संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार, 25 नवंबर 2024 से शुरू हुआ। 20 दिसंबर तक चलने वाले इस सत्र में सरकार और विपक्ष के बीच टकराव की पूरी संभावना है। सत्र के पहले दिन ही विपक्ष ने कई मुद्दों पर सरकार को घेरते हुए अपने इरादे साफ कर दिए।
सत्र के मुख्य एजेंडे
सरकार इस सत्र में 5 नए विधेयकों को पेश करेगी, जिनमें वक्फ (संशोधन) और अन्य 11 विधेयकों पर चर्चा भी प्रस्तावित है। लेकिन सत्र की शुरुआत से ही विपक्ष ने मणिपुर में हिंसा, उत्तर प्रदेश के संभल में हालिया झड़पों, चीन के साथ सीमा विवाद, प्रदूषण और अडानी ग्रुप पर रिश्वतखोरी के आरोपों को लेकर सरकार पर सवाल उठाए।
कांग्रेस की रणनीति
सत्र से पहले कांग्रेस संसदीय रणनीति समूह की एक बैठक पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर हुई। इसमें राहुल गांधी, केसी वेणुगोपाल, शशि थरूर, पी. चिदंबरम और प्रमोद तिवारी समेत कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए। इस बैठक में मौजूदा सत्र के लिए रणनीति तय की गई और निर्णय लिया गया कि इन मुद्दों पर सरकार से जवाब मांगा जाएगा।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, “हम अडानी समूह पर रिश्वत के आरोप, मणिपुर हिंसा और संभल में धार्मिक तनाव जैसे मुद्दों को लेकर सरकार से जवाब मांगेंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की मांग पर अडिग है और इस मामले में दबाव बनाए रखेगी।
प्रमुख मुद्दे और विपक्ष का आक्रामक रुख
- अडानी ग्रुप विवाद:
विपक्ष ने अडानी समूह पर रिश्वत के आरोपों की जांच के लिए जेपीसी की मांग दोहराई। जयराम रमेश ने कहा, “यह मामला गंभीर है और हम इसे संसद में उठाना जारी रखेंगे।” - मणिपुर हिंसा:
मणिपुर में पिछले कुछ महीनों से जारी हिंसा पर विपक्ष ने सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाए। कांग्रेस का कहना है कि इस मुद्दे पर संसद में विस्तृत चर्चा होनी चाहिए। - संभल विवाद:
उत्तर प्रदेश के संभल में हाल ही में हुई धार्मिक झड़पों पर भी चर्चा हुई। विपक्ष ने कहा कि सरकार को इस मामले में स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए और धार्मिक सौहार्द बनाए रखने के लिए कदम उठाने चाहिए। - चीन के साथ सीमा विवाद:
चीन के साथ जारी तनाव पर कांग्रेस ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया। खड़गे ने कहा, “हमने कई बार इस मुद्दे को उठाया है, लेकिन सरकार पारदर्शिता बरतने में विफल रही है।” - प्रदूषण:
प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर विपक्ष ने सरकार की नीति पर सवाल उठाए। जयराम रमेश ने इसे जनता के स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा बताया।
पहले दिन का हंगामा
सत्र की शुरुआत में ही लोकसभा और राज्यसभा में विपक्षी सांसदों ने संभल झड़प और अडानी विवाद पर चर्चा की मांग की। हंगामे के चलते दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
सत्र से आगे की उम्मीदें
कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि विपक्ष अपने मुद्दों को सत्र के दौरान बार-बार उठाएगा। उन्होंने कहा, “हम यह सुनिश्चित करेंगे कि इन गंभीर विषयों पर चर्चा हो और सरकार जवाबदेह बने।”
सरकार का पक्ष
सरकार ने कहा है कि वह सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है। संसदीय कार्य मंत्री ने विपक्ष से सहयोग की अपील की और कहा कि सभी विधेयकों को समय पर पास करना सरकार की प्राथमिकता है।
विशेषज्ञों की राय
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह सत्र राजनीतिक रूप से बेहद अहम होगा। विपक्ष ने जिन मुद्दों को उठाया है, वे सीधे जनता से जुड़े हुए हैं और सरकार पर दबाव डालने के लिए पर्याप्त हैं।
आगे की राह
विपक्ष के आक्रामक रुख और सरकार की जवाबदेही के बीच यह देखना दिलचस्प होगा कि शीतकालीन सत्र में कौन बाजी मारता है। हालांकि, जनता की समस्याओं को सुलझाने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए दोनों पक्षों का मिलकर काम करना जरूरी है।
इस सत्र में विधेयकों पर चर्चा के साथ-साथ राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी देखने को मिलेंगे। जनता को उम्मीद है कि संसद का यह सत्र उनके जीवन को बेहतर बनाने वाले फैसलों के लिए यादगार साबित होगा।
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