Rajasthan: केंद्रीय मंत्री का विरोध BJP पर पड़ा भारी, क्या इन कारणों से टल गया पीएम मोदी का नागौर दौरा?

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Rajasthan: केंद्रीय मंत्री का विरोध BJP पर पड़ा भारी, क्या इन कारणों से टल गया पीएम मोदी का नागौर दौरा?

 

 


Rajasthan: पीएम मोदी पिछले नौ महीने में राजस्थान में सात सभाएं कर चुके हैं। वे आठवीं बड़ी सभा 28 जुलाई को नागौर के खरनाल में करने जा रहे थे। लेकिन अब यह सभा अगस्त में होने की बात सामने आ रही है। पीएम की इस रैली का असर नागौर सहित अन्य जिलों की करीब 25 से 30 विधानसभा सीटों पर दिखता…

 

 


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राजस्थान दौरा फिलहाल टलने की खबर सामने आ रही है। नागौर जिले के खरनाल में पीएम की रैली होनी थी, जिसे अब स्थगित किया जा सकता है। पीएम मोदी के इस कार्यक्रम की जिम्मेदारी केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी को दी गई थी। इस सिलसिले में कैलाश चौधरी नागौर के खरनाल भी पहुंचे थे। लेकिन वहां स्थानीय लोगों ने उनका विरोध कर दिया।



स्थानीय लोगों का कहना था कि क्षेत्र में विकास के कार्य बेहतर नहीं हो पाए हैं। हम इस रैली का विरोध करेंगे। इसके बाद राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष के पास दिल्ली से संदेश आ गया कि फिलहाल पीएम मोदी का कार्यक्रम नहीं हो रहा है। अब इसे 15 अगस्त के बाद कराया जा सकता है। इस मामले में भाजपा के कुछ जिम्मेदार पदाधिकारियों का कहना है कि पीएम की रैली की कोई जानकारी न तो पहले थी और न अभी आई है।


विश्वस्त सूत्रों ने  बताया कि पीएम मोदी 28 जुलाई को नागौर के खरनाल में रैली करने वाले थे। इस कार्यक्रम के जरिए देशभर के नौ करोड़ किसानों के खाते में किसान सम्मान निधि भेजने की तैयारी थी। पीएमओ ने भी इस कार्यक्रम को फाइनल कर दिया था। लेकिन भाजपा संगठन और स्थानीय नेताओं को सूचना मिली कि पीएम की जनसभा में भीड़ जुटने का सर्वे ज्यादा उत्साहजनक नहीं है।

 

वहीं कुछ संगठन पीएम के दौरे का विरोध भी कर सकते हैं। इस तरह की रिपोर्ट मिलने के बाद भाजपा संगठन ने फिलहाल रैली को टालना उचित समझा। लेकिन पीएम का अगला दौरा अब अगस्त महीने सीकर में हो सकता है।

 

 


पीएम की रैली का हो सकता है 25 से 30 विधानसभा सीटों पर असर

पीएम मोदी पिछले नौ महीने में राजस्थान में सात सभाएं कर चुके हैं। वे आठवीं बड़ी सभा 28 जुलाई को नागौर के खरनाल में करने जा रहे थे। लेकिन अब यह सभा अगस्त में होने की बात सामने आ रही है। पीएम की इस रैली का असर नागौर सहित अन्य जिलों की करीब 25 से 30 विधानसभा सीटों पर दिखता।

 

नागौर और दौसा संसदीय सीट को राजस्थान में भाजपा के लिए सबसे कमजोर सीट माना जाता है। इसलिए इन सीटों को लेकर रणनीति बनाने के लिए केंद्रीय मंत्री संजीव बालयान को छह माह पहले से जिम्मेदारी दी गई है। गुर्जर-मीणा बहुल दौसा में मोदी पहले ही एक बड़ी सभा कर चुके हैं। साथ ही पूर्वी राजस्थान के समीकरण साधने के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह समेत भाजपा के बड़े नेताओं के लगातार दौरे हो रहे हैं।

 


इसलिए जाट बहुल नागौर को साधने के लिए भाजपा ने समाज के आराध्य लोक देवता वीर तेजाजी की जन्मस्थली खरनाल को मोदी की सभा के लिए चुना था। पिछली बार नागौर सीट भाजपा ने हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी को गठबंधन में लाने के लिए खाली छोड़ी थी। रालोपा से गठबंधन टूटने के बाद भाजपा नागौर सीट को अपने दम पर जीतने की रणनीति बना रही है। 2013 में भाजपा ने नागौर की 10 विधानसभा सीटों में से 9 सीटें जीती थीं, जबकि 2018 के चुनाव में उसे सिर्फ दो ही सीटों पर संतोष करना पड़ा। इस लिहाज से भाजपा के लिए नागौर विधानसभा और लोकसभा दोनों चुनावों के लिए चुनौतीपूर्ण बना हुआ है

 


इसलिए चुना गया था नागौर को

विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए भाजपा सभी जातिगत समीकरण साधने में जुटी हुई है। इसलिए पीएम मोदी जाट समाज को साधने के लिए राजस्थान आ रहे थे। अब तक राजस्थान में हुई सभाओं के लिए चिन्हित स्थानों पर गौर करें, तो मोदी ने गुर्जर-मीणा-आदिवासी और एससी बेल्ट को फोकस किया है। गुर्जरों को साधने के लिए मोदी की भीलवाड़ा के आसींद में सभा हुई, उसके बाद गुर्जर-मीणा बहुल दौसा, आदिवासी बहुलता वाले बांसवाड़ा, अजमेर और सिरोही में सभाएं कर चुके हैं। 8 जुलाई को एससी के लिए रिजर्व बीकानेर लोकसभा सीट पर हुई मोदी की सभा के बाद इस माह राजस्थान में यह उनका दूसरा दौरा होना था।

 

 

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