
समुद्र में बढ़ी भारत की ताकत: नौसेना में शामिल हुए दो अत्याधुनिक युद्धपोत
Tue, 26 Aug 2025 03:54 PM IST
उदयगिरि और हिमगिरि का जलावतरण: हिंद महासागर में भारत का दबदबा और मजबूत
भारतीय नौसेना ने अपनी शक्ति में अभूतपूर्व वृद्धि करते हुए, मंगलवार को दो अत्याधुनिक युद्धपोत ‘आईएनएस उदयगिरि’ और ‘आईएनएस हिमगिरि’ को अपने बेड़े में शामिल किया। विशाखापत्तनम स्थित नौसैनिक बेस पर एक भव्य समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इन दो मल्टी-मिशन स्टील्थ फ्रिगेट का जलावतरण किया। यह भारत के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है, क्योंकि ये दोनों युद्धपोत पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित हैं।
यह पहला मौका है जब देश के दो अलग-अलग शिपयार्डों में निर्मित दो अग्रिम पंक्ति के युद्धपोतों को एक ही दिन भारतीय नौसेना में कमीशन किया गया है। जहां उदयगिरि को मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) ने बनाया है, वहीं हिमगिरि को कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) ने तैयार किया है। इन जहाजों के शामिल होने से न केवल नौसेना की युद्धक क्षमता में वृद्धि होगी, बल्कि यह भारत के नौसेना डिजाइन और निर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के संकल्प को भी पुष्ट करता है।
अत्याधुनिक तकनीक और घातक हथियार
‘उदयगिरि’ और ‘हिमगिरि’ दोनों ही प्रोजेक्ट 17 (शिवालिक) श्रेणी के फ्रिगेट के उन्नत संस्करण हैं। इनके डिज़ाइन, स्टील्थ (रडार से बच निकलने की क्षमता), हथियार और सेंसर प्रणालियों में महत्वपूर्ण सुधार किए गए हैं।
- स्टील्थ डिज़ाइन: इन युद्धपोतों में रडार-अवशोषक मैटेरियल और एंगल्ड डिज़ाइन का उपयोग किया गया है, जिससे दुश्मन के रडार पर इनकी पहचान करना बेहद मुश्किल हो जाता है।
- वजन और गति: लगभग 6,670 टन वजनी ये जहाज 149 मीटर लंबे हैं, जो एक 15 मंजिला इमारत के बराबर है। इनकी गति करीब 52 किमी/घंटा है और एक बार ईंधन भरने पर ये 10,000 किमी से अधिक की दूरी तय कर सकते हैं।
- ब्रह्मोस मिसाइल: ये पोत ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल से लैस हैं, जो समुद्र और जमीन दोनों पर 290+ किमी की दूरी से हमला करने में सक्षम हैं।
- पनडुब्बी रोधी हथियार: इनमें पनडुब्बी रोधी हथियार, आधुनिक तोप और सोनार सिस्टम भी लगे हैं, जो गहरे पानी में दुश्मन की पनडुब्बी का पता लगाने और उसे निष्क्रिय करने में सक्षम हैं। इसके अतिरिक्त, ये पोत सी किंग हेलीकॉप्टर को भी ले जा सकते हैं, जो पनडुब्बी रोधी अभियानों में बेहद महत्वपूर्ण होते हैं।
नौसेना प्रमुख का आक्रामक रुख
इस समारोह में नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने एक सख्त और स्पष्ट संदेश दिया। उन्होंने कहा कि “अनिश्चितताओं और प्रतिस्पर्धा के इस युग में समुद्र में भारी बल प्रदान करने की भारतीय नौसेना की क्षमता भारत के दुश्मनों के खिलाफ एक विश्वसनीय निवारक है।” उन्होंने हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का जिक्र किया, जिसमें नौसेना ने अपनी त्वरित तैनाती और आक्रामक रुख से पाकिस्तानी नौसेना को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था। उन्होंने यह भी दोहराया कि यदि भविष्य में ऐसी आवश्यकता पड़ी, तो भारतीय नौसेना एक बार फिर आक्रामक कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेगी।
आत्मनिर्भरता का नया अध्याय
यह उल्लेखनीय है कि ‘उदयगिरि’ नौसेना के वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो का 100वां डिजाइन किया गया जहाज है। इन युद्धपोतों के निर्माण में 200 से अधिक भारतीय कंपनियों ने योगदान दिया है, जिससे 4,000 से अधिक लोगों को सीधी और 10,000 से अधिक लोगों को अप्रत्यक्ष नौकरियां मिली हैं। यह आंकड़ा भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक बड़ी छलांग को दर्शाता है।
नौसेना ने भविष्य के लिए भी अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की है। आने वाले समय में विध्वंसक आईएनएस सूरत, फ्रिगेट आईएनएस नीलगिरि, पनडुब्बी आईएनएस वाघशीर, एएसडब्ल्यू शैलो वाटर क्राफ्ट आईएनएस अर्नाला और डाइविंग सपोर्ट वेसल आईएनएस निस्तार जैसे अन्य स्वदेशी पोतों को भी शामिल किया जाएगा।
चीन-पाकिस्तान को सीधा संदेश
‘उदयगिरि’ और ‘हिमगिरि’ का बेड़े में शामिल होना चीन और पाकिस्तान के लिए एक सीधा और कड़ा संदेश है। चीन हाल के वर्षों में हिंद महासागर में अपनी मौजूदगी लगातार बढ़ा रहा है, जबकि पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट पर चीनी नौसैनिक गतिविधियां भारत के लिए चिंता का विषय रही हैं। इन नए युद्धपोतों के आने से भारत न केवल अरब सागर और बंगाल की खाड़ी की प्रभावी ढंग से निगरानी कर पाएगा, बल्कि मलक्का जलडमरूमध्य तक चीनी जहाजों की हर हलचल पर पैनी नजर रख पाएगा। ये युद्धपोत हिंद महासागर में भारत की पकड़ को और भी मजबूत करेंगे, जिससे क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी।