आगरा: आगरा के खटीकपाड़ा में 21 मई 1993 को हुई भीषण जल त्रासदी के पीड़ितों को 32 साल बाद भी न्याय का इंतजार है। इस दर्दनाक घटना में जल संस्थान की सप्लाई का जहरीला पानी पीने से 21 लोगों की जान चली गई थी। इतने वर्षों बाद भी, पीड़ित परिवारों के घावों पर मरहम नहीं लग सका है।
तब राज्यपाल से लेकर केंद्र सरकार तक ने मृतकों के परिजनों को आर्थिक मदद और तमाम आश्वासनों दिए थे। लेकिन समय के साथ ये वादे भुला दिए गए। आज भी कई घरों में रोटी का संकट है, और जिन माताओं ने जवानी में अपने सुहाग को खोया है, वे अभी भी अपने बच्चों का पालन-पोषण करने के लिए संघर्ष कर रही हैं।
पीड़ितों को न नौकरी मिली, न दोषियों पर कार्रवाई
उत्तर प्रदेश खटीक समाज के प्रदेश अध्यक्ष तजेंद्र राजाैरा ने बताया कि जल संस्थान की लापरवाही से 21 लोगों की जान गई थी। उन्होंने कहा कि उस समय सरकार ने आंसू पोंछे थे, लेकिन अब तक न तो आश्रितों को नौकरी मिली है और न ही दोषियों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई हुई है।
राजाैरा ने बताया कि शुद्ध पेयजल की व्यवस्था का वादा भी अधूरा है। बुधवार को समाज के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन जिलाधिकारी कार्यालय में दिया। इस ज्ञापन में पीड़ितों को नौकरी, शुद्ध पेयजल व्यवस्था, डिस्पेंसरी और बस्ती में उचित सफाई व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग की गई है। खटीकपाड़ा के लोग आज भी उम्मीद कर रहे हैं कि उन्हें 32 साल पुराने इस दुखद अध्याय का न्याय मिल सकेगा।