
Saturday, 27 December 2025, 6:28:00 AM. Beijing, China
ताइवान को बड़े पैमाने पर हथियार बेचने के अमेरिकी फैसले पर चीन ने कड़ा रुख अपनाते हुए अमेरिका को सीधी चेतावनी दी है। बीजिंग ने साफ शब्दों में कहा है कि जो भी ताइवान को हथियार देगा, उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। इसी क्रम में चीन ने 20 अमेरिकी रक्षा कंपनियों और 10 शीर्ष अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। यह कार्रवाई चीन के एंटी-फॉरेन सैंक्शंस लॉ के तहत तत्काल प्रभाव से लागू की गई है।

चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका द्वारा ताइवान को हथियार बेचना ‘वन-चाइना पॉलिसी’ और चीन-अमेरिका के बीच हुए द्विपक्षीय समझौतों का गंभीर उल्लंघन है। मंत्रालय ने दो टूक कहा कि ताइवान का मुद्दा चीन के राष्ट्रीय हितों की मूल रेखा है और इस पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता।
प्रतिबंधों के दायरे में जिन अमेरिकी कंपनियों को शामिल किया गया है, उनमें नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन सिस्टम्स कॉरपोरेशन, एल3हैरिस मैरीटाइम सर्विसेज, बोइंग (सेंट लुईस यूनिट), गिब्स एंड कॉक्स, वीएसई कॉरपोरेशन, रेड कैट होल्डिंग्स, टील ड्रोन, रीकॉनक्राफ्ट, एपिरस और ब्लू फोर्स टेक्नोलॉजीज सहित कुल 20 कंपनियां शामिल हैं। इन सभी कंपनियों की चीन में मौजूद चल-अचल संपत्तियों को फ्रीज कर दिया गया है और चीनी संस्थानों व नागरिकों को इनके साथ किसी भी प्रकार के व्यापारिक या तकनीकी सहयोग से रोक दिया गया है।
चीन ने यह स्पष्ट किया है कि प्रतिबंध केवल कंपनियों तक सीमित नहीं रहेंगे। एंड्यूरिल इंडस्ट्रीज के संस्थापक पामर लकी समेत 10 वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों पर भी व्यक्तिगत प्रतिबंध लगाए गए हैं। इन अधिकारियों की चीन में मौजूद संपत्तियों पर रोक लगेगी और चीन से जुड़े किसी भी व्यावसायिक या अन्य गतिविधियों में उनकी भागीदारी पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि ताइवान मुद्दा चीन-अमेरिका संबंधों में एक स्पष्ट “रेड लाइन” है। अमेरिका यदि इस रेखा को पार करता है तो उसे गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ेगा। चीन ने अमेरिका से अपने वादों का सम्मान करने, ताइवान को हथियारों की आपूर्ति तुरंत रोकने और ताइवान जलडमरूमध्य में तनाव बढ़ाने वाले कदमों से बचने की अपील की है।
दरअसल, बीते सप्ताह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने ताइवान के लिए 10 अरब डॉलर से अधिक के हथियार पैकेज को मंजूरी दी थी। इसमें मध्यम दूरी की मिसाइलें, HIMARS रॉकेट सिस्टम, जैवलिन और TOW एंटी-टैंक मिसाइलें, हॉवित्जर तोपें और ड्रोन शामिल हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रस्तावित आठ हथियार पैकेजों की कुल कीमत लगभग 11.1 अरब डॉलर आंकी गई है।
बीजिंग का मानना है कि यह कदम न केवल क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा है, बल्कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सैन्य तनाव को और बढ़ाने वाला है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सरकार ने दोहराया है कि चीन अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन के बीच टकराव अब केवल कूटनीतिक स्तर तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि आर्थिक और रणनीतिक मोर्चों पर भी यह संघर्ष तेज
होता जा रहा है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर दोनों देशों के रिश्तों में और तल्खी देखने को मिल सकती है।
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