
Sunday, 21 December 2025, 09:15:00 PM. Agra, Uttar Pradesh
आगरा। ताजनगरी में रविवार का दिन धार्मिक आस्था और प्रशासनिक लापरवाही के बीच टकराव का गवाह बना। शहर के जगदीशपुरा (Jagdishpura) थाना क्षेत्र में मंदिरों के ठीक पास संचालित हो रही अवैध मीट-मांस की दुकानों को लेकर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल (Bajrang Dal) के कार्यकर्ताओं ने जोरदार प्रदर्शन करते हुए प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
इस Agra Meat Shop Protest ने स्थानीय पुलिस और प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि उन्होंने कई बार लिखित और मौखिक शिकायतें दीं, लेकिन पुलिस के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। जब आस्था पर चोट लगने का सिलसिला नहीं रुका, तो हिंदूवादी संगठनों को सड़कों पर उतरना पड़ा।

रविवार शाम को जगदीशपुरा क्षेत्र भगवा झंडों और “जय श्री राम” के नारों से गूंज उठा। विहिप और बजरंग दल (पश्चिम महानगर) के नेतृत्व में सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने विवादित मीट की दुकानों के सामने धरना दिया और प्रशासन को स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि तत्काल प्रभाव से कार्रवाई नहीं हुई, तो आंदोलन उग्र रूप ले सकता है।
Agra Meat Shop Protest: क्यों उबल पड़ा जगदीशपुरा?
यह विवाद आज का नहीं, बल्कि पिछले कई महीनों से सुलग रहा था। जगदीशपुरा थाना क्षेत्र एक मिश्रित आबादी वाला इलाका है, जहाँ कई प्राचीन और मान्यता प्राप्त मंदिर स्थित हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि इन मंदिरों के बेहद करीब, नियमों को ताक पर रखकर मीट और मांस की दुकानें चलाई जा रही हैं।
आस्था पर चोट: हिंदू संगठनों का तर्क है कि मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं को इन दुकानों के सामने से गुजरना पड़ता है। खुलेआम मांस का कटना और खून का बहना न केवल दृश्य प्रदूषण (Visual Pollution) फैलाता है, बल्कि यह हिंदू भावनाओं को भी आहत करता है।
- दुर्गंध और गंदगी: स्थानीय लोगों की शिकायत है कि इन दुकानों से निकलने वाला कचरा और दुर्गंध आसपास के वातावरण को दूषित कर रहे हैं, जिससे मंदिर की पवित्रता भंग हो रही है।
- नियमों का उल्लंघन: उत्तर प्रदेश सरकार के स्पष्ट निर्देश हैं कि धार्मिक स्थलों के निर्धारित दायरे में मीट की दुकानें संचालित नहीं हो सकतीं। इसके बावजूद, जगदीशपुरा में यह खेल धड़ल्ले से चल रहा था।
पुलिस की भूमिका पर सवाल: “शिकायतें रद्दी की टोकरी में क्यों?”
इस Agra Meat Shop Protest की सबसे बड़ी वजह पुलिस की निष्क्रियता रही। प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे विहिप प्रांत उपाध्यक्ष सुनील पाराशर और प्रांत संयोजक दिग्विजय नाथ तिवारी ने प्रशासन को आड़े हाथों लिया।
उन्होंने कहा, “हम शांतिप्रिय लोग हैं और कानून का पालन करते हैं। हमने एक बार नहीं, बल्कि कई बार थाना प्रभारी और उच्च अधिकारियों को अवगत कराया कि मंदिरों के पास चल रही ये दुकानें माहौल खराब कर रही हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि स्थानीय पुलिस और मीट माफिया के बीच कोई ‘गाठजोड़’ है, जिसके कारण हमारी शिकायतों को रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया।”
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब प्रशासन अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल हो जाता है, तभी जनता को सड़क पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ता है। रविवार का यह धरना प्रशासन की उसी ‘कुंभकर्णी नींद’ को तोड़ने का प्रयास था।
धरना स्थल का हाल: आक्रोश और अल्टीमेटम
रविवार को धरना स्थल पर नजारा देखने लायक था। बड़ी संख्या में बजरंग दल के कार्यकर्ता और स्थानीय नागरिक एकत्र हुए। उनके हाथों में तख्तियां थीं जिन पर मीट की दुकानें बंद करने के नारे लिखे थे।
राहुल तिवारी विश्व हिंदू परिषद सह धर्म प्रसार प्रमुख पश्चिम जिला आगराऔर सह मंत्री शिवम दुबे ने भीड़ को संबोधित करते हुए प्रशासन को खुली चेतावनी दी। उन्होंने कहा:
