Monday, 15 December 2025, 7:15:00 PM. Agra, Uttar Pradesh
आगरा। खेल-खेल में हुई एक छोटी सी लापरवाही कभी-कभी कितनी भारी पड़ सकती है, इसका उदाहरण आगरा के धनोली गांव में देखने को मिला। यहाँ एक 6 साल का मासूम खेलते समय ऊंचाई से गिर गया, जिससे न केवल उसके हाथ की हड्डी टूटी, बल्कि हाथ को खून पहुँचाने वाली मुख्य नस भी कट गई। हाथ में खून का दौरा बंद होने से गैंग्रीन (Gangrene) का खतरा बढ़ गया था और नौबत हाथ काटने (Amputation) तक आ गई थी। लेकिन, एसएन मेडिकल कॉलेज (SNMC) के डॉक्टरों ने अपनी सूझबूझ और जटिल सर्जरी से बच्चे का हाथ कटने से बचा लिया।
इस सफल ऑपरेशन ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि आगरा का एसएन मेडिकल कॉलेज अब गंभीर और जटिल से जटिल इलाज के मामले में मेट्रो शहरों के अस्पतालों से कम नहीं है।
हड्डी टूटने से डैमेज हुई ‘ब्रैकियल आर्टरी’, बंद हुआ खून का दौरा
धनोली निवासी 6 वर्षीय बालक खेलते समय ऊंचाई से गिर गया था। परिजनों ने स्थानीय स्तर पर इलाज की कोशिश की, लेकिन दर्द कम नहीं हुआ और हाथ ठंडा पड़ने लगा। परिजन उसे लेकर तत्काल एसएन मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में पहुंचे।
यहाँ सीटी एंजियोग्राफी (CT Angiography) जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ। गिरने के कारण बच्चे के दाहिने हाथ की हड्डी (Supracondylar Fracture) टूट गई थी, जिसने हाथ की मुख्य रक्त नली यानी ‘ब्रैकियल आर्टरी’ (Brachial Artery) को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया था। इसके चलते हाथ में रक्त प्रवाह पूरी तरह बंद हो चुका था। डॉक्टरों ने बताया कि अगर तुरंत सर्जरी न होती, तो हाथ में जहर फैल जाता और उसे काटना पड़ता।
पैर की नस निकालकर जोड़ी हाथ में, 2 विभागों ने मिलकर किया ऑपरेशन
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए ऑर्थोपेडिक्स (हड्डी रोग) और सीटीवीएस (कार्डियो-थोरेसिक एवं वैस्कुलर सर्जरी) विभाग ने मिलकर काम करने का फैसला लिया।

- हड्डी जोड़ी: सबसे पहले ऑर्थोपेडिक्स विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अमृत गोयल के नेतृत्व में टीम ने टूटी हुई हड्डी को फिक्स किया।
- नस का पुनर्निर्माण: इसके बाद डॉ. सुशील सिंघल और उनकी टीम ने बच्चे के पैर से ‘सैफेनस वेन’ (Saphenous Vein) निकाली और उसे हाथ की कटी हुई धमनी की जगह जोड़कर (Grafting) खून की नली का नया रास्ता बनाया।

बच्चों में रक्त नलिकाएं बेहद पतली और छोटी होती हैं, जिससे यह सर्जरी तकनीकी रूप से बहुत कठिन मानी जाती है। लेकिन डॉक्टरों की दक्षता से ऑपरेशन सफल रहा और बच्चे के हाथ में दोबारा खून का दौरा शुरू हो गया।
‘अब दिल्ली-जयपुर भागने की जरूरत नहीं’
एसएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने इस उपलब्धि पर टीम को बधाई दी है। उन्होंने कहा, “अब इस प्रकार की जटिल और अत्याधुनिक सर्जरी आगरा में ही हमारे सुपर-स्पेशलिस्ट्स द्वारा सफलतापूर्वक की जा रही हैं। मरीजों को अब इलाज के लिए दिल्ली या जयपुर जाने की आवश्यकता नहीं है।”
फिलहाल बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है और उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।
इन डॉक्टरों ने दिया बच्चे को नया जीवन
- ऑर्थोपेडिक्स विभाग: डॉ. अमृत गोयल, डॉ. मयूर एवं टीम।
- सीटीवीएस विभाग: डॉ. सुशील सिंघल, डॉ. अनुज गर्ग।
- एनेस्थीसिया टीम: डॉ. प्रभा, डॉ. शाहिद, डॉ. अनुकृति।
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