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दीपावली: लक्ष्मी पूजन विधि, मुहूर्त, आरती, सामग्री सूची

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31 अक्टूबर 2024, आगरा।

हर वर्ष कार्तिक अमावस्या पर दीवाली (Diwali Puja Samagri List 2024) का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष कार्तिक अमावस्या 31 अक्टूबर को है। इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इस वर्ष कई मंगलकारी योग में दीवाली मनाई जाएगी। दीवाली के शुभ मुहूर्त से लेकर पूजन विधि के लिए हमारी खबर पढ़िए।

सनातन धर्म में दीपावली का विशेष महत्व है। यह पर्व हर वर्ष कार्तिक अमावस्या तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की उपासना की जाती है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि चिरकाल में समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक अमावस्या तिथि पर मां लक्ष्मी अवतरित हुई थीं। इस उपलक्ष्य पर हर वर्ष कार्तिक अमावस्या के दिन दीवाली मनाई जाती है। वहीं, त्रेता युग में भगवान श्रीराम के 14 वर्षों के वनवास के बाद घर लौटने की खुशी में अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर दीवाली मनाई थी। तत्कालीन समय से हर वर्ष दीवाली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। साथ ही दीप जलाए जाते हैं। धार्मिक मत है कि मां लक्ष्मी की पूजा (Maa Laxmi Puja Vidhi) करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

दीवाली पूजा मुहूर्त (Maa Laxmi Pujan Shubh Muhurat)

वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 03 बजकर 52 मिनट पर शुरू होगी और 01 नवंबर को संध्याकाल 06 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगी। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, 31 अक्टूबर को दीवाली मनाई जाएगी। 31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ समय संध्याकाल 05 बजकर 36 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 51 मिनट तक है। इस समय में धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा कर सकते हैं।

पूजा विधि

साधक गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसके बाद आचमन कर स्वयं को शुद्ध करें और पीले रंग का वस्त्र धारण करें। अब गंगाजल से पूजा स्थल को शुद्ध करें। इसके बाद एक चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाकर लक्ष्मी गणेश जी की नवीन प्रतिमा स्थापित करें। अब ध्यान मंत्र और आवाहन मंत्र का पाठ करें। इसके बाद पंचोपचार कर विधि-विधान या शास्त्र नियमों का पालन कर लक्ष्मी गणेश जी की पूजा करें। पूजा के दौरान धन की देवी मां लक्ष्मी को फल, फूल, धूप, दीप, हल्दी, अखंडित चावल, बताशा, सिंदूर, कुमकुम, अबीर-गुलाल, सुगंधित द्रव्य और नैवेद्य आदि चीजें अर्पित करें। पूजा के समय लक्ष्मी चालीसा का पाठ, लक्ष्मी स्तोत्र और मंत्र जप करें। पूजा के अंत में आरती करें।

सात्विक दीवाली कैसे मनाएं

1. दीवाली में मिट्टी के दीये का इस्तेमाल करें। मिट्टी के दीये के प्रयोग से पर्यावरण दूषित नहीं होता है। आसान शब्दों में कहें तो मिट्टी के दीये से पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचता है। वास्तु जानकारों की मानें तो दीवाली पर मिट्टी के दीये का उपयोग करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। मिट्टी के दीये संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है।

2. दीवाली का त्योहार देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर आतिशबाजी भी की जाती है। इसके लिए लोग पटाखे भी फोड़ते हैं। हालांकि, पटाखे के इस्तेमाल से ध्वनि और वायु प्रदूषण बढ़ता है। अत: आर्टिफिशियल पटाखों का इस्तेमाल करें।

3. दीवाली उत्सव का त्योहार है। इस शुभ अवसर पर अपने दोस्तों एवं रिश्तेदारों से अवश्य मिलें। साथ ही उन्हें दीवाली की शुभकामना अवश्य दें। आप चाहे तो मीठा खिलाकर भी दीवाली की शुभकामना दे सकते हैं।

दीवाली कथा

सनातन शास्त्रों में निहित है कि चिरकाल में ऋषि दुर्वासा के श्राप के चलते स्वर्ग श्रीविहीन हो गया था। यह जान दानवों ने स्वर्ग पर आक्रमण कर दिया। लक्ष्मी विहीन होने के चलते देवता युद्ध के मैदान में दानवों के पास टिक नहीं सके। फलतः उन्हें स्वर्ग छोड़ना पड़ा। अब स्वर्ग पर दानवों का अधिपत्य हो गया। तब देवता, ब्रह्मा और विष्णु जी के पास गए और उन्हें अपनी आपबीती बताई। विष्णु जी को पूर्व से इसकी जानकारी थी। उस समय विष्णु जी ने देवताओं को समुद्र मंथन कर अमृत प्राप्त करने की सलाह दी। साथ ही यह भी कहा कि अमृत पान कर आप सब अमर हो जाएंगे। इसके बाद आपको युद्ध में कोई परास्त नहीं कर पायेगा। हां, समुद्र मंथन के लिए आपको दानवों की सहायता लेनी पड़ेगी। कालांतर में देवताओं ने दानवों की मदद से समुद्र मंथन किया। इसमें वासुकि नाग और मंदार पर्वत से समुद्र मंथन किया गया। समुद्र मंथन से न केवल अमृत की प्राप्ति हुई, बल्कि धन की देवी मां लक्ष्मी भी पुनः अवतरित हुईं। देवता अमृत पान कर अमर हो गए। वहीं, लक्ष्मी की कृपा से स्वर्ग में पुनः सुख, सौभाग्य और ऐश्वर्य लौट आया। इसके लिए हर वर्ष कार्तिक अमावस्या पर दीवाली मनाई जाती है। एक अन्य कथा के अनुसार, राजा बलि के अनुरोध पर कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि से लेकर अमावस्या तिथि तक मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। वहीं, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के वनवास से अयोध्या लौटने की खुशी में दीवाली मनाई जाती है।

सुरक्षित दीवाली मनाएं

रोशनी का त्योहार दीवाली हर साल कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही आतिशबाजी भी की जाती है। हालांकि, आतिशबाजी के दौरान छोटी सी गलती भी रंग में भंग डाल सकती है। इसके लिए दीवाली पर आतिशबाजी के दौरान ये सेफ्टी टिप्स जरूर फॉलो करें।

दीवाली की शुभकामनाएं

1. खुशियों का पर्व है दीवाली,

मस्ती की फुहार है दीवाली,

लक्ष्मी पूजन का दिन है दीवाली,

अपनों का प्यार है दीवाली।

2. लक्ष्मी जी के आंगन में है,

सबने दीपों की माला सजाई।।

दीवाली के इस पावन अवसर पर

आपको कोटि-कोटि बधाई।।

3. दीपावली का है ये पावन त्यौहार

जीवन में लाए खुशियों अपार

लक्ष्मी जी विराजे आपके द्वार

शुभकामनाएं हमारी करें स्वीकार।।

4. दीपों का ये त्योहार,

लाया खुशियां हजार,

मुबारक हो आप सभी को,

दीवाली का त्योहार।।

5. सोने का रथ चांदी की पालकी,

बैठकर जिसमें मां लक्ष्मी आई,

देने आपको और आपके परिवार को,

दीवाली की बधाई ।।

दीवाली पर कैसे निवेश करें 

दीवाली के त्योहार में सोना-चांदी, बर्तन, घर आदि की खरीदगारी करने की परंपरा है। अगर आप भी निवेश करने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो दीवाली से आप यह आदत अपना सकते हैं।

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