथियों के शवों को हटाने और रेल यातायात को बहाल करने का काम शुरू किया गया। हादसे के कारण इस रूट पर कई घंटों तक रेल यातायात प्रभावित रहा।
यात्रियों में दहशत, लेकिन सभी सुरक्षित
हादसे के समय ट्रेन में सवार यात्रियों के बीच अफरा-तफरी मच गई। हालांकि रेलवे अधिकारियों ने पुष्टि की है कि किसी भी यात्री को चोट नहीं आई है। सभी यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया और वैकल्पिक व्यवस्थाएं की गईं।
वन्यजीव संरक्षण पर फिर उठे सवाल
इस घटना ने एक बार फिर असम और पूर्वोत्तर भारत में रेलवे ट्रैकों से जुड़े वन्यजीव गलियारों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह क्षेत्र हाथियों के प्राकृतिक आवागमन का मार्ग माना जाता है। इसके बावजूद ट्रेन की रफ्तार पर नियंत्रण और चेतावनी प्रणालियों को लेकर लंबे समय से लापरवाही के आरोप लगते रहे हैं।
वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि हाथियों की मौत की ऐसी घटनाएं केवल हादसा नहीं, बल्कि सिस्टम की विफलता का संकेत हैं। ट्रैक के किनारे सोलर-फेंसिंग, सेंसर-आधारित चेतावनी प्रणाली और संवेदनशील क्षेत्रों में ट्रेन की गति सीमित करने जैसे उपाय अब भी पूरी तरह लागू नहीं हो पाए हैं।
रेलवे और वन विभाग की संयुक्त जांच
रेलवे अधिकारियों ने हादसे की जांच के आदेश दे दिए हैं। वन विभाग भी यह पता लगाने में जुटा है कि हाथियों का झुंड किस गलियारे से गुजर रहा था और क्या उस क्षेत्र को पहले से संवेदनशील घोषित किया गया था। जांच के बाद जिम्मेदारी तय किए जाने की बात कही जा रही है।
स्थानीय लोगों में आक्रोश
घटना के बाद स्थानीय लोगों और पर्यावरण संगठनों में गहरा आक्रोश देखने को मिला। लोगों का कहना है कि बार-बार चेतावनी के बावजूद वन्यजीव गलियारों में ट्रेनों की रफ्तार कम नहीं की जाती, जिसका खामियाजा बेजुबान जानवरों को अपनी जान देकर चुकाना पड़ता है।
यह हादसा एक बार फिर याद दिलाता है कि विकास और वन्यजीव संरक्षण के बीच संतुलन बनाए बिना ऐसी त्रासदियों को रोका नहीं जा सकता।
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