
Wednesday, 27 August 2025, 6:26:42 PM. Jammu, Jammu & Kashmir
तवी नदी का रौद्र रूप, कॉलोनियों में मचा हाहाकार
जम्मू में इस बार की बारिश कहर बनकर टूटी। मंगलवार की दोपहर तक सब कुछ सामान्य लग रहा था, लेकिन कुछ ही घंटों की मूसलाधार बारिश ने हालात ऐसे बिगाड़ दिए कि लोग सिर पर गठरी और कंधों पर बच्चों को उठाकर भागते नजर आए। तवी नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बहने लगा और देखते-देखते राजीव कॉलोनी, जम्मू विश्वविद्यालय क्षेत्र और आसपास की बस्तियाँ पानी में डूब गईं।
राजीव कॉलोनी का निचला इलाका पूरी तरह जलमग्न हो गया। घरों के निचले तल पर रखा सामान मिट्टी और गंदे पानी में बर्बाद हो गया। कई परिवारों को अपना घर छोड़कर सुरक्षित जगहों पर शरण लेनी पड़ी।
विश्वविद्यालय का होस्टल खाली करवाया गया
तवी नदी में बाढ़ आने का असर जम्मू विश्वविद्यालय तक भी पहुँचा। प्रशासन ने तुरंत कदम उठाते हुए विश्वविद्यालय के सभी होस्टल खाली करवाए। छात्रों को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया गया। बारिश और बाढ़ के कारण छात्रों में दहशत का माहौल बना रहा।
विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने भी राहत कार्यों में योगदान दिया। वे राजीव कॉलोनी पहुँचकर परिवारों को घरों से बाहर निकालने में मदद करते रहे। कई छात्रों ने स्थानीय लोगों को पानी में फँसे सामान को बाहर निकालने में भी सहयोग दिया।
राजीव कॉलोनी में जलजमाव से तबाही
करीब एक घंटे की लगातार बारिश ने राजीव कॉलोनी की तस्वीर पूरी तरह बदल दी। तीन फीट से ज्यादा पानी भर गया। सड़क पर खड़ी गाड़ियाँ बहने लगीं और घरों में रखा सामान डूब गया।
सतपाल सिंह, विजय कुमार, सीमा देवी, मोनिका और कासिम जैसे स्थानीय निवासियों ने बताया कि उनके घरों का निचला हिस्सा पूरी तरह जलमग्न हो गया है। कीचड़ से घर रहना मुश्किल हो गया है। बहुत से परिवार सिर्फ जरूरी सामान ही निकाल पाए। सीमा देवी ने कहा, “बच्चों की सुरक्षा सबसे बड़ी चिंता है। बारिश में कहाँ जाएँ, समझ नहीं आ रहा।”
300 से अधिक परिवार बेघर
राजीव कॉलोनी में करीब 300 से अधिक परिवार रहते हैं। इनमें ज्यादातर दूसरे राज्यों से आए मजदूर और छोटे कर्मचारी हैं, जो किराये पर रह रहे थे। अचानक आई इस आपदा में सभी परिवारों को घर खाली करना पड़ा।
कुछ लोग अपने रिश्तेदारों और परिचितों के यहाँ चले गए जबकि कई परिवार अस्थायी शरण स्थलों में शिफ्ट किए गए। प्रशासन ने राहत कैंप बनाने शुरू कर दिए हैं, लेकिन भारी भीड़ के कारण वहाँ भी अव्यवस्था देखने को मिली।
पुल धंसने से बढ़ी दहशत
मौसम की मार के बीच मंगलवार की दोपहर बाद और बड़ा खतरा सामने आया। खबर आई कि भगवती नगर तवी पुल का एक हिस्सा धंस गया है। इसके बाद शहर भर में दहशत फैल गई।
तवी नदी के अन्य तीन पुलों को भी प्रशासन ने बंद कर दिया। इसका सीधा असर शहर की आवाजाही पर पड़ा। लोग अपने घरों की ओर भागने लगे। दोपहर दो बजे के बाद से ही शहर के अधिकांश बाजारों में दुकानों के शटर गिरने लगे।
