
शिक्षक नहीं, एक आंदोलन का नाम हैं शर्मा सर
शिक्षा से भविष्य निर्माण – एक प्रेरक सफ़र
आगरा, शुक्रवार, 5 सितम्बर 2025, सुबह 6:00 बजे IST
शिक्षा केवल एक पेशा नहीं, बल्कि एक मिशन है — और इस मिशन को अपने जीवन का ध्येय बना चुके डॉ. अरुण शर्मा आज आगरा मंडल ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर भारत में एक प्रेरणा का नाम बन चुके हैं। उनके लिए “शिक्षक” शब्द सीमित नहीं है; वे एक विचार हैं, एक आंदोलन हैं, एक संकल्प हैं — जो यह साबित करता है कि शिक्षा के सहारे मिट्टी से मुकाम तक पहुँचना न केवल संभव है, बल्कि आवश्यक भी।
इनायतपुर से आगरा तक: संघर्षों से भरी एक यात्रा
इनायतपुर गाँव में जन्मे अरुण शर्मा का बचपन अभावों से भरा था। एक साधारण किसान परिवार में जन्मे अरुण के लिए किताबें जुटाना भी एक चुनौती थी। स्कूल की फीस भरना, स्टेशनरी खरीदना, और परीक्षा की तैयारी करना — ये सब उनके लिए किसी युद्ध से कम नहीं थे। लेकिन शिक्षा के प्रति उनकी प्यास इतनी गहरी थी कि हालात भी उस जज़्बे को रोक नहीं पाए।
उनके पिता ने कभी कहा था, “बेटा, खेत की मिट्टी से ही फसल निकलती है, और तुम्हें इसी मिट्टी से अपना भविष्य बनाना है।” यही वाक्य अरुण शर्मा के जीवन का मूल मंत्र बन गया।
देश के टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज तक का सफ़र
अरुण शर्मा ने न केवल हाई स्कूल में टॉप किया, बल्कि इंटरमीडिएट में भी मंडल स्तर पर स्थान प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने देश के टॉप-10 इंजीनियरिंग कॉलेजों में से एक में प्रवेश लिया। वहाँ उन्होंने कंप्यूटर साइंस में डिग्री प्राप्त की और फिर भारत की टॉप-3 सॉफ़्टवेयर कंपनियों में सॉफ़्टवेयर इंजीनियर के रूप में कार्य किया।
कॉर्पोरेट दुनिया में सफलता के बावजूद उनके मन में एक विचार लगातार गूंजता रहा — “ज्ञान का असली मूल्य तभी है, जब वह बाँटा जाए।” यही सोच उन्हें वापस शिक्षा की ओर ले आई।
शिक्षा का असली मूल्य – बाँटने में है
2016 में उन्होंने कॉर्पोरेट नौकरी छोड़ दी और आगरा लौट आए। एक छोटे से कमरे में उन्होंने कुछ छात्रों को पढ़ाना शुरू किया। उनके पढ़ाने का तरीका, उनकी भाषा, उनका दृष्टिकोण — सब कुछ छात्रों को इतना प्रभावित करता था कि जल्द ही वह कमरा छात्रों के सपनों की पहली सीढ़ी बन गया।
उनका मानना था कि “शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं है, यह जीवन जीने की कला है।”
मोशन अकैडमी – शिक्षा को आंदोलन बनाने की शुरुआत
2017-18 में उन्होंने अपने छोटे भाई विशाल शर्मा के साथ मिलकर “मोशन अकैडमी” की स्थापना की। यह केवल एक कोचिंग संस्थान नहीं था, बल्कि एक विचार था — कि हर छात्र को समान अवसर मिले, चाहे वह गाँव से हो या शहर से।
मोशन अकैडमी ने IIT-JEE और NEET की तैयारी के लिए एक नया मानक स्थापित किया। यहाँ पढ़ने वाले छात्रों को न केवल विषयवस्तु की गहराई सिखाई जाती है, बल्कि उन्हें जीवन के प्रति दृष्टिकोण भी दिया जाता है।
