संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर से शुरू होकर 20 दिसंबर तक चलेगा। इस सत्र में जहां सरकार नए विधेयक पेश करेगी, वहीं विपक्ष भी कई अहम मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी में है। सत्र का प्रारंभ 26 नवंबर को संविधान के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में विशेष कार्यक्रमों से होगा। इस बार का सत्र राजनीतिक बहस, नए कानूनों और विपक्षी हंगामे के चलते काफी चर्चा में रहने वाला है।
संविधान दिवस और शीतकालीन सत्र की शुरुआत
26 नवंबर, 1949 को भारत का संविधान अपनाया गया था। इस वर्ष इसके 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं, जिसे संसद में विशेष कार्यक्रमों के साथ मनाया जाएगा। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के अनुसार, संविधान दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सेंट्रल हॉल में सांसदों को संबोधित करेंगी। साथ ही संविधान से जुड़े कई ऐतिहासिक दस्तावेज और प्रकाशन भी जारी किए जाएंगे।
हालांकि, 26 नवंबर को विधायी कार्य नहीं होगा, लेकिन इस दिन संविधान की महत्ता और भारतीय लोकतंत्र में इसके योगदान पर चर्चा की जाएगी।
सरकार की रणनीति और प्रस्तावित विधेयक
सरकार ने इस सत्र में 16 विधेयकों को सूचीबद्ध किया है। इनमें से पांच नए विधेयक संसद में पेश किए जाएंगे। सरकार ने शिपिंग सेक्टर में सुधार के उद्देश्य से तीन अहम विधेयक तैयार किए हैं:
- कोस्टल शिपिंग बिल
- इंडियन पोर्ट्स बिल
- मर्चेंट शिपिंग बिल
ये विधेयक भारतीय समुद्री व्यापार और बंदरगाहों के विकास को नई दिशा देने के लिए तैयार किए गए हैं। इनके अलावा, बैंकिंग लॉ (संशोधन) विधेयक और वक्फ संशोधन विधेयक भी इस सत्र के दौरान चर्चा का केंद्र बनेंगे।
बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2024
इस विधेयक का उद्देश्य बैंकिंग क्षेत्र में सुधार करना और खाताधारकों के लिए सुविधाएं बढ़ाना है। विधेयक के तहत अब खाताधारक अपने बैंक खाते में चार नामांकित (नॉमिनी) व्यक्तियों को जोड़ सकते हैं। इसके साथ ही, भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934, बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949, और भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम, 1955 में भी संशोधन का प्रस्ताव है।
वक्फ संशोधन विधेयक
वक्फ संपत्तियों से जुड़े विवादों को हल करने और पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से वक्फ संशोधन विधेयक को पेश किया जाएगा। इसके अलावा, इस विधेयक पर बनी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) भी अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकती है।
संसद में विपक्ष की रणनीति
सत्र शुरू होने से पहले हुई सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने सरकार को विभिन्न मुद्दों पर घेरने की मंशा जाहिर की। विपक्षी दल अदाणी समूह के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप, मणिपुर में जातीय हिंसा, और देश में बढ़ते प्रदूषण जैसे मुद्दों पर चर्चा की मांग कर रहे हैं।
अदाणी समूह पर भ्रष्टाचार के आरोप
कांग्रेस ने अदाणी समूह के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोपों को लेकर संसद में चर्चा की मांग की है। यह मुद्दा संसद सत्र को हंगामेदार बना सकता है।
मणिपुर हिंसा और सरकार की प्रतिक्रिया
मणिपुर में जारी जातीय हिंसा पर भी विपक्ष ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस ने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। विपक्ष का कहना है कि सरकार मणिपुर के संकट को लेकर गंभीर नहीं है।
प्रदूषण और रेल दुर्घटनाएं
उत्तर भारत में बढ़ते वायु प्रदूषण और हाल ही में हुई रेल दुर्घटनाओं को लेकर भी विपक्ष सरकार को जवाब देने के लिए बाध्य करेगा।
‘एक देश, एक चुनाव’ विधेयक पर चर्चा की संभावना
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट पर आधारित ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ विधेयक इस सत्र में पेश होने की संभावना कम है। हालांकि, यह मुद्दा राजनीतिक चर्चा का विषय बना रहेगा।
अन्य विधेयक और लंबित मामले
लोकसभा में लंबित 13 विधेयकों और राज्यसभा में लंबित दो विधेयकों पर चर्चा की जाएगी। इनमें प्रमुख हैं:
- पंजाब कोर्ट्स (संशोधन) विधेयक
- भारतीय वायुयान विधेयक
सत्र का राजनीतिक महत्व
यह सत्र भाजपा के लिए राजनीतिक रूप से अहम है, खासकर हाल ही में हुए महाराष्ट्र चुनाव में पार्टी की जीत के बाद। भाजपा का प्रयास रहेगा कि सत्र के दौरान विधायी कामकाज सुचारू रूप से चले और प्रमुख विधेयक पारित किए जाएं। दूसरी ओर, विपक्ष सरकार के खिलाफ एकजुट होकर सत्र को हंगामेदार बनाने की कोशिश करेगा।
संविधान दिवस के महत्व पर जोर
शीतकालीन सत्र के दौरान संविधान दिवस के महत्व पर विशेष जोर दिया जाएगा। यह दिन भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की मजबूती और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाने का अवसर है।
निष्कर्ष
संसद का यह शीतकालीन सत्र कई मायनों में खास है। जहां सरकार शिपिंग, बैंकिंग और वक्फ से जुड़े अहम विधेयक पेश कर भारतीय कानून प्रणाली में सुधार की दिशा में कदम बढ़ाना चाहती है, वहीं विपक्ष विभिन्न मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी में है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और विपक्ष के बीच होने वाली बहस से भारतीय लोकतंत्र को कितनी मजबूती मिलती है और प्रस्तावित विधेयकों का जनता पर क्या प्रभाव पड़ता है।
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