पाकिस्तान में हाल ही में हुए ट्रेन हाईजैक की घटना ने एक बार फिर बलूचिस्तान के स्वतंत्रता आंदोलन और मोहम्मद अली जिन्ना के ऐतिहासिक धोखे को लेकर चर्चा छेड़ दी है। जाफर एक्सप्रेस ट्रेन के हाईजैक के बाद पाकिस्तानी सेना ने दावा किया कि उसने 33 बलूच विद्रोहियों को मार गिराया है और यात्रियों को बचा लिया है। हालांकि, बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) का दावा है कि 150 नागरिक अभी भी उनके कब्जे में हैं। इस घटना के बीच बलूचिस्तान के स्वतंत्रता संग्राम और जिन्ना के धोखे की कहानी एक बार फिर सामने आई है। 1947 में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के समय बलूचिस्तान चार रियासतों – कलात, खारन, लास बेला और मकरान – के रूप में अस्तित्व में था। इन रियासतों के पास तीन विकल्प थे: भारत में शामिल होना, पाकिस्तान में विलय करना या अपनी स्वतंत्रता बनाए रखना। जिन्ना के प्रभाव में तीन रियासतों ने पाकिस्तान में विलय कर लिया, लेकिन कलात ने स्वतंत्रता का विकल्प चुना। कलात के खान, मीर अहमद यार खान ने 1946 में जिन्ना को अपना कानूनी सलाहकार नियुक्त किया था। 4 अगस्त, 1947 को दिल्ली में हुई एक बैठक में, जिसमें लॉर्ड माउंटबेटन और जवाहरलाल नेहरू शामिल थे, जिन्ना ने कलात की स्वतंत्रता का समर्थन किया। हालांकि, बाद में जिन्ना ने अपना रुख बदल दिया और कलात को पाकिस्तान में विलय करने के लिए दबाव डाला। 15 अगस्त, 1947 को कलात ने स्वतंत्रता की घोषणा की, लेकिन जिन्ना ने इसे मानने से इनकार कर दिया। अक्टूबर 1947 में, जिन्ना ने कलात के खान से पाकिस्तान में विलय करने का आग्रह किया। जब खान ने इनकार किया, तो पाकिस्तानी सेना ने बलूच तटीय क्षेत्र पर कब्जा कर लिया। अंततः, 26 मार्च, 1948 को कलात के खान को जिन्ना की शर्तों पर विलय के दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया। इस तरह, 226 दिनों तक स्वतंत्र रहने के बाद, बलूचिस्तान को पाकिस्तान में मिला दिया गया। कलात के विलय के बाद, खान के भाई प्रिंस अब्दुल करीम ने 1948 में पाकिस्तान के खिलाफ पहला सशस्त्र विद्रोह किया। हालांकि इस विद्रोह को कुछ ही समय में दबा दिया गया, लेकिन इसने बलूच राष्ट्रवाद के बीज बो दिए। तब से लेकर आज तक बलूचिस्तान में पाकिस्तान के खिलाफ आक्रोश और संघर्ष जारी है। पाकिस्तान ने बलूचिस्तान के साथ हमेशा सौतेला व्यवहार किया है। यहां के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन तो किया गया, लेकिन क्षेत्र के विकास और लोगों के कल्याण पर ध्यान नहीं दिया गया। इसके कारण बलूचिस्तान में असंतोष और विद्रोह की भावना बढ़ती गई। आज भी बलूचिस्तान में पाकिस्तान के खिलाफ स्वतंत्रता का आंदोलन जारी है, जिसका प्रमुख कारण जिन्ना का ऐतिहासिक धोखा और पाकिस्तान का दमनकारी रवैया है। हाल ही में हुए जाफर एक्सप्रेस ट्रेन हाईजैक की घटना बलूचिस्तान के विद्रोह का एक नया अध्याय है। बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने इस घटना की जिम्मेदारी ली है और दावा किया है कि 150 नागरिक अभी भी उनके कब्जे में हैं। पाकिस्तानी सेना ने दावा किया है कि उसने 33 विद्रोहियों को मार गिराया है और यात्रियों को बचा लिया है, लेकिन BLA के दावे ने स्थिति को संदेहास्पद बना दिया है।