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जस्टिस बी.वी. नागरत्ना बनेंगी देश की पहली महिला CJI, सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम में शामिल

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गुरुवार, 19 जून 2025, 10:58:30 AM. आगरा, उत्तर प्रदेश।

जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है, क्योंकि वह सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम में शामिल होने वाली पहली महिला जज बन गई हैं। 23 मई को जस्टिस अभय श्रीनिवास ओका के रिटायरमेंट के बाद, 25 मई को जस्टिस नागरत्ना सुप्रीम कोर्ट की पांचवीं सबसे वरिष्ठ जज बन गईं, जिससे उन्हें कोलेजियम में स्थान मिला। सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम में देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) सहित पांच सबसे वरिष्ठ जज शामिल होते हैं।

भारत की 50वीं CJI होंगी जस्टिस नागरत्ना

भारत में मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति वरिष्ठता के आधार पर होती है। इस व्यवस्था के अनुसार, जस्टिस बी.वी. नागरत्ना 11 सितंबर 2027 को भारत की 50वीं मुख्य न्यायाधीश बनेंगी, और इस प्रतिष्ठित पद पर पहुंचने वाली वह पहली महिला होंगी। हालांकि, उनका कार्यकाल लगभग एक महीने का होगा। अपने न्यायिक करियर के दौरान, जस्टिस नागरत्ना ने कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाए हैं, जिन्होंने न्यायपालिका में उनकी सशक्त और प्रगतिशील सोच को दर्शाया है।

प्रमुख ऐतिहासिक फैसले

जस्टिस नागरत्ना के कुछ सबसे उल्लेखनीय फैसलों में शामिल हैं:

  • बिलकिस बानो केस: 2004 में, जस्टिस नागरत्ना और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने बिलकिस बानो केस में गुजरात सरकार द्वारा 11 दोषियों को दी गई रिहाई को अवैध घोषित कर दिया। बेंच ने स्पष्ट किया कि दोषियों को महाराष्ट्र की विशेष अदालत ने सजा सुनाई थी, इसलिए उनकी रिहाई का अधिकार महाराष्ट्र सरकार को था, न कि गुजरात सरकार को। यह फैसला न्याय और पीड़ितों के अधिकारों के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल बना।
  • मंत्रियों के बयानों पर सरकार की जिम्मेदारी: 2023 में, 5 जजों की संविधान पीठ में जस्टिस नागरत्ना ने इस बात पर सहमति जताई कि सरकार अपने मंत्रियों द्वारा दिए गए व्यक्तिगत बयानों के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार नहीं है, बशर्ते वे बयान आधिकारिक नीति का हिस्सा न हों।
  • नोटबंदी पर असहमति: 2023 में, 5 जजों की बेंच में से 4 जजों ने 2016 में हुई नोटबंदी को वैध ठहराया, जबकि जस्टिस नागरत्ना ने इससे असहमति जताई। उन्होंने अपने अल्पसंख्यक फैसले में कहा कि नोटबंदी जैसा महत्वपूर्ण आर्थिक निर्णय संसद के माध्यम से होना चाहिए था, न कि केवल कार्यकारी आदेश के माध्यम से। यह उनके लोकतांत्रिक सिद्धांतों में विश्वास को दर्शाता है।
  • अवैध विवाह से जन्मे बच्चों के अधिकार: जस्टिस नागरत्ना ने अवैध विवाह से जन्मे बच्चों को अनुकंपा नियुक्ति का अधिकारी माना। उन्होंने इस फैसले में मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए कहा कि “माता-पिता अवैध हो सकते हैं, लेकिन कोई बच्चा अवैध नहीं होता।”
  • कोरोना महामारी के दौरान निर्देश: कोरोना महामारी के दौरान, उन्होंने कर्नाटक सरकार को मिड डे मील योजना को जारी रखने और डिजिटल शिक्षा को जारी रखने के निर्देश दिए, जिससे बच्चों की शिक्षा और पोषण सुनिश्चित हो सके।

जस्टिस नागरत्ना का कोलेजियम में शामिल होना और भविष्य में CJI बनना भारत के न्यायिक इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगा, जो महिला सशक्तिकरण और न्यायपालिका में विविधता को बढ़ावा देगा।

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