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आगरा: निजी स्कूलों की ‘लूट’ और मनमानी के खिलाफ अभिभावकों का फूटा गुस्सा, बीएसए ऑफिस पर जोरदार प्रदर्शन

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आगरा: शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता की कमी, बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता और निजी स्कूलों की बढ़ती मनमानी से त्रस्त अभिभावकों का गुस्सा सोमवार को शहर के बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) कार्यालय पर जोरदार प्रदर्शन के रूप में फूट पड़ा। अभिभावक संघ के नेतृत्व में दर्जनों की संख्या में अभिभावकों ने इकट्ठा होकर प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और अपनी समस्याओं को लेकर एक ज्ञापन सौंपा। उन्होंने दो टूक चेतावनी दी कि जब तक निजी स्कूलों की अवांछित हरकतों और ‘लूट’ पर प्रभावी ढंग से लगाम नहीं लगती, उनका यह आंदोलन जारी रहेगा और पूरे जिले में फैलाया जाएगा।

सुबह से ही जुटने लगे थे अभिभावक

सोमवार की सुबह होते ही बीएसए कार्यालय के बाहर अभिभावकों का जुटना शुरू हो गया था। हाथों में तख्तियां लिए और निजी स्कूलों की मनमानी नीतियों के खिलाफ नारे लगाते हुए उन्होंने अपनी आवाज बुलंद की। उनका मुख्य आक्रोश स्कूलों द्वारा मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने, एनसीईआरटी की किताबों के बजाय चुनिंदा निजी पब्लिशर्स की महंगी किताबें खरीदने का दबाव बनाने और कक्षाओं में छात्रों की अत्यधिक संख्या को लेकर था।

क्या हैं अभिभावकों के मुख्य मुद्दे?

अभिभावक संघ के संयोजक डॉ. मदन मोहन शर्मा ने इस दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए शिक्षा तंत्र पर तीखे सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “यह कैसा सिस्टम है जहां शिक्षा के नाम पर अभिभावकों को लूटा जा रहा है? एक कक्षा में 80 से 100 तक बच्चे ठूंसे जा रहे हैं, जिससे न तो बच्चों पर ठीक से ध्यान दिया जा रहा है और न ही उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल पा रही है।” उन्होंने कहा कि निजी स्कूल मुनाफाखोरी पर उतर आए हैं और महंगी किताबों के नाम पर कमीशनखोरी का खेल चल रहा है।

ज्ञापन में अभिभावकों ने निम्नलिखित प्रमुख मुद्दे उठाए:

  • मनमानी फीस वृद्धि: निजी स्कूलों द्वारा हर साल नियमों के विरुद्ध जाकर फीस बढ़ाना, जिससे अभिभावकों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ता है।
  • महंगी किताबों की बिक्री: सरकार द्वारा निर्धारित एनसीईआरटी की सस्ती और गुणवत्तापूर्ण किताबों के बजाय निजी पब्लिशर्स की अत्यधिक महंगी किताबें खरीदने के लिए अभिभावकों को मजबूर करना।
  • भीड़भाड़ वाली कक्षाएं: एक क्लासरूम में तय संख्या से कहीं ज़्यादा बच्चों को बिठाना, जिससे पढ़ाई का माहौल खराब होता है और बच्चों की सेहत पर भी असर पड़ता है।
  • शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट: फीस बढ़ाने के बावजूद शिक्षा के स्तर में कोई सुधार न होना।
  • शासनादेशों की अनदेखी: निजी स्कूलों द्वारा शिक्षा विभाग और सरकार द्वारा जारी निर्देशों और नियमों की लगातार अनदेखी करना।

प्रशासन को सौंपा गया ज्ञापन

प्रदर्शन के दौरान, अभिभावक संघ के सदस्यों ने प्रशासनिक अधिकारी आनंद मोहन श्रीवास्तव को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए शिक्षा विभाग से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की गई। उन्होंने मांग की कि फीस वृद्धि पर नियंत्रण किया जाए, एनसीईआरटी की किताबें सभी स्कूलों में अनिवार्य कराई जाएं, कक्षाओं में छात्र-शिक्षक अनुपात सही किया जाए और शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाएं। प्रशासनिक अधिकारी ने अभिभावकों की शिकायतों को ध्यानपूर्वक सुना और उन्हें उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया।

कार्रवाई न होने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी

प्रदर्शन में डॉ. मदन मोहन शर्मा के अलावा पंडित नकुल सारस्वत, मोनिका नाज खान, अरुण श्रीवास्तव, विधायक शर्मा, मोहम्मद हाशिम, हृतिक सैनी, दीपक, शिवराज सिंह, सचिन सहित कई अन्य अभिभावक भी शामिल हुए। सभी ने एकजुट होकर कहा कि वे अपने बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि जल्द से जल्द उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया और निजी स्कूलों की मनमानी पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो यह आंदोलन केवल बीएसए कार्यालय तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे आगरा जिले में व्यापक रूप से फैलाया जाएगा और स्कूल प्रशासन तथा शिक्षा विभाग के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी। अभिभावकों का कहना था कि ‘शिक्षा का अधिकार’ सिर्फ कागजों में नहीं होना चाहिए, बल्कि यह बच्चों को कक्षाओं में मिलने वाली शिक्षा में दिखना चाहिए।

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