किम जोंग उन की बख्तरबंद ट्रेन से चीन यात्रा: रहस्य, शक्ति और रणनीति का प्रदर्शन

बीजिंग/प्योंगयांग, बुधवार, 3 सितम्बर 2025, रात 8:23 बजे IST

उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन एक बार फिर चर्चा में हैं — इस बार उनकी बख्तरबंद ट्रेन यात्रा को लेकर। जहां दुनिया के अधिकांश राष्ट्राध्यक्ष अंतरराष्ट्रीय यात्राओं के लिए विशेष विमानों का उपयोग करते हैं, वहीं किम जोंग उन अपनी विशेष ट्रेन से सफर करना पसंद करते हैं। सोमवार को उन्होंने प्योंगयांग से बीजिंग तक 20 घंटे की यात्रा की और चीन की राजधानी में आयोजित भव्य मिलिट्री परेड में भाग लिया।

यह परेड द्वितीय विश्व युद्ध में जापान की हार के 80 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित की गई थी। चीन हर साल 3 सितम्बर को ‘विक्ट्री डे’ के रूप में मनाता है और इस बार की परेड विशेष रूप से भव्य थी — जिसमें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन एक साथ मंच पर दिखाई दिए।

ट्रेन नहीं, चलता किला

किम जोंग उन की ट्रेन को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि यह एक चलता-फिरता किला है। हरे रंग की यह ट्रेन पूरी तरह बुलेटप्रूफ है और इसके हर डिब्बे को स्टील की मोटी परत से सुरक्षा दी गई है। ट्रेन में आधुनिक संचार तकनीक, सैटेलाइट फोन, बड़े मीटिंग हॉल, डाइनिंग कार, वाइन बार और प्राइवेट सुइट्स तक मौजूद हैं।

इस ट्रेन का उपयोग केवल किम जोंग उन ही नहीं, बल्कि उनके पिता किम जोंग-इल और दादा किम इल-सुंग भी करते थे। यह ट्रेन उत्तर कोरिया की सत्ता का प्रतीक बन चुकी है — एक ऐसा प्रतीक जो सुरक्षा, गोपनीयता और शक्ति को दर्शाता है।

यात्रा का उद्देश्य और रणनीतिक संदेश

किम जोंग उन की यह यात्रा केवल एक परेड में भाग लेने तक सीमित नहीं थी। यह एक रणनीतिक संदेश था — चीन, रूस और उत्तर कोरिया की त्रिपक्षीय एकता का प्रदर्शन। परेड के दौरान तीनों नेता एक साथ मंच पर दिखाई दिए, जिससे यह संकेत गया कि ये देश पश्चिमी शक्तियों के खिलाफ एकजुट हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह यात्रा अमेरिका और उसके सहयोगियों को एक स्पष्ट संदेश देने के लिए की गई थी — कि एशिया में एक नया ध्रुव बन रहा है, जो सैन्य और राजनीतिक रूप से संगठित है।

ट्रेन की गति और खर्च

यह विशेष ट्रेन केवल 60 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलती है। इसकी धीमी गति का कारण सुरक्षा है — ताकि रास्ते की पूरी जांच-पड़ताल की जा सके और किसी भी खतरे को टाला जा सके। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस ट्रेन पर प्रति किलोमीटर करीब ₹15–18 लाख भारतीय रुपये खर्च होता है।

इस ट्रेन के साथ दो और ट्रेनें चलती हैं — एक सुरक्षा कर्मियों और जांच दल के लिए, और दूसरी सप्लाई व अन्य सामान के लिए। पूरा काफिला एक साथ चलता है, जिससे सुरक्षा का स्तर अत्यंत उच्च हो जाता है।

कहां-कहां जाती है यह ट्रेन?

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, किम जोंग उन की यह ट्रेन मुख्य रूप से उत्तर कोरिया से चीन और रूस तक जाती है। 2019 में भी उन्होंने इसी ट्रेन से रूस और चीन की यात्राएं की थीं। सुरक्षा कारणों से यह ट्रेन केवल उन देशों तक जाती है जहां रेल कनेक्शन मौजूद है और जहां किम की यात्रा रणनीतिक दृष्टि से आवश्यक होती है।

कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि यह ट्रेन मंगोलिया तक भी जा सकती है, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है।

परेड में किम की उपस्थिति और ड्रेस कोड

बीजिंग में आयोजित परेड में किम जोंग उन ने पारंपरिक समाजवादी पोशाक की जगह पश्चिमी शैली का सूट पहना — काले रंग का सूट, सफेद शर्ट और हल्के सुनहरे रंग की टाई। यह पहली बार था जब उन्होंने सार्वजनिक रूप से इस तरह की पोशाक पहनी, जिससे यह संकेत गया कि वे एक “सामान्य राष्ट्राध्यक्ष” की छवि प्रस्तुत करना चाहते हैं।

परेड के दौरान किम जोंग उन ने शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिन के साथ मंच साझा किया, हाथ मिलाया और मुस्कराते हुए बातचीत की। यह दृश्य चीन के सरकारी चैनल CCTV पर लाइव प्रसारित हुआ और पूरी दुनिया ने इसे देखा।

किम की ट्रेन और उत्तर कोरिया की परंपरा

उत्तर कोरिया में ट्रेन यात्रा केवल एक साधन नहीं, बल्कि एक परंपरा है। किम जोंग-इल ने भी विमान यात्रा से परहेज़ किया और ट्रेन से ही रूस और चीन की यात्राएं कीं। किम जोंग उन भी इसी परंपरा का पालन कर रहे हैं। माना जाता है कि वे लंबी दूरी की हवाई यात्रा से परहेज़ करते हैं — सुरक्षा कारणों और व्यक्तिगत भय के चलते।

उनकी ट्रेन को “Taeyangho” कहा जाता है — जिसका अर्थ है “चलता हुआ किला”। इसमें उनके निजी वाहन, विदेशी भोजन, वाइन और विशेष सुरक्षा उपकरण मौजूद होते हैं।

परेड में शामिल अन्य नेता और संदेश

इस परेड में किम जोंग उन के अलावा 25 अन्य देशों के नेता शामिल हुए। रूस के राष्ट्रपति पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ किम की उपस्थिति ने एक नया राजनीतिक समीकरण प्रस्तुत किया। यह पहली बार था जब तीनों नेता एक साथ किसी सार्वजनिक मंच पर दिखाई दिए।

किम ने बेलारूस के राष्ट्रपति को उत्तर कोरिया आने का निमंत्रण भी दिया, जिससे यह संकेत गया कि वे अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर अधिक सक्रिय भूमिका निभाना चाहते हैं।

आगे क्या?

किम जोंग उन की यह यात्रा केवल एक परेड तक सीमित नहीं थी। यह एक रणनीतिक प्रदर्शन था — जिसमें उत्तर कोरिया ने अपनी सैन्य शक्ति, राजनीतिक एकता और अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति को दर्शाया। उनकी ट्रेन यात्रा, ड्रेस कोड और मंच पर उपस्थिति — सब कुछ एक सोच-समझी रणनीति का हिस्सा था।

यह यात्रा बताती है कि उत्तर कोरिया अब केवल एक रहस्यमयी देश नहीं, बल्कि एक रणनीतिक खिलाड़ी बनना चाहता है — जो अपने पारंपरिक तरीकों से भी वैश्विक मंच पर प्रभाव डाल सकता है।

Thakur Pawan Singh

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