
नई दिल्ली, बुधवार, 3 सितम्बर 2025, शाम 7:25 बजे IST
हर साल आम जनता बजट का इंतज़ार करती है — यह जानने के लिए कि कौन-सी चीज़ें सस्ती होंगी और कौन-सी महंगी। लेकिन इस बार बजट से पहले ही यह तस्वीर साफ हो रही है। 3 और 4 सितम्बर को दिल्ली में आयोजित हुई 56वीं GST काउंसिल की बैठक में टैक्स स्लैब को लेकर ऐतिहासिक बदलाव की तैयारी की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर केंद्र सरकार ने GST ढांचे को सरल करने और आम जनता को राहत देने की दिशा में कदम बढ़ाया है।
बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की। इसमें देश के सभी राज्यों के वित्त मंत्री, केंद्र के राजस्व सचिव और GST सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। बैठक में मौजूदा चार GST स्लैब — 5%, 12%, 18% और 28% — को घटाकर सिर्फ दो स्लैब रखने का प्रस्ताव रखा गया: 5% और 18%।
क्या होगा सस्ता?
सरकार ने संकेत दिए हैं कि 12% और 28% वाले स्लैब को समाप्त कर दिया जाएगा। वर्तमान में 12% स्लैब में 250 से अधिक वस्तुएं आती हैं, जबकि 28% स्लैब में लगभग 30 वस्तुएं शामिल हैं। इन दोनों स्लैब को समाप्त कर देने से इन वस्तुओं की कीमतों में सीधा असर पड़ेगा।
GST काउंसिल की बैठक में 223 वस्तुओं को 5% स्लैब में और बाकी को 18% स्लैब में रखने का प्रस्ताव रखा गया है। इससे करीब 175 वस्तुओं पर टैक्स दरों में कटौती की संभावना है। सरकार का उद्देश्य है कि रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुएं सस्ती हों और आम आदमी को राहत मिले।
सस्ते सामानों की सूची
बैठक में जिन वस्तुओं को सस्ता करने की योजना बनाई गई है, उनमें शामिल हैं:
- जूते, कपड़ा, दवाएं, ट्रैक्टर, घी, मक्खन, ड्राई फ्रूट, कॉफी — इन पर वर्तमान में 12% GST है, जिसे घटाकर 5% किया जा सकता है।
- एसी, फ्रिज, टीवी, वॉशिंग मशीन, सीमेंट — इन पर 28% GST है, जिसे घटाकर 18% किया जा सकता है।
- बच्चों की पढ़ाई से जुड़ी चीजें — जैसे पेंसिल, साइकिल, मैप, ग्लोब, नोटबुक आदि को 5% स्लैब में लाया जा सकता है।
- साइकिल, छाता, हेयर पिन, साबुन, टूथपेस्ट, शैम्पू, रेडीमेड गारमेंट, फर्टिलाइज़र, टायर्स, मेडिसिन — इन पर भी 12% से घटाकर 5% GST लगाने की तैयारी है।
इसके अलावा, कुछ वस्तुओं को शून्य टैक्स के दायरे में लाने का प्रस्ताव भी रखा गया है — जैसे घरेलू उपयोग की कुछ आवश्यक वस्तुएं, जिनकी कीमतों में भारी गिरावट आ सकती है।
होटल, बीमा और छोटी कारें भी सस्ती
सरकार का फोकस सिर्फ वस्तुओं पर नहीं, सेवाओं पर भी है। बैठक में यह प्रस्ताव रखा गया कि:
- हेल्थ इंश्योरेंस और जीवन बीमा पर GST पूरी तरह समाप्त किया जाए।
- 7,500 रुपये से कम किराये वाले होटल के कमरे पर GST को 12% से घटाकर 5% किया जाए।
- छोटी कारें (1200cc तक) पर GST को 28% से घटाकर 18% किया जाए।
इससे मध्यम वर्ग को सीधा लाभ मिलेगा और पर्यटन, ऑटोमोबाइल और बीमा क्षेत्र को भी बढ़ावा मिलेगा।
किन चीजों की कीमतें बढ़ेंगी?
