
वाशिंगटन/बीजिंग/नई दिल्ली, सोमवार, 1 सितंबर 2025
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को एक बार फिर भारत पर व्यापारिक असंतुलन का आरोप लगाते हुए कहा कि भारत ने अब अमेरिका पर टैरिफ घटाने की पेशकश की है, लेकिन यह बहुत देर से किया गया कदम है। ट्रम्प ने अपने सोशल मीडिया मंच ट्रुथ सोशल पर लिखा कि भारत ने वर्षों तक अमेरिकी सामानों पर अत्यधिक शुल्क लगाया, जिससे अमेरिकी कंपनियों को भारत में व्यापार करना मुश्किल हो गया। उन्होंने इसे एकतरफा आपदा करार दिया।
ट्रम्प ने कहा कि भारत अमेरिका को भारी मात्रा में सामान बेचता है, जबकि अमेरिका भारत को बहुत कम निर्यात करता है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारत अपनी ऊर्जा और रक्षा जरूरतों के लिए रूस पर निर्भर है, और अमेरिका से बहुत कम खरीद करता है। ट्रम्प ने यह दावा ऐसे समय में किया जब कुछ ही घंटे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की थी।
ट्रम्प ने भारत पर कुल 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने की बात दोहराई, जिसमें 25 प्रतिशत मूल शुल्क और 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क शामिल है। अतिरिक्त शुल्क का कारण भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद को बताया गया है। ट्रम्प ने कहा कि भारत रूस से तेल खरीदकर उसे खुले बाजार में बेच रहा है, जिससे पुतिन को यूक्रेन युद्ध जारी रखने में मदद मिल रही है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत को वर्षों पहले ही टैरिफ कम कर देना चाहिए था।
ट्रम्प के बयान के कुछ ही समय बाद उनके व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने भी भारत पर निशाना साधा। नवारो ने आरोप लगाया कि भारत के ब्राह्मण वर्ग रूसी तेल से मुनाफा कमा रहे हैं, जिसकी कीमत आम भारतीय चुका रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत रूस से तेल खरीदकर उसे यूक्रेन पर हमला करने के लिए आर्थिक सहायता दे रहा है। नवारो ने भारत को ‘रूस की धुलाई मशीन’ करार दिया और कहा कि भारत ऐसे गठजोड़ बना रहा है जो अमेरिका के हितों के खिलाफ हैं।
दूसरी ओर, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारत-अमेरिका संबंधों को 21वीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण साझेदारी बताया। उन्होंने कहा कि दोनों देश तकनीक, रक्षा, व्यापार और सांस्कृतिक सहयोग के माध्यम से नई संभावनाओं की तलाश कर रहे हैं। रुबियो ने यह भी कहा कि यह दोस्ती दोनों देशों के लोगों के विश्वास और प्रेम पर आधारित है।
इस बीच, न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत और अमेरिका के बीच हालिया तनाव की जड़ राष्ट्रपति ट्रम्प की नोबेल पुरस्कार पाने की इच्छा है। रिपोर्ट के अनुसार, 17 जून को ट्रम्प ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा था कि पाकिस्तान उन्हें नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित करने वाला है और उन्होंने भारत से भी ऐसा करने का संकेत दिया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी इस प्रस्ताव से नाराज हो गए थे।
SCO सम्मेलन के दौरान मोदी, पुतिन और शी जिनपिंग की मुलाकात को वैश्विक मंच पर एक नई धुरी के रूप में देखा जा रहा है। अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ और रूस से भारत की बढ़ती निकटता के बीच यह मुलाकात विशेष महत्व रखती है। भारत ने स्पष्ट किया है कि उसकी ऊर्जा जरूरतें उसके राष्ट्रीय हितों से जुड़ी हैं और वह किसी भी बाहरी दबाव के आगे नहीं झुकेगा।
ट्रम्प के बयान और नवारो के आरोपों के बाद भारत सरकार की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने संकेत दिया है कि भारत अपने रणनीतिक स्वायत्तता के सिद्धांत पर कायम रहेगा। भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में आई खटास को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति अस्थायी हो सकती है, बशर्ते दोनों पक्ष संवाद के माध्यम से समाधान की दिशा में आगे बढ़ें।
इस पूरे घटनाक्रम ने वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका को और अधिक जटिल बना दिया है। एक ओर जहां भारत SCO जैसे मंचों पर चीन और रूस के साथ सहयोग बढ़ा रहा है, वहीं दूसरी ओर अमेरिका के साथ उसके संबंधों में तनाव की स्थिति बनी हुई है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भारत इस संतुलन को कैसे साधता है और क्या अमेरिका अपने रुख में कोई नरमी लाता है या नहीं।