“यह तो बस एक सांकेतिक धरना है। अगर पुलिस ने अगले 24 से 48 घंटों के भीतर इन अवैध दुकानों पर ताला नहीं लगाया, तो बजरंग दल का कार्यकर्ता चुप नहीं बैठेगा। हम आंदोलन को और व्यापक रूप देंगे और अगर कानून व्यवस्था बिगड़ती है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी।”
इस दौरान मीडिया प्रभारी आकाश वर्मा, कार्तिक मुद्गल, करन गर्ग, शिवम अग्रवाल, शिवम जैन, वीरू बघेल, हिमांशु, जतिन, दीपक शर्मा और शिवम शर्मा सहित सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद रहे। नारों की गूंज से पूरा इलाका थर्रा उठा।
सामाजिक सौहार्द बनाम वोट बैंक की राजनीति
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि कुछ लोग वोट बैंक की राजनीति के चलते इन अवैध दुकानदारों को संरक्षण दे रहे हैं।
- सामाजिक प्रभाव: विहिप नेताओं ने कहा कि धार्मिक स्थलों के आसपास इस तरह की गतिविधियां न केवल आस्था को ठेस पहुंचाती हैं, बल्कि सामाजिक सौहार्द (Social Harmony) पर भी बुरा असर डालती हैं। जब एक समुदाय की भावनाओं को लगातार नजरअंदाज किया जाता है, तो समाज में तनाव पैदा होता है।
- मांग: लोगों ने एक स्वर में मांग की कि सिर्फ चालान काटने या कुछ दिनों के लिए दुकान बंद कराने से काम नहीं चलेगा। इन दुकानों को स्थायी रूप से यहाँ से हटाया जाए और भविष्य में ऐसी कोई गतिविधि न हो, यह सुनिश्चित किया जाए।
योगी सरकार के आदेशों की अवहेलना?
उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार अवैध स्लॉटर हाउस और खुले में मांस बिक्री को लेकर बेहद सख्त रही है। सरकार के स्पष्ट आदेश हैं कि:
- धार्मिक स्थलों और शिक्षण संस्थानों के 50-100 मीटर के दायरे में मांस की बिक्री प्रतिबंधित है।
- खुले में मांस का प्रदर्शन नहीं किया जा सकता।
- दुकानों पर काले शीशे या पर्दे लगे होने चाहिए।
जगदीशपुरा में हो रहा यह Agra Meat Shop Protest साबित करता है कि जमीनी स्तर पर अधिकारी सीएम योगी के आदेशों का पालन कराने में लापरवाही बरत रहे हैं। क्या पुलिस को डर नहीं है कि सरकार की छवि धूमिल हो रही है? या फिर भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हैं कि नियम-कायदे मायने नहीं रखते?
पुलिस-प्रशासन की प्रतिक्रिया: अब क्या होगा?
विहिप और बजरंग दल के इस उग्र प्रदर्शन को देखते हुए स्थानीय पुलिस के हाथ-पांव फूल गए। मौके पर भारी पुलिस बल तैनात करना पड़ा। सूत्रों के अनुसार, पुलिस अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों को समझाने-बुझाने का प्रयास किया और आश्वासन दिया कि जल्द ही नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
हालांकि, प्रदर्शनकारी सिर्फ ‘आश्वासन’ से मानने को तैयार नहीं दिखे। उनका कहना था कि आश्वासन तो कई बार मिल चुके हैं, अब ‘एक्शन’ चाहिए। फिलहाल, लोगों की निगाहें प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं। क्या पुलिस इन रसूखदार दुकानदारों पर कार्रवाई करने की हिम्मत जुटा पाएगी, या फिर मामला ठंडे बस्ते में चला जाएगा?
स्थानीय निवासियों का दर्द
इस पूरे मामले में सबसे ज्यादा परेशान वो आम नागरिक हैं, जिनका घर इन दुकानों और मंदिरों के आसपास है। एक स्थानीय निवासी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “साहब, शाम होते ही यहाँ नशा करने वालों और असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लग जाता है। मीट की दुकानों के कारण यहाँ आवारा कुत्तों का आतंक भी बढ़ गया है। महिलाएं और बच्चे मंदिर जाने से डरते हैं। बजरंग दल ने जो आवाज उठाई है, वो हर घर की आवाज है।”
प्रशासन के लिए अग्निपरीक्षा
आगरा का यह Agra Meat Shop Protest केवल एक धरना नहीं, बल्कि एक चेतावनी है। यह बताता है कि जब जन-भावनाओं को दबाया जाता है, तो विस्फोट होना तय है। अब गेंद आगरा प्रशासन के पाले में है। अगर समय रहते इन मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो यह चिंगारी शहर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकती है।
क्या जगदीशपुरा पुलिस अपनी गलती सुधारेगी और मंदिरों की पवित्रता बहाल करेगी? यह आने वाला वक्त ही बताएगा। लेकिन एक बात तय है— बजरंग दल और विहिप ने साफ कर दिया है कि धर्म और आस्था के मामले में अब ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति ही चलेगी।
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