Friday, 12 December 2025, 2:45:00 PM. Agra, Uttar Pradesh
आगरा। पिछले कई महीनों से एसटीएफ और ड्रग विभाग की कार्रवाई के चलते सुर्खियों में रहे आगरा के चर्चित दवा कारोबारी हिमांशु अग्रवाल को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। हिमांशु अग्रवाल को तीनों मुकदमों में हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है। लेकिन जेल से बाहर आने की खबर के साथ ही उनके वकीलों ने पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। वकीलों ने दावा किया है कि कार्रवाई के दौरान गोदाम में 1 करोड़ 22 लाख रुपये थे, जिसमें से 1 करोड़ तो रिश्वत बताकर जब्त कर लिए गए, लेकिन बाकी के 22 लाख रुपये का रिकॉर्ड में कोई अता-पता नहीं है।
हिमांशु अग्रवाल के वकील जय नारायण शर्मा और जय शर्मा ने दैनिक भास्कर को बताया कि अब जब उनके क्लाइंट को जमानत मिल चुकी है, तो वे कानूनी तरीके से पूरे 1 करोड़ 22 लाख रुपये का हिसाब मांगेंगे। वकीलों का कहना है कि हिमांशु के खिलाफ दर्ज सभी मुकदमे निराधार थे और उन्हें साजिश के तहत फंसाया गया था।

‘रिश्वत नहीं, वह तो गल्ले की रकम थी’
एडवोकेट जय नरायन शर्मा ने बताया कि हाईकोर्ट में जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान उन्होंने मजबूती से पक्ष रखा। उन्होंने कोर्ट को बताया कि जिस 1 करोड़ रुपये को एसटीएफ ने रिश्वत की रकम बताया है, वह दरअसल हिमांशु अग्रवाल के गोदाम पर रखी हुई बिजनेस की नकदी थी। हिमांशु एक बड़ा स्टॉकिस्ट है और इतनी नकदी होना उसके व्यापार में सामान्य बात है।
वकीलों ने तर्क दिया कि हिमांशु पर पहले से कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं था, तो वह रिश्वत देने की पेशकश क्यों करेगा? उन्होंने कोर्ट में बैलेंस शीट भी पेश की, जिसमें 1 करोड़ 22 लाख रुपये का पूरा हिसाब दर्शाया गया है। वकीलों का आरोप है कि 1 करोड़ रुपये को तो ‘केस प्रॉपर्टी’ बना दिया गया, लेकिन 22 लाख रुपये गायब हैं, जिसका जवाब अब मांगा जाएगा।
तीन मुकदमों का चक्रव्यूह और ऐसे मिली जमानत
हिमांशु अग्रवाल 19 सितंबर से जेल में बंद थे। उन पर पुलिस ने शिकंजा कसते हुए एक के बाद एक तीन मुकदमे लादे थे। वकीलों ने बताया कि जमानत का सिलसिला इस प्रकार रहा:
- धोखाधड़ी का मामला (11 नवंबर): सबसे पहले कोर्ट ने धोखाधड़ी कर दवा लाने और ले जाने के मामले में जमानत दी। वकील ने साबित किया कि जिस टेंपो के आधार पर केस हुआ, न तो वह हिमांशु का था और न ही उसमें रखी दवाएं। बिल लखनऊ की फर्म का था।
- रिश्वत का मामला (26 नवंबर): एंटी करप्शन एक्ट के तहत दर्ज मामले में जमानत मिली। एसटीएफ का आरोप था कि हिमांशु ने खुद को बचाने के लिए 1 करोड़ की रिश्वत दी थी।
- नकली दवा का मामला (8 दिसंबर): तीसरा और सबसे गंभीर आरोप नकली दवा बेचने का था। इसमें भी वकीलों ने दलील दी कि केवल व्हाट्सएप पर फोटो देखकर कंपनी ने दवा को नकली बता दिया, जबकि लैब रिपोर्ट में कोई भी दवा ‘नकली’ (Spurious) साबित नहीं हुई। इस आधार पर तीसरी जमानत भी मिल गई।
संभावना जताई जा रही है कि कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद एक-दो दिन में हिमांशु अग्रवाल आगरा वापस आ जाएंगे।
फ्लैशबैक: क्या था पूरा मामला?
यह पूरा प्रकरण 22 अगस्त को शुरू हुआ था, जब ड्रग विभाग की कानपुर और बस्ती मंडल की टीम ने एसटीएफ के साथ आगरा की दवा मंडी में छापा मारा था। फव्वारा स्थित ‘बंसल’ और ‘हे मां मेडिकल स्टोर’ पर कार्रवाई की गई थी।
ड्रग विभाग ने दावा किया था कि गोदामों से करीब 3.23 करोड़ रुपये की दवाइयां बरामद हुई हैं। आरोप लगाया गया था कि छापेमारी के बाद हिमांशु अग्रवाल ने मामले को रफा-दफा करने के लिए एसटीएफ इंस्पेक्टर यतींद्र शर्मा से संपर्क किया और 1 करोड़ रुपये की रिश्वत देने की पेशकश की। पुलिस की कहानी के मुताबिक, हिमांशु को 3 बैग में 500-500 के नोटों की गड्डियों (कुल 1 करोड़ रुपये) के साथ थाने में ही गिरफ्तार किया गया था।
अब जबकि कोर्ट ने दलीलों को स्वीकार करते हुए जमानत दे दी है, तो पुलिस की विवेचना और बरामदगी पर सवाल उठना लाजिमी है। 22 लाख रुपये के गायब होने का दावा आने वाले दिनों में पुलिस के लिए नई मुसीबत खड़ी कर सकता है।
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