परिणाम ही प्रमाण – टॉपर्स की फैक्ट्री
सिर्फ़ सात वर्षों में मोशन अकैडमी ने हज़ारों छात्रों को सफलता की राह दिखाई है। आगरा मंडल के कई IIT-JEE और NEET टॉपर्स इसी संस्थान से निकले हैं। यहाँ पढ़ने वाले छात्र कहते हैं, “शर्मा सर केवल शिक्षक नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक हैं। वे हमारे सपनों को दिशा देते हैं।”
संस्थान के रिकॉर्ड बताते हैं कि हर साल कम से कम 50 छात्र राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं में चयनित होते हैं। यह आँकड़ा केवल संख्या नहीं, बल्कि उस मेहनत और समर्पण का प्रमाण है जो शर्मा सर और उनकी टीम छात्रों के लिए करते हैं।
अपनी मिट्टी का ऋण – इनायतपुर में इंटरनेशनल स्कूल
अरुण शर्मा ने यह महसूस किया कि गाँव के बच्चों को भी वही अवसर मिलने चाहिए जो शहर के बच्चों को मिलते हैं। इसी सोच से उन्होंने इनायतपुर में “मोशन इंटरनेशनल स्कूल” की नींव रखी। यह स्कूल केवल एक भवन नहीं, बल्कि उस संकल्प का प्रतीक है कि गाँव का बच्चा भी विश्वस्तरीय शिक्षा प्राप्त कर सकता है।
यहाँ स्मार्ट क्लासरूम, डिजिटल लाइब्रेरी, विज्ञान प्रयोगशाला और खेल मैदान जैसी सुविधाएँ उपलब्ध हैं। स्कूल में अंग्रेज़ी और हिंदी दोनों माध्यमों में शिक्षा दी जाती है, ताकि बच्चे अपनी जड़ों से जुड़े रहें और उड़ान भी भर सकें।
जीवन दर्शन – शिक्षा से ही बदलाव
डॉ. अरुण शर्मा का स्पष्ट मानना है:
“गरीबी कोई स्थायी सत्य नहीं है। यह सिर्फ़ एक परिस्थिति है, जिसे शिक्षा, मेहनत और धैर्य से बदला जा सकता है।”
उनका विश्वास है कि एक व्यक्ति का संघर्ष और शिक्षा के प्रति समर्पण, पूरी पीढ़ियों का भविष्य बदल सकता है। वे कहते हैं, “अगर एक बच्चा पढ़ता है, तो उसका पूरा परिवार बदलता है। अगर एक परिवार बदलता है, तो पूरा समाज बदल सकता है।”
छात्रों के लिए संदेश
शर्मा सर का संदेश स्पष्ट है:
“सपने देखो और उन्हें पूरा करने के लिए जी-जान से मेहनत करो। हालात चाहे कितने भी कठिन हों, अगर शिक्षा और इरादा साथ हो, तो कोई सपना अधूरा नहीं रहता।”
वे छात्रों को केवल परीक्षा पास करने की नहीं, बल्कि जीवन में सफल होने की शिक्षा देते हैं। उनके लिए शिक्षा का मतलब है — सोचने की क्षमता, निर्णय लेने की समझ और समाज के प्रति जिम्मेदारी।
शर्मा सर – शिक्षा का आंदोलन
आज “शर्मा सर” केवल एक शिक्षक का नाम नहीं, बल्कि एक आंदोलन का नाम है:
- शिक्षा को हर दिल तक पहुँचाने का आंदोलन
- गाँव से लेकर शहर तक समान अवसर देने का आंदोलन
- और यह साबित करने का आंदोलन कि शिक्षा ही असली शक्ति है, जो किसी भी मिट्टी को मुकाम तक पहुँचा सकती है
यह कहानी सिर्फ़ डॉ. अरुण शर्मा की नहीं, बल्कि उन हज़ारों छात्रों की भी है, जिनके सपनों को शिक्षा ने उड़ान दी है। यह आंदोलन अब एक संस्थान नहीं, बल्कि एक विचार बन चुका है — जो हर उस बच्चे को आवाज़ देता है, जो कहता है: “मैं भी कर सकता हूँ।”



