Chandrayaan-3: उजले चंद्रमा के उस चेहरे को देखेगा चंद्रयान, जहां अरबों बरसों से अंधेरा कायम है

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Chandrayaan-3: उजले चंद्रमा के उस चेहरे को देखेगा चंद्रयान, जहां अरबों बरसों से अंधेरा कायम है

 

 

 

Chandrayaan-3: चंद्रमा की चमक और शीतलता के बारे में तो आप जानते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि उसका एक हिस्सा अरबों वर्षों से अंधेरे में डूबा हुआ है. चलिए जानते हैं चंद्रयान-3 इस हिस्से में क्यों भेजा गया है.

 

 


Chandrayaan-3:

करोड़ों भारतवासियों की दुआओं और उम्मीदों के साथ चंद्रयान-3 अपनी यात्रा पर निकल चुका है. सफल लॉन्च के बाद इसे धरती की कक्षा में स्थापित कर दिया गया है, जहां से चंद्रयान 5 अगस्त को चंद्रमा की ओर अपना सफर शुरू करेगा. इसके बाद अगस्त के चौथे हफ्ते में चंद्रयान-3 को चंद्रमा की धरती पर उतारने की प्रक्रिया शुरू होगी. चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेंगे. रोवर प्रज्ञान और लैंडर विक्रम पर बड़ी जिम्मेदारी है. अगर लैंडर विक्रम सफलतापूर्वक चंद्रमा की सतह पर उतर जाता है तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा.



इससे पहले चंद्रयान-2 को भी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारने की कोशिश की गई थी, लेकिन अंतिम क्षणों में उसका कंट्रोल सेंटर से संपर्क टूट गया और चंद्रयान-2 क्रैश हो गया था. पिछली गलतियों से सबक लेते हुए इस बार चंद्रयान-3 में बड़े बदलाव किए गए हैं. अभी कुछ दिन तक चंद्रयान धरती के इर्द-गिर्द चक्कर लगाएगा और फिर 5 अगस्त को उसे चंद्रमा की यात्रा पर भेज दिया जाएगा. 23 अगस्त को लैंडर और रोवर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर उतारने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. सबकुछ ठीक रहा तो 23 या 24 अगस्त को लैंडर विक्रम चंद्रमा की सतह को चूमेगा और भारत का नाम इतिहास में दर्ज हो जाएगा.

 


दक्षिणी ध्रुव ही क्यों?
प्रश्न यह है कि आखिर भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ही चंद्रयान क्यों उतार रहा है. इससे पहले चंद्रयान-2 को भी दक्षिणी ध्रुव पर उतारने की कोशिश की गई थी, जो असफल रहा, अब एक बार फिर चंद्रयान-3 को भी दक्षिणी ध्रुव पर उतारा जा रहा है. जिस तरह से पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुव पर बसा अंटार्कटिका काफी ठंडा है, वैसा ही चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव भी है. यह चांद का सबसे ठंडा इलाका है. भारत ही नहीं अमेरिका और चीन भी इस क्षेत्र पर नजरें गड़ाए हुए हैं. चीन कुछ साल पहले दक्षिणी ध्रुव के करीब लैंडर उतार चुका है और अमेरिका तो वहां अपने अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की तैयारी कर रहा है.

 


अगर आपको चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर खड़ा होने का अवसर मिले तो आपको सूर्य क्षितिज रेखा पर दिखाई देगा. चंद्रमा की सतह से लगा हुआ सूरज चम-चमाता हुआ नजर आएगा. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के ज्यादातर हिस्से में छाया रहती है. यहां धरती के दक्षिणी ध्रुव की ही तरह सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती हैं और तापमान काफी कम होता है. वैज्ञानिकों का अंदाजा है कि तापमान कम होने के कारण यहां पानी और अन्य खनिज हो सकते हैं. चंद्रयान-1 चंद्रमा पर पानी की खोज पहले ही कर चुका है.

 


नासा की रिपोर्ट के अनुसार चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ है और वहां दूसरे प्राकृतिक संसाधन भी हो सकते हैं. साल 1998 में नासा के मून मिशन में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर हाइड्रोन की मौजूदगी का पता लगा था. नासा के अनुसार हाइड्रोजन की मौजूदगी वहां बर्फ होने का सबूत हो सकता है. जानकारी के अनुसार चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर बड़े पहाड़ और कई बड़े-बड़े क्रेटर्स हैं. यहां सूरज की रोशनी भी यहां बहुत कम पड़ती है.

 


चंद्रमा पर कैसा रहता है तापमान
चंद्रमा पर तापमान में काफी असमानता है. यहां जिन हिस्सों में सूरज की रोशनी आती है, वहां तापमान 54 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. जिन हिस्सों में सूरज की रोशनी नहीं पड़ती है, वहां तापमान माइनस 248 डिग्री सेल्सियस तक भी पहुंच जाता है. नासा के अनुसार दक्षिणी ध्रुव पर बहुत से ऐसे क्रेटर्स हैं, जहां अरबों वर्षों से सूर्य की रोशनी नहीं पहुंची है. इन हिस्सों में अरबों वर्षों से अंधेरा कायम है.

 

दक्षिणी ध्रुव के कुछ इलाके अंधेरे में डूबे रहते हैं, जबकि कुछ इलाकों में सूर्य की पर्याप्त रोशनी रहती है. यहां कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां धरती के प्रत्येक एक साल में 200 दिन तक भी सूर्य की रोशनी रहती है. दक्षिणी ध्रुव के अंधेरे इलाकों में अरबों वर्ष पुराना पानी हो सकता है, जो सौरमंडल के बारे में काफी अहम जानकारियां देने में मदद कर सकता है.

 

चंद्रमा पर पृथ्वी की तरह वायुमंडल नहीं है. यहां किसी लैंडर या अंतरिक्ष यात्री को उतारना बड़ा ही मुश्किल कार्य है. नासा के अनुसार बेहतरीन टेक्नोलॉजी और एडवांस लैंडर के बावजूद दक्षिणी ध्रुव की जमीन के बारे में कुछ बी बता पाना मुश्किल है. यहां एक्स्ट्रीम तापमान की वजह से कई उपकरण खराब हो जाते हैं.



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