
Saturday, 27 December 2025, 12:15 PM. Islamabad, Pakistan
आर्थिक बदहाली और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए एक और गंभीर चेतावनी सामने आई है। सरकार की एक ताज़ा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि बीते 24 महीनों में देश से करीब 5,000 डॉक्टर, 11,000 इंजीनियर और 13,000 अकाउंटेंट विदेश पलायन कर चुके हैं। यह आंकड़े ऐसे समय सामने आए हैं, जब पाकिस्तानी सेना प्रमुख Asim Munir ने बड़े पैमाने पर हो रहे इस पलायन को ‘ब्रेन गेन’ करार दिया था।

आर्थिक संकट ने तेज किया प्रतिभा पलायन
सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान इस समय अपने इतिहास के सबसे बड़े ‘टैलेंट एक्सोडस’ का सामना कर रहा है। बेहतर वेतन, स्थिर जीवन और सुरक्षित भविष्य की तलाश में उच्च शिक्षित पेशेवर बड़ी संख्या में देश छोड़ रहे हैं। स्वास्थ्य, इंजीनियरिंग और अकाउंटेंसी जैसे महत्वपूर्ण सेक्टर इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।
‘ब्रेन गेन’ दावे पर विपक्ष का तंज
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद सेना प्रमुख आसिम मुनीर के बयान पर सवाल उठने लगे हैं। पूर्व पाकिस्तानी सीनेटर मुस्तफा नवाज़ खोखर ने इन आंकड़ों को सोशल मीडिया पर साझा करते हुए कहा कि देश में इंटरनेट शटडाउन और राजनीतिक अव्यवस्था के कारण हालात और बिगड़ रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि इंटरनेट बंदी के चलते 23 लाख से ज्यादा फ्रीलांसिंग नौकरियां खतरे में हैं और पाकिस्तान को लगभग 1.62 अरब डॉलर का नुकसान हो चुका है।
पलायन के आंकड़े क्या कहते हैं
रिपोर्ट के अनुसार, Pakistan Bureau of Emigration and Overseas Employment के आंकड़े बताते हैं कि
- वर्ष 2024 में करीब 7.27 लाख पाकिस्तानी नागरिकों ने विदेश में नौकरी के लिए पंजीकरण कराया
- वहीं 2025 में (नवंबर तक) यह संख्या 6.87 लाख तक पहुंच चुकी है
चिंता की बात यह है कि यह पलायन केवल मजदूर वर्ग तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें उच्च शिक्षित और कुशल पेशेवर भी बड़ी संख्या में शामिल हैं।
स्वास्थ्य क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित
सरकारी रिपोर्ट और स्थानीय मीडिया के अनुसार, स्वास्थ्य क्षेत्र इस संकट से सबसे ज्यादा जूझ रहा है। वर्ष 2011 से अब तक पाकिस्तान में नर्सों के पलायन में 2,100 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है। डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी का असर सीधे आम नागरिकों की स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहा है।
पाकिस्तान के लिए बढ़ती चुनौती
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यही रुझान जारी रहा, तो पाकिस्तान के लिए न केवल आर्थिक पुनरुद्धार मुश्किल होगा, बल्कि प्रशासनिक और सामाजिक ढांचा भी कमजोर पड़ सकता है। प्रतिभा पलायन को ‘ब्रेन गेन’ बताने के बजाय जमीनी सुधारों की जरूरत अब और भी स्पष्ट हो गई है।
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