Wednesday, 17 December 2025, 7:15:00 PM. New Delhi, India
दिल्ली इन दिनों भीषण स्मॉग की चपेट में है। राजधानी का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 447 तक पहुंच चुका है, जिसे “गंभीर” श्रेणी में रखा जाता है। इसके उलट चीन की राजधानी बीजिंग, जो कभी दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में गिनी जाती थी, अब अपेक्षाकृत साफ हवा की मिसाल बन रही है। इसी पृष्ठभूमि में चीन ने दिल्ली को प्रदूषण से निपटने के लिए एक विस्तृत स्टेप-बाय-स्टेप गाइड साझा की है।

दिल्ली बनाम बीजिंग = दो शहर, दो कहानियां
एक दशक पहले तक बीजिंग का हाल भी आज की दिल्ली जैसा था। घना स्मॉग, बंद स्कूल, उड़ानें रद्द और सांस लेना मुश्किल। लेकिन सख्त नीतियों, तकनीकी निगरानी और प्रशासनिक इच्छाशक्ति के दम पर चीन ने स्थिति में बड़ा बदलाव किया। आज बीजिंग का औसत AQI दिल्ली की तुलना में काफी बेहतर माना जाता है।
कोयले से दूरी = सबसे बड़ा बदलाव
चीन ने सबसे पहले कोयले पर निर्भरता कम की। बीजिंग और आसपास के इलाकों में कोयला आधारित पावर प्लांट बंद किए गए और घरेलू हीटिंग सिस्टम को गैस व बिजली से जोड़ा गया। इससे PM2.5 और सल्फर डाइऑक्साइड जैसे खतरनाक प्रदूषकों में बड़ी गिरावट दर्ज की गई।
इंडस्ट्री पर सख्ती = ‘पहले पर्यावरण’ नीति
बीजिंग के आसपास भारी प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को या तो बंद किया गया या शहर से बाहर शिफ्ट किया गया। जो फैक्ट्रियां बचीं, उनके लिए उत्सर्जन मानक बेहद सख्त कर दिए गए। नियम तोड़ने पर भारी जुर्माने और लाइसेंस रद्द करने जैसी कार्रवाइयों ने उद्योगों को नियम मानने पर मजबूर किया।
वाहनों पर नियंत्रण = ट्रैफिक और उत्सर्जन दोनों पर लगाम
चीन ने निजी वाहनों की संख्या नियंत्रित करने के लिए लाइसेंस प्लेट कोटा सिस्टम लागू किया। साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया गया। बीजिंग की सड़कों पर आज इलेक्ट्रिक बसें, टैक्सी और दोपहिया वाहन आम नजर आते हैं, जिससे ट्रैफिक प्रदूषण में उल्लेखनीय कमी आई।
रियल-टाइम मॉनिटरिंग = डेटा से फैसला
बीजिंग में एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग नेटवर्क को मजबूत किया गया। रियल-टाइम डेटा के आधार पर स्कूल बंद करने, निर्माण कार्य रोकने और ट्रैफिक प्रतिबंध जैसे फैसले लिए जाते हैं। इससे प्रदूषण बढ़ने से पहले ही नियंत्रण के कदम उठाए जाते हैं।
निर्माण और धूल पर लगाम
चीन ने निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण के लिए सख्त नियम लागू किए। साइट्स को कवर करना, पानी का छिड़काव और मलबे के सुरक्षित निपटान को अनिवार्य किया गया। यह वह क्षेत्र है जहां दिल्ली आज भी गंभीर चुनौती झेल रही है।
जनभागीदारी और राजनीतिक इच्छाशक्ति
चीन की सफलता के पीछे केवल तकनीक नहीं, बल्कि मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और जनभागीदारी भी रही। सरकार ने प्रदूषण को राष्ट्रीय स्वास्थ्य संकट के रूप में पेश किया, जिससे कठोर फैसलों को सार्वजनिक समर्थन मिला।
दिल्ली के लिए सबक क्या हैं?
विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली के लिए बीजिंग मॉडल से सीख लेना जरूरी है, लेकिन उसकी नकल भर काफी नहीं। कोयला और डीजल पर निर्भरता घटाना, सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करना, निर्माण गतिविधियों पर सख्त नियंत्रण और राज्यों के बीच समन्वय — ये सभी कदम एक साथ उठाने होंगे।
सवाल यही है = क्या दिल्ली तैयार है?
बीजिंग ने दिखा दिया कि प्रदूषण कोई नियति नहीं, बल्कि नीति का नतीजा होता है। अब सवाल यह है कि क्या दिल्ली भी उतनी ही सख्ती, निरंतरता और राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखा पाएगी, जितनी चीन ने दिखाई।
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