5 मई 2025, आगरा ।
आज का समय केवल सेना के साहस का नहीं, बल्कि हर भारतीय नागरिक की जिम्मेदारी और चेतना का भी परीक्षण है। जब सीमाओं पर स्थिति तनावपूर्ण होती है और देश युद्ध जैसे हालातों से गुजर रहा होता है, तब केवल वर्दी में सैनिक ही नहीं, बल्कि हर आम नागरिक एक सैनिक की भूमिका में होता है। हाल ही में चर्चित “ऑपरेशन सिंदूर” जैसे अभियानों ने हमें यह अहसास कराया है कि देश की रक्षा सिर्फ मोर्चे पर नहीं, बल्कि घर-घर में होती है।
जब हमारी सेनाएं सीमाओं पर डटी होती हैं, तब नागरिकों की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। यह भूमिका केवल समर्थन की नहीं, बल्कि सक्रिय सहयोग की भी होती है, जिसमें संवेदनशीलता, समझदारी, एकता और अनुशासन की आवश्यकता होती है।
उदाहरण स्वरूप:
- सेना का साथ देना: प्रत्यक्ष नहीं तो परोक्ष रूप से
हमारे सैनिक छुट्टियाँ रद्द कर अपने-अपने मोर्चों पर तैनात हो चुके हैं। इस समय उनकी सबसे बड़ी चिंता उनके परिवार की सुरक्षा होती है। हमारा यह परम कर्तव्य बनता है कि हम उनके परिवारों को भावनात्मक, सामाजिक और ज़रूरत पड़ने पर आर्थिक भी, यानी हर संभव सहयोग दें, ताकि सैनिक निश्चिंत होकर राष्ट्र की सेवा कर सकें।
- राजनीतिक एकता: सभी दलों को राष्ट्रहित में एकजुट होना चाहिए
युद्धकाल कोई राजनीति का समय नहीं होता। ऐसे समय में सभी राजनीतिक पार्टियों का यह कर्तव्य बनता है कि वे सरकार के निर्णयों में साथ खड़ी रहें और विदेशों में भी भारत की एक सशक्त और एकजुट छवि प्रस्तुत करें।
- आपसी भाईचारे का परिचय
धर्म, जाति, भाषा और क्षेत्रीय भिन्नताओं से ऊपर उठकर हमें यह दिखाना होगा कि भारत एक परिवार है। सामाजिक एकता और भाईचारा ही हमारी सबसे बड़ी आंतरिक ताकत है, जो हमें किसी भी दुश्मन से अधिक शक्तिशाली बनाती है।
- अफवाहों से बचें और रोकें
युद्धकाल में दुश्मन की सबसे बड़ी ताकत अफवाहें होती हैं। वे समाज में डर, भ्रम और अस्थिरता फैलाने के लिए झूठी खबरें फैलाते हैं। हमारा दायित्व है कि हम ऐसी किसी भी जानकारी को सत्यापित किए बिना न फैलाएं और अफवाह फैलाने वालों को तुरंत रिपोर्ट करें।
- सोशल मीडिया पर ज़िम्मेदार व्यवहार
सोशल मीडिया एक सशक्त मंच है, लेकिन यह दोधारी तलवार भी है। हमें चाहिए कि इस मंच का उपयोग केवल सकारात्मक संदेश, सेना के समर्थन और राष्ट्र के पक्ष में करने के लिए करें। किसी भी प्रकार की नकारात्मक टिप्पणी, आलोचना या असत्य प्रचार से बचें।
- सरकारी निर्देशों का पालन और भागीदारी
सरकार द्वारा समय-समय पर ब्लैकआउट ड्रिल, सुरक्षा अभ्यास और अन्य जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं। नागरिकों का इन अभियानों में सक्रिय भाग लेना देश की सुरक्षा के प्रति सजगता दर्शाता है।
- सतर्कता: हर नागरिक एक प्रहरी
यह याद रखना आवश्यक है कि दुश्मन का खुफिया तंत्र हमारे बीच में ही हो सकता है। किसी भी संदेहजनक गतिविधि, व्यक्ति या वस्तु की जानकारी तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन या सुरक्षा एजेंसियों को दें। चुप रहना, देशद्रोहियों को मौन समर्थन देने जैसा हो सकता है।
- व्यक्तिगत लाभ से परहेज़
ऐसे संकट के समय में कालाबाजारी, जमाखोरी, झूठी अफवाहों से लाभ उठाना, राष्ट्रद्रोह के समान है। नागरिकों को यह समझना होगा कि देश पहले है, हम बाद में।
“ऑपरेशन सिंदूर” और युद्ध जैसे हालात हमें यह सिखाते हैं कि नागरिकों की भूमिका केवल वोट देने तक सीमित नहीं है, बल्कि देश की रक्षा, अखंडता और एकता को बनाए रखने में भी है। जब सैनिक सीमा पर अपने प्राणों की बाज़ी लगाते हैं, तो हम नागरिकों को भी अपने अपने मोर्चों पर ईमानदारी, निष्ठा और सहयोग से लड़ना चाहिए।

लेखक के बारे में
कर्नल जी. एम. ख़ान, सेना मेडल वीरता पुरस्कार से सम्मानित पैराशूट स्पेशल फ़ोर्स से अवकाशप्राप्त अधिकारी है। कर्नल खान सैन्य मामलों मे महारत रखने के साथ साथ विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े है। आप निरीह बच्चों को शिक्षा दिलाने मे प्रयत्नशील रहते है ।