Friday, 12 December 2025, 11:38:29 PM. Agra, Uttar Pradesh
आगरा। एशिया के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थानों में से एक, सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज (SNMC) के ऐतिहासिक प्रांगण में आज एक नई ऊर्जा और उत्साह का संचार देखने को मिला। मौका था एमबीबीएस 2025 बैच के नवप्रवेशित विद्यार्थियों के लिए आयोजित ‘व्हाइट कोट सेरेमनी’ (White Coat Ceremony) का। सफेद कोट पहनते ही इन भावी चिकित्सकों के चेहरे खिल उठे और उन्होंने चरक शपथ लेकर चिकित्सा जगत में अपने औपचारिक सफर की शुरुआत की।
समारोह का आयोजन कॉलेज के सभागार में पूरी गरिमा और भव्यता के साथ किया गया। यह केवल एक रस्म नहीं, बल्कि चिकित्सा के पेशे में प्रवेश करने वाले युवाओं के लिए नैतिकता, करुणा और मानवीय मूल्यों के प्रति आजीवन प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
दीप प्रज्ज्वलन और सरस्वती वंदना से हुआ आगाज
कार्यक्रम की शुरुआत भारतीय परंपरा के अनुसार दीप प्रज्ज्वलन और माँ सरस्वती की वंदना के साथ हुई। वातावरण में गूंजते श्लोकों ने माहौल को पवित्र और अनुशासित बना दिया। इसके पश्चात प्रधानाचार्य एवं डीन डॉ. प्रशांत गुप्ता ने मंच संभाला।
डॉ. गुप्ता ने नवागंतुक विद्यार्थियों का आत्मीय स्वागत करते हुए उन्हें डॉक्टर बनने के मायने समझाए। उन्होंने कहा कि डॉक्टर का पेशा केवल इलाज करना नहीं है, बल्कि मरीज के प्रति संवेदनशीलता और समाज के प्रति जिम्मेदारी निभाना भी है। उन्होंने छात्रों को चिकित्सा मर्यादाओं के प्रति सजग रहने का मूलमंत्र दिया।
चरक शपथ: सेवा और निष्ठा का संकल्प
समारोह का सबसे अहम पड़ाव ‘चरक शपथ’ रहा। प्रधानाचार्य ने सभी छात्रों को भारतीय चिकित्सा के जनक महर्षि चरक की शपथ दिलाई। छात्रों ने सामूहिक स्वर में करुणा, निष्ठा और पेशेवर ईमानदारी के साथ मरीजों की सेवा करने का संकल्प लिया। इसके बाद जैसे ही उन्होंने अपना पहला ‘व्हाइट कोट’ धारण किया, पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। यह कोट अब समर्पण, सेवा और ज्ञान के प्रति उनकी पहचान बनेगा।
विभागाध्यक्षों ने दिया सफलता का मंत्र
समारोह में कॉलेज के विभिन्न विभागों के अध्यक्षों ने अपने अनुभवों की पोटली से छात्रों को मार्गदर्शन दिया।
- अनुशासन ही नींव है: उप-प्रधानाचार्य एवं मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. टी.पी. सिंह ने छात्रों को बताया कि चिकित्सा शिक्षा में अनुशासन और आजीवन सीखने की ललक (Lifelong Learning) ही सफलता की कुंजी है।
- मजबूत आधार: एनाटॉमी विभागाध्यक्ष डॉ. अंजलि गुप्ता ने कहा कि एक अच्छे डॉक्टर बनने के लिए शरीर रचना विज्ञान (Anatomy) का गहरा ज्ञान होना अनिवार्य है, क्योंकि यही चिकित्सा की नींव है।
- संवेदना जरूरी: यूजी अकादमिक इंचार्ज और फिज़ियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. दिव्या श्रीवास्तव ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ-साथ सहानुभूति (Empathy) को एक श्रेष्ठ चिकित्सक का सबसे बड़ा गुण बताया।
- लैब में नैतिकता: बायोकैमिस्ट्री विभागाध्यक्ष डॉ. कामना सिंह ने लैब कार्यों में शुद्धता और नैतिकता के महत्व को रेखांकित किया।
परीक्षा और नियमों का पाठ
माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष और परीक्षा अधीक्षक डॉ. अंकुर गोयल ने छात्रों को पहले दिन ही कड़े अनुशासन का पाठ पढ़ाया। उन्होंने विश्वविद्यालय के नियमों, परीक्षा में ईमानदारी और अकादमिक अनुशासन के महत्व से अवगत कराया। वहीं, पी.एस.एम. विभागाध्यक्ष डॉ. रेनू अग्रवाल ने सामुदायिक स्वास्थ्य और निवारक चिकित्सा की भूमिका पर जोर दिया।
सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. राजेश गुप्ता ने छात्रों को कौशल, धैर्य और आत्मविश्वास के साथ काम करने की प्रेरणा दी, जबकि स्त्री एवं प्रसूति रोग विभागाध्यक्ष डॉ. शिखा सिंह ने मातृत्व देखभाल और महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशीलता का महत्व समझाया।
मेंटॉरशिप और हॉस्टल के नियम
नए छात्रों को कॉलेज के माहौल में ढलने में मदद करने के लिए डॉ. ऋचा श्रीवास्तव ने ‘मेंटॉरशिप प्रोग्राम’ की जानकारी दी। यह कार्यक्रम छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ भावनात्मक सहयोग भी प्रदान करेगा। इसके अलावा, डॉ. रुचिका गर्ग और डॉ. के.एस. दिनकर ने हॉस्टल के नियमों और दिशानिर्देशों को साझा किया ताकि छात्र अनुशासित रहकर अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर सकें।
एसएनएमसी गीत ने भरा जोश
कार्यक्रम में उस समय जोश दोगुना हो गया जब एमबीबीएस 2024 बैच (सीनियर बैच) के छात्रों ने ‘एस.एन.एम.सी. गीत’ प्रस्तुत किया। इस गीत ने सभागार में मौजूद हर व्यक्ति को गर्व की अनुभूति कराई।
कार्यक्रम का संचालन और संयोजन फिज़ियोलॉजी विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. सुदिप्ति यादव ने बखूबी किया। अंत में डॉ. दिव्या श्रीवास्तव ने औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। यह समारोह नए बैच के लिए एक अविस्मरणीय याद बन गया, जो उन्हें ताउम्र मानवता की सेवा के लिए प्रेरित करता रहेगा।
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