सहकारिता: भारत के विकास का प्रेरक शक्ति
डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में आयोजित सम्मेलन में सहकारिता को मिला महत्व
आगरा: डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के संस्कृति भवन में आयोजित एक विशेष सम्मेलन में सहकारिता के महत्व पर प्रकाश डाला गया। सहकार भारती के 47वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित इस कार्यक्रम में, देश के विभिन्न कोनों से आए विद्वानों, विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सहकारिता को भारत के समग्र विकास का एक महत्वपूर्ण आधार बताया।
सहकारिता क्या है?
सहकारिता एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें लोग मिलकर अपने साझा लक्ष्यों को प्राप्त करते हैं। यह एक ऐसा मॉडल है जहां सभी सदस्य समान रूप से भागीदार होते हैं और लाभों को साझा करते हैं। सहकारिता का मूल सिद्धांत है – “एक के लिए सभी और सभी के लिए एक”।
भारत में सहकारिता का इतिहास
भारत में सहकारिता का इतिहास काफी पुराना है। प्राचीन काल से ही भारतीय समाज में सहकारिता की भावना देखने को मिलती थी। ग्राम पंचायतें, मंदिर और अन्य सामुदायिक संस्थाएं सहकारिता के प्रारंभिक रूप थीं। ब्रिटिश शासन के दौरान सहकारिता आंदोलन को औपचारिक रूप दिया गया और स्वतंत्रता के बाद यह और अधिक मजबूत हुआ।
सहकारिता के लाभ
सहकारिता के कई लाभ हैं, जैसे:
- आर्थिक विकास: सहकारी समितियां ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को ऋण, बीज, उर्वरक और कृषि उपकरण उपलब्ध कराकर कृषि उत्पादन बढ़ाने में मदद करती हैं।
- सामाजिक एकता: सहकारिता समुदायों को एकजुट करती है और सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देती है।
- आर्थिक समृद्धि: सहकारी समितियां छोटे किसानों और व्यापारियों को संगठित करके उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार लाती हैं।
- सशक्तिकरण: सहकारिता महिलाओं और कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- रोजगार सृजन: सहकारी समितियां रोजगार के नए अवसर पैदा करती हैं।
- बाजार पहुंच: सहकारी समितियां किसानों को बाजार तक पहुंच प्रदान करती हैं और उन्हें बेहतर मूल्य दिलाती हैं।
सहकारिता का भविष्य
सहकारिता का भविष्य उज्ज्वल है। आधुनिक तकनीक का उपयोग करके सहकारी समितियां अपनी दक्षता बढ़ा सकती हैं और अधिक प्रभावी ढंग से काम कर सकती हैं। युवाओं को सहकारिता के बारे में जागरूक करना और उन्हें सहकारी समितियों में शामिल करना भी महत्वपूर्ण है। सरकार को भी सहकारी समितियों को प्रोत्साहित करने के लिए नीतिगत परिवर्तन करने चाहिए।
विशेषज्ञों का मानना है कि सहकारिता भारत के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
सम्मेलन में उपस्थित विशेषज्ञों ने कहा कि:
- सहकारिता ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
- सहकारिता सामाजिक असमानता को कम करने में मदद कर सकती है।
- सहकारिता युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा कर सकती है।
- सहकारिता देश को आत्मनिर्भर बनाने में मदद कर सकती है।
सहकार भारती के पदाधिकारियों ने भी इस अवसर पर सहकारिता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सहकारिता भारत की संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है और इसे और मजबूत बनाने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा।
सहकारिता भारतीय जीवन पद्धति का अविभाज्य अंग
सहकारिता के माध्यम से देश का समग्र विकास संभव है तथा भारत को यदि एक विकसित राष्ट्र का दर्जा प्राप्त करना है तो वह सरकार सहकारिता के माध्यम से ही संभव हो पाएगा – यह विचार आज यहाँ डॉक्टर भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के संस्कृति भवन के सभागार में विभिन्न विद्वानों ने प्रकट किया। कार्यक्रम था सहकार भारती के 47वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर सरकार संगोष्ठी का । कार्यक्रम संयोजक एवं सहकार भारती आगरा मंडल के विभाग संयोजक राकेश शुक्ला ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय कार्यकारणी की सदस्य श्रीमती करुणा नागर ने की तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत कार्यकारिणी के सदस्य श्री भवेंद्र जी मुख्य अतिथि थे ।