बाजारों में सन्नाटा और सड़कों पर जाम
सामान्य दिनों में चहल-पहल से भरे रहने वाले रघुनाथ बाजार, सिटी चौक, राजेंद्र बाजार, कनक मंडी, पुरानी मंडी, जैन बाजार और शालामार जैसे इलाकों में सन्नाटा पसर गया। हर कोई अपने घर की ओर दौड़ता नजर आया।
चारों ओर एक ही दृश्य था – बंद बाजार, भागते लोग और पानी से लबालब सड़कें। अचानक बढ़ी भीड़ और रास्तों के बंद होने से पूरे शहर में जाम की स्थिति हो गई। महिलाएँ और बच्चे बारिश में फँसे रहे। कुछ परिवार जरूरी सामान की खरीदारी करने निकले, लेकिन अधिकांश दुकानों के बंद होने से लोगों को भारी दिक्कतें उठानी पड़ीं।
लोग क्यों हुए सबसे ज्यादा परेशान
इस आपदा ने जम्मू के लोगों को असमंजस और दहशत में डाल दिया। राजीव कॉलोनी जैसे क्षेत्रों में बसे गरीब और किरायेदार परिवारों के पास कहीं और जाने का विकल्प नहीं था। वे बारिश में ही बच्चों और सामान के साथ बाहर निकलने को मजबूर हुए।
वहीं दूसरी ओर, शहर के बाजारों के अचानक बंद हो जाने से आम लोगों को खाने-पीने और जरूरी सामान जुटाने में परेशानी हुई। जाम की वजह से लोग घंटों सड़क पर फँसे रहे।
प्रशासन की तैयारी पर उठे सवाल
भारी बारिश और बाढ़ के इस हालात ने प्रशासन की तैयारियों की पोल खोल दी। राजीव कॉलोनी जैसे संवेदनशील इलाकों में पहले से चेतावनी दी गई थी, फिर भी राहत और बचाव दल देर से पहुँचे।
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने अलर्ट तो जारी किया था, लेकिन समय पर कदम नहीं उठाए। अगर पहले ही पुख्ता तैयारी की जाती तो इतना नुकसान नहीं होता।
लोगों की मदद को आगे आए युवा
संकट की घड़ी में जम्मू विश्वविद्यालय और आसपास के कॉलेजों के छात्र-युवा आगे आए। उन्होंने नाव और रस्सियों की मदद से कई परिवारों को सुरक्षित निकाला।
कई धार्मिक और सामाजिक संगठनों ने भी राहत कार्य शुरू किए। जरूरतमंदों को खाने-पीने का सामान और अस्थायी ठिकाने उपलब्ध कराए गए।
भविष्य की चिंता और भय
इस बारिश ने जम्मू शहर की नाजुक बुनियादी ढाँचे और योजनाओं पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। लोग अब यह सोचने को मजबूर हैं कि हर साल आने वाली ऐसी प्राकृतिक आपदाओं से कैसे निपटा जाएगा।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि प्रशासन को नालों की सफाई, मजबूत तटबंध और वैकल्पिक पुलों के निर्माण पर ध्यान देना चाहिए। अगर ऐसे ही हालात बने रहे तो हर बारिश के मौसम में हजारों लोगों को बेघर होना पड़ेगा।
अंततः, जम्मू की यह बारिश और उससे उपजी बाढ़ केवल प्राकृतिक आपदा नहीं बल्कि चेतावनी है। यह शहर के ढाँचे, प्रशासनिक तैयारी और आम लोगों की मजबूरी की कहानी भी बयाँ करती है। आने वाले दिनों में हालात सामान्य हो सकते हैं, लेकिन इस घटना ने लोगों के मन में डर और अनिश्चितता की गहरी छाप छोड़ दी है।