जहां एक ओर आम जनता को राहत देने की कोशिश की जा रही है, वहीं दूसरी ओर सरकार ने कुछ वस्तुओं पर टैक्स बढ़ाने का प्रस्ताव भी रखा है। इनमें शामिल हैं:
- सिन गुड्स और लग्जरी आइटम्स — जैसे शराब, पान मसाला, तंबाकू, शुगर ड्रिंक्स, फास्ट फूड, लग्जरी कारें।
- इन पर 40% का विशेष टैक्स लगाने का प्रस्ताव है, जिसे “सिन टैक्स” कहा जा रहा है।
- केमिकल वुड पल्प, गैस माइनिंग सर्विस, बिजनेस क्लास हवाई टिकट — इन पर GST को 18% तक बढ़ाया जा सकता है।
सरकार का उद्देश्य है कि इन वस्तुओं के उपभोग को नियंत्रित किया जाए और राजस्व में वृद्धि की जाए।
राज्यों की प्रतिक्रिया
GST स्लैब में बदलाव से राज्यों के राजस्व पर असर पड़ सकता है। विपक्ष-शासित राज्यों — जैसे पंजाब, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना — ने बैठक से पहले एक अलग बैठक कर यह मांग की थी कि अगर स्लैब घटाए जाते हैं, तो केंद्र सरकार राजस्व की भरपाई करे।
इन राज्यों का कहना है कि 12% और 28% स्लैब से उन्हें सबसे अधिक राजस्व मिलता है। अगर इन्हें समाप्त किया जाता है, तो उन्हें भारी नुकसान होगा। केंद्र सरकार ने आश्वासन दिया है कि एक विशेष मुआवजा योजना पर विचार किया जाएगा।
व्यापारियों और उपभोक्ताओं की प्रतिक्रिया
व्यापारिक संगठनों ने GST स्लैब को सरल करने के प्रस्ताव का स्वागत किया है। उनका कहना है कि इससे टैक्स कंप्लायंस आसान होगा और व्यापार में पारदर्शिता आएगी। छोटे व्यापारियों को राहत मिलेगी और उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर सामान मिलेगा।
उपभोक्ताओं ने भी इस प्रस्ताव को सकारात्मक बताया है। सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं कि “अब बजट का इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा, GST काउंसिल ही राहत दे रही है।”
GST रिफॉर्म का व्यापक असर
GST स्लैब में बदलाव सिर्फ टैक्स दरों तक सीमित नहीं है। इसका असर पूरे आर्थिक ढांचे पर पड़ेगा:
- मुद्रास्फीति पर नियंत्रण — आवश्यक वस्तुओं की कीमतें घटेंगी, जिससे महंगाई पर असर पड़ेगा।
- खपत में वृद्धि — सस्ती दरों पर सामान मिलने से उपभोग बढ़ेगा।
- उद्योगों को प्रोत्साहन — खासकर टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल, फार्मा और एफएमसीजी सेक्टर को लाभ मिलेगा।
- राजस्व में पुनर्संरचना — सरकार को कुछ क्षेत्रों में राजस्व नुकसान होगा, लेकिन खपत बढ़ने से यह संतुलित हो सकता है।
आगे क्या?
GST काउंसिल की बैठक 4 सितम्बर को समाप्त होगी, जिसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अंतिम निर्णयों की घोषणा करेंगी। प्रस्तावित बदलावों को लागू करने के लिए संसद में संशोधन की आवश्यकता नहीं होगी, क्योंकि GST काउंसिल के निर्णय स्वतः लागू होते हैं।
सरकार ने संकेत दिए हैं कि अगले वित्त वर्ष से पहले ही नए स्लैब लागू कर दिए जाएंगे, ताकि बजट में इनकी घोषणा न करनी पड़े। यह एक नई परंपरा की शुरुआत हो सकती है — जहां बजट से पहले ही टैक्स रिफॉर्म्स लागू किए जाएं।