11 जनवरी के 47वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या कार्यक्रम का प्रारंभ दीपक प्रज्वलित कर माँ सरस्वती तथा सहकार भारती के संस्थापक स्वर्गीय लक्ष्मण राव इनामदार जी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर शुरू किया गया । प्रोफ़ेसर वेद प्रकाश त्रिपाठी ने सहकार भारती तथा इसके उद्देश्यों से सदस्यों का परिचय कराया , तत पश्चात विशिष्ट अतिथि डा॰ ओमवीर सिंह, सलाहकार राष्ट्रीय दुग्ध विकास बोर्ड, नई दिल्ली ने कहा कि सहकारिता का इतिहास भारत में वह पुराना है भारत में स्वतंत्रता से पूर्व सहकारिता के माध्यम से विकास के तमाम कार्य किए गए । उन्होने आगे कहा कि सहकारिता के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में विभाजनकारी प्रवृत्तियाँ पनपती हैं उनका भी उन्मूलन सहकारिता से किया जा सकता है ।श्री सिंह ने आगे बताया कि जिन जिन ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारी समितियों उन्हें उन उन क्षेत्रों में अदालती झगड़े और विवाद अधिकारियों को बहुत कम देखने को मिलता है । श्री सिंह ने कहा था की सहकारिता के माध्यम से उन्नत क़िस्म के बीच ग्रामीण क्षेत्रों में वितरित किए जा सकते है। विभाग संयोजक राकेश शुक्ला ने सहकार भारती के अनको लाभ बताए जैसे सहकारी संस्थाओं का सशक्तिकरण: छोटे व्यापारियों, किसानों और उद्यमियों को संगठित कर सामूहिक लाभ। आर्थिक विकास: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रोजगार व समृद्धि।
शिक्षा और जागरूकता: सहकारिता के महत्व पर प्रशिक्षण।सामाजिक एकता: समुदायों को जोड़कर समस्याओं का समाधान।सरकारी योजनाओं से जुड़ाव: योजनाओं का सही क्रियान्वयन।वित्तीय सहायता: सहकारी बैंकों से ऋण दिलाने में मदद।महिला एवं कमजोर वर्ग का उत्थान: आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण।सहकारिता विभाग के अपर जिला सहकारी अधिकारी श्री हरिओम जी ने कहा कि आज नैनो यूरिया तथा नैनों फर्टिलाइजर विकसित किए गए हैं जो न्यूनतम नुक़सान पहुँचाते हैं और फसलों की उत्पादकता को बढ़ाते हैं उन्होंने कहा कि सरकारी संस्थाओं के माध्यम से इस प्रकार की उर्वरकों का वितरण हो रहा हैं ये उर्वरक सस्ते भी पड़ते हैं और अधिक प्रभावशाली भी होते हैं । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री भवेन्द्र जी ने कहा कि सहकारिता के माध्यम से समाज में एकता तथा सद्भाव की स्थापना हो सकती है, पुरातन भारतीय समाज में सहकारिता के मूल्य स्वामियों को समाहित करने की वजह थी कि वह समाज आज की अपेक्षा बहुत सुखी समाज था उस समय सभी व्यक्तियों के निर्णयों में सहभागिता होती थी और वे सभी सामाजिक दायित्वों को सहकारिता के माध्यम से बढ़ी ही सक्रियता के साथ निभाते थे। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के डा॰ लव कुश मिश्रा ने कहा कि आज हमारा समाज व्यक्तिगत स्वार्थों की भेंट चढ़ गया है सभी एक दूसरे का गला काटने में लगे हैं सभी एक दूसरे को नुक़सान पहुँचाने में लगे हैं ऐसे में सहकारिता की भावना ही सब मैं उन्हें एक का सामंजस्य और सद्भावना की स्थापना कर सकती है जो की किसी भी देश के विकास के लिए बहत ही आवश्यक है। कार्यक्रम का संचालन विभाग संयोजक राकेश शुक्ला ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रोफ़ेसर पी के सिंह ने किया । सहकार भारती के सह संपर्क प्रमुख श्री राणा प्रताप जी ने भी अपने विचार व्यक्त किए । कार्यक्रम में मुख्य रूप से अपर जिला सहकारी अधिकारी कमलेश जी, श्रीमती नम्रता सिंह , श्रीमती मीना शर्मा, श्रीमती नीलम कुशवाह, श्रीमती राजकुमारी सिंह , श्रीमति मधु चौहान , प्रो भूपेंद्र सिंह, रोहित तबकले, सुशील तिवारी , प्रेम शंकर शुक्ला, प्रांजल पचौरी , अनुज खंडेलवाल, दुर्गेश पाण्डेय ,श्री चन्द्रशेखर शर्मा , संतोष कुलश्रेष्ठ, नंदनंदन गर्ग, संदीप दिवाकर, ,गंगा सिंह सिकरवार, रुचि मित्तल, प्रो॰ अमिता त्रिपाठी, डॉ॰ ज्योति गुप्ता, अनिल सिंघल नीलम सिरसा कुशवाहा, सुनीता, रुक्मणि, राजकुमारी, प्रेमलता, ममता, अनीता, सुनीता जादौन, रचना, अंजली, अर्चना, मंजू, पिंकी शर्मा लता, मीरा, रेणु, बबिता, श्यामवती, ज्योति, रीमा, लक्ष्मी निषाद, पल्लवी, रजनी, राजवती, ओमवती, ललतेश,रुक्मणि, हिमांशी, नेहा, रुचि मितल , रूपम सिंह सहित अनेकों सहकार कार्यकर्ता एवं गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
यह सम्मेलन सहकारिता के प्रति लोगों को जागरूक करने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।