KNP Update: MP के कूनो नेशनल पार्क में एक और चीते की मौत, अब तक 9 की जा चुकी है जान
KNP Update: MP के कूनो नेशनल पार्क में एक और चीते की मौत, अब तक 9 की जा चुकी है जान
Kuno National Park Update:
मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनो नेशनल पार्क में बुधवार को एक और चीते की मौत हो गई. मादा चीते ‘धात्री’ की मौत के बाद अब तक यहां कुल 9 चीते अपनी जान गंवा चुके हैं. ‘धात्री’ की मौत आखिर कैसे हुई है इसका पता लगाया जा रहा है. वास्तविक कारण का खुलासा पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही होगा. वन विभाग की ओर से जारी की गई विज्ञप्ति में कहा गया है कि कूनो नेशनल पार्क में बाड़े में रखे गए 14 चीतों में सभी स्वस्थ हैं और उनका लगातार स्वास्थ्य परीक्षण वन्य प्राणी चिकित्सक और नामीबिया के विशेषज्ञों द्वारा किया जा रहा है.
बाहर विचरण कर रही दो मादा चीतों की नामीबिया विशेषज्ञ और कूनो वन्य प्राणी प्रबंधन एवं टीम लगातार निगरानी कर रही है. उनके स्वास्थ्य परीक्षण हेतु बोमा में लाए जाने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. इन दोनों में से एक मादा चीता धात्री मृत पाई गई. मौत के कारणों का पता लगाने के लिए पोस्टमार्टम किया जा रहा है.
KNP में अब कितने चीते?
बताया गया है कि एक मादा चीता अब भी वन प्रबंधन की पहुंच से बाहर है और उसे भी बाड़े में वापस लाने के प्रयास चल रहे हैं. बता दें कि कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से दो चरणों में कुल 20 चीतों को लाया गया था. वहीं एक मादा चीता ने चार शावकों को जन्म दिया था. इस तरह कुल चीतों की संख्या 24 हो गई. मगर इनमें से 9 चीतों की अब तक मौत हो चुकी है. इनमें तीन शावक भी शामिल हैं. इस तरह अब नेशनल पार्क में एक शावक समेत कुल 15 चीते ही बचे हैं.
पशु चिकित्सकों की मदद लेने का सुझाव
हाल ही में वन्यजीव विशेषज्ञों ने अफ्रीकी चीतों को संभालने के तरीके पर सवाल उठाया और इन जानवरों की देखभाल में अधिक अनुभवी पशु चिकित्सकों की मदद लेने का सुझाव दिया था. देहरादून स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के पूर्व डीन और वरिष्ठ प्रोफेसर वाई वी झाला ने बताया, ‘हालांकि इस कार्यक्रम में चीता की मौत की आशंका थी, लेकिन अधिक आश्चर्य की बात यह है कि ये मौतें सुरक्षित बाड़े में हुई. सुरक्षित बाड़े से निकलने के बाद चीतों के मरने की आशंका थी, उसके भीतर नहीं.’
न्यूज एजेंसी PTI से बात करते हुए झाला ने कहा था कि इसी तरह, ‘बाड़े में निगरानी में रहने के दौरान तीन शावकों की मौत भी आश्चर्यजनक है और उनकी देखभाल पर सवालिया निशान लगाती है. यदि शावक कुपोषित थे, तो उन्हें स्वस्थ बनाने के लिए पूरक आहार दिया जाना चाहिए था.’ उन्होंने चीतों की मौत को, इन प्राणियों को देश में बसाने के कार्यक्रम के लिए एक ‘बड़ा नुकसान’ और एक महंगा अनुभव करार दिया, जिससे सबक लेना जरूरी है. विशेषज्ञ ने कहा, ‘कुनो में चीतों की मौत, इस परियोजना की सफलता के लिए उतनी महत्वपूर्ण नहीं है. चीतों की रिहाई के लिए अन्य स्थलों में तैयारी की तत्काल आवश्यकता है.’
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