
35 साल बाद राहत की सांस: पनवारी कांड के 35 दोषियों को हाईकोर्ट से मिली जमानत
जातीय हिंसा के चर्चित मामले में एससी-एसटी कोर्ट से सजा के बाद हाईकोर्ट ने दी राहत
आगरा, शुक्रवार, 29 अगस्त 2025, शाम 5:47 बजे IST
⚖️ हाईकोर्ट का फैसला: 35 दोषियों को मिली जमानत
आगरा के बहुचर्चित पनवारी कांड में एससी-एसटी कोर्ट द्वारा पांच साल की सजा पाए 35 दोषियों को आखिरकार हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है। विधायक चौधरी बाबूलाल की पैरवी के बाद यह फैसला आया। जेल प्रशासन को आदेश मिलते ही सभी दोषियों की रिहाई की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
🕰️ 21 जून 1990: जब पनवारी गांव में भड़की जातीय हिंसा
सिकंदरा क्षेत्र के पनवारी गांव में 21 जून 1990 को भरत सिंह कर्दम की बहन मुंद्रा की बारात आनी थी। जाट बाहुल्य इस गांव में कुछ दबंगों ने बारात चढ़ने का विरोध किया, जिससे माहौल बिगड़ गया। जाट और जाटव समुदाय के बीच हिंसक संघर्ष हुआ, जिसमें कई लोगों की जानें गईं और सबसे अधिक नुकसान जाटव समाज को हुआ।
🔥 दंगे की आग: भरतपुर से भी पहुंचे हमलावर
इस हिंसा की चिंगारी इतनी तेज थी कि भरतपुर और आसपास के इलाकों से भी जाट समुदाय के लोग आगरा पहुंच गए। जाटवों की बस्तियों पर हमले हुए, घर जलाए गए, लूटपाट और मारपीट की घटनाएं सामने आईं। हालात इतने बिगड़ गए कि प्रशासन को गांव में कर्फ्यू लगाना पड़ा।
👮 प्रशासन की चुनौती: गोली चलाकर भागी पुलिस
तत्कालीन जिलाधिकारी अमल कुमार वर्मा और एसएसपी कर्मवीर सिंह ने हालात संभालने की कोशिश की, लेकिन उपद्रवियों ने अधिकारियों के सामने ही हिंसा फैलाई। पुलिस को आत्मरक्षा में गोली चलानी पड़ी और अंततः गांव से पीछे हटना पड़ा। करीब 10 दिनों तक पनवारी गांव में कर्फ्यू लगा रहा।
📑 मुकदमे की प्रक्रिया: 22 लोगों की मृत्यु, 35 को सजा
इस मामले में लंबी कानूनी प्रक्रिया चली। विचारण के दौरान 22 अभियुक्तों की मृत्यु हो गई। 30 मई 2025 को एससी-एसटी कोर्ट ने 35 दोषियों को पांच साल का कठोर कारावास और 26 हजार रुपये का अर्थदंड सुनाया। यह सभी अभियुक्त जेल में बंद थे।
🗣️ विधायक बाबूलाल की भूमिका: हाईकोर्ट में की पैरवी
विधायक चौधरी बाबूलाल ने हाईकोर्ट में इन दोषियों की जमानत के लिए सक्रिय पैरवी की। गुरुवार को अदालत ने सभी 35 दोषियों को जमानत दे दी। विधायक ने कहा कि यह फैसला न्याय की दिशा में एक अहम कदम है।
🧠 सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
पनवारी कांड ने उत्तर प्रदेश की राजनीति को भी झकझोर दिया था। उस समय मुलायम सिंह यादव की सरकार थी और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी व सोनिया गांधी ने भी पीड़ितों से मुलाकात की थी। इस घटना ने जातीय संघर्ष और सामाजिक असमानता पर गहरा प्रभाव डाला।