
Tuesday, 23 December 2025, 9:18:00 PM. Islamabad, Pakistan
पाकिस्तान की आर्थिक और एविएशन नीति में एक बड़ा मोड़ सामने आया है। देश की सरकारी एयरलाइन Pakistan International Airlines (PIA) की 75 प्रतिशत हिस्सेदारी की नीलामी पूरी हो गई है। ओपन बिडिंग के बाद Arif Habib Group ने 4320 करोड़ रुपये की सबसे ऊंची बोली लगाकर PIA को अपने नाम कर लिया। यह सौदा सरकार के अनुमान से करीब 1320 करोड़ रुपये अधिक कीमत पर हुआ है, जिसे पाकिस्तान के निजीकरण इतिहास की बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।

सरकार के अनुमान से कहीं अधिक कीमत
पाकिस्तानी सरकार ने PIA की 75% हिस्सेदारी के लिए लगभग 3200 करोड़ रुपये का मूल्यांकन किया था। हालांकि अंतिम दौर की ओपन बिडिंग में मुकाबला कड़ा रहा और आरिफ हबीब ग्रुप ने लकी सीमेंट ग्रुप को पछाड़ते हुए 4320 करोड़ रुपये की निर्णायक बोली लगाई। लकी सीमेंट ग्रुप 4288 करोड़ रुपये तक ही पहुंच सका।

नीलामी में कौन-कौन था रेस में
PIA की नीलामी प्रक्रिया में शुरुआत में तीन दावेदार शामिल थे—
- आरिफ हबीब ग्रुप
- लकी सीमेंट ग्रुप
- प्राइवेट एयरलाइन एयरब्लू
पहले चरण में बंद लिफाफे में बोलियां जमा की गईं। आरिफ हबीब ग्रुप ने 3680 करोड़, लकी सीमेंट ने 3248 करोड़ और एयरब्लू ने 848 करोड़ रुपये की बोली दी। कम बोली के चलते एयरब्लू पहले ही चरण में बाहर हो गई, जिसके बाद आरिफ हबीब और लकी सीमेंट के बीच ओपन बिडिंग कराई गई।

75% हिस्सेदारी की बिक्री, 25% सरकार के पास
पाकिस्तान सरकार ने साफ किया है कि फिलहाल PIA की 75 प्रतिशत हिस्सेदारी ही बेची गई है, जबकि 25 प्रतिशत हिस्सेदारी सरकार अपने पास रखेगी। भविष्य में सरकार चाहे तो इस हिस्से को भी बेच सकती है। शर्तों के अनुसार, नए मालिक को कम से कम 12 महीने तक कर्मचारियों की नौकरी की गारंटी देनी होगी। पेंशन और रिटायरमेंट से जुड़े दायित्व सरकारी कंपनी संभालेगी, जबकि मौजूदा वेतन और सुविधाएं नया मालिक देगा।

IMF की शर्त और आर्थिक मजबूरी
PIA की बिक्री के पीछे सबसे बड़ी वजह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष International Monetary Fund (IMF) की शर्तें हैं। पाकिस्तान IMF से 7 अरब डॉलर के राहत पैकेज की अगली किस्त चाहता है। इसके बदले IMF ने घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों के निजीकरण की शर्त रखी है। इसी क्रम में PIA सहित 24 सरकारी संस्थानों को प्राइवेट करने का फैसला लिया गया।
भारी कर्ज और खराब छवि से जूझती रही PIA
PIA पिछले कई वर्षों से घाटे और कर्ज के बोझ तले दबी हुई थी। कंपनी पर करीब 25 हजार करोड़ रुपये का कर्ज बताया जाता है। 2020 में कराची विमान हादसे और पायलट लाइसेंस घोटाले के बाद PIA की अंतरराष्ट्रीय छवि को गहरा नुकसान पहुंचा था। इसके चलते यूरोप और ब्रिटेन सहित कई देशों ने PIA की उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिससे घाटा और बढ़ गया।
हालांकि हाल के महीनों में हालात कुछ सुधरे। सरकार ने PIA का बड़ा हिस्सा कर्ज अपने ऊपर लिया और यूरोप-ब्रिटेन ने उड़ानों पर लगा प्रतिबंध हटा दिया। इसके बाद पहली बार एयरलाइन ने सीमित मुनाफा भी दिखाया, जिससे निवेशकों का भरोसा लौटा।
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का बयान
नीलामी कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री Shehbaz Sharif ने कहा कि सरकार ने पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी रखा है। उनके मुताबिक यह सौदा पाकिस्तान के इतिहास के सबसे बड़े निजीकरण सौदों में शामिल हो सकता है और इससे PIA को “नई जिंदगी” मिलेगी।
हारने वाली कंपनियों को मैनेजमेंट में जगह नहीं
सरकार ने स्पष्ट किया है कि जो कंपनियां बोली हार गई हैं, उन्हें भविष्य में PIA के मैनेजमेंट में शामिल होने का कोई अवसर नहीं मिलेगा। केवल जीतने वाला समूह ही एयरलाइन के संचालन और रणनीतिक फैसलों का अधिकार रखेगा।
आगे की राह
निजीकरण के बाद उम्मीद की जा रही है कि PIA का संचालन पेशेवर तरीके से होगा, बेड़े का आधुनिकीकरण किया जाएगा और यूरोप व मध्य पूर्व के रूट्स पर फोकस बढ़ेगा। पाकिस्तान सरकार को भी इस सौदे से तत्काल नकदी राहत मिली है, जो IMF के साथ चल रही बातचीत में उसकी स्थिति मजबूत कर सकती है।
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