सोशल मीडिया पर अचानक एक सनसनीखेज वीडियो वायरल हो गया, जिसमें प्रतिष्ठित ताजमहल पर भीषण हमले का दावा किया गया था। वीडियो में ताजमहल के शानदार गुंबद से आग की लपटें उठती दिखाई गईं, साथ ही दमकल की गाड़ियां कथित आग को बुझाने में जुटी हुई थीं। इस भयावह दृश्य ने पूरे इंटरनेट पर तहलका मचा दिया, जिससे लोगों में डर और भ्रम का माहौल पैदा हो गया।
भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों के बीच, इस फर्जी वीडियो ने देश में दहशत फैलाने की एक और कुटिल कोशिश की। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का दुरुपयोग करके भ्रमित करने वाले वीडियो तेजी से फैलाए गए। हालांकि, पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए सख्ती दिखाई है। ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के आगरा से सामने आया, जहां ताजमहल पर हमले का एक नकली वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर साझा किया गया। इस गंभीर मामले का संज्ञान लेते हुए, ताज सुरक्षा पुलिस ने तत्काल प्राथमिकी दर्ज की और वीडियो अपलोड करने वाले व्यक्ति की पहचान करने में जुट गई है। पुलिस ने आम जनता से ऐसे भ्रामक वीडियो को आगे साझा न करने की अपील की है और ऐसे शरारती तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है।
वायरल हुए वीडियो में आगरा स्थित ताजमहल के मुख्य गुंबद से आग की ऊंची लपटें निकलती हुई दिखाई दे रही थीं। बैकग्राउंड में दमकल की गाड़ियों की सायरन की आवाजें सुनाई दे रही थीं, और स्मारक से धुएं का गुबार उठता दिख रहा था। इस भयावह दृश्य को और अधिक सनसनीखेज बनाने के लिए, वीडियो के साथ एक टैगलाइन भी जोड़ी गई थी, जिसमें लिखा था ‘ताजमहल ऑन फायर’। इसके साथ ही, यह झूठा दावा भी किया गया कि यह हमला पाकिस्तान द्वारा किया गया था।
हालांकि, सच्चाई इससे कोसों दूर है। यह वीडियो अत्याधुनिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक का उपयोग करके बनाया गया एक पूर्णतः नकली और भ्रामक दृश्य था। पुलिस ने इस फर्जी वीडियो का संज्ञान लेते ही तत्काल इस पर कार्रवाई शुरू कर दी।
ताज सुरक्षा के सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) अरीब अहमद ने इस मामले की जानकारी देते हुए बताया कि जैसे ही यह वीडियो उनके संज्ञान में आया, उन्होंने तुरंत इस पर ‘फेक’ लिखकर लोगों को जागरूक किया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि यह वीडियो एआई तकनीक द्वारा जेनरेट किया गया है और आगरा में ऐसा कोई हमला नहीं हुआ है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वीडियो में ताजमहल पर पाकिस्तान द्वारा हमला किए जाने का झूठा दावा किया गया है। एसीपी अहमद ने यह भी बताया कि ऐसे भ्रामक वीडियो बनाकर अपलोड करने वाले और उन्हें आगे शेयर करने वाले लोगों की पहचान की जा रही है।
इस संबंध में साइबर थाने में एक औपचारिक मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने लोगों से बार-बार अपील की है कि वे ऐसे वीडियो को आगे न फैलाएं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि ऐसे संवेदनशील माहौल में कोई भी व्यक्ति भ्रामक वीडियो शेयर करता पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब उत्तर प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था पहले से ही बढ़ा दी गई है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद, उत्तर प्रदेश के प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों की सुरक्षा में विशेष सतर्कता बरती जा रही है। आगरा स्थित ताजमहल के साथ-साथ अयोध्या में राम मंदिर, मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और वाराणसी में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। ताजमहल की बात करें तो सोमवार सुबह से ही पर्यटकों का आना जारी रहा। सुरक्षा व्यवस्था के बीच लोग इस विश्व प्रसिद्ध इमारत का दीदार कर रहे हैं, जो यह दर्शाता है कि अफवाहों के बावजूद स्थिति सामान्य है।
यह घटना एआई तकनीक के दुरुपयोग का एक चिंताजनक उदाहरण है, जिसका इस्तेमाल गलत सूचना फैलाने और लोगों के बीच डर पैदा करने के लिए किया जा रहा है। यह हम सभी के लिए एक सबक है कि सोशल मीडिया पर प्रसारित होने वाली किसी भी खबर पर आँख मूंदकर विश्वास न करें और उसकी सत्यता की जांच जरूर करें। पुलिस और प्रशासन इस मामले की तह तक जाने और दोषियों को पकड़ने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।