नई दिल्ली। 13 से 15 दिसंबर 2025 तक आयोजित “फर्स्ट इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन रिवीजन जॉइंट एंड हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी” में आगरा के वरिष्ठ अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. अनूप खरे ने अपने अनूठे शोध और सर्जिकल कौशल से शहर का नाम रोशन किया। कॉन्फ्रेंस में डॉ. अनूप खरे द्वारा प्रस्तुत वैज्ञानिक शोधपत्र को चिकित्सकों ने जोरदार सराहना के साथ स्वीकार किया और उन्हें इस विशेष योगदान के लिए अंतरराष्ट्रीय सम्मान से नवाजा गया।
निराश मरीज को जीने की राह दी
डॉ. खरे ने एक ऐसे मरीज की कहानी साझा की जिसने सभी उम्मीदें खो दी थीं। 25 वर्षीय सचिन, जिसकी दोनों हिप जॉइंट खराब हो चुकी थीं, लंबे समय से असहनीय दर्द से जूझ रहा था। वह न ठीक से बैठ सकता था और न खड़ा हो सकता था। कई ऑपरेशनों के बावजूद उसे कोई राहत नहीं मिली। सचिन का आत्मविश्वास पूरी तरह टूट चुका था और उसने आत्महत्या के बारे में सोचना शुरू कर दिया था।
दिल्ली के कई बड़े अस्पतालों ने सचिन को सलाह दी कि उसकी खराब हड्डी को निकालकर कैडवेरिक बोन (डेड बोन) लगाई जाएगी। लेकिन धार्मिक मान्यताओं के कारण सचिन ने इस प्रक्रिया को अस्वीकार कर दिया। हताश होकर वह आगरा में डॉ. अनूप खरे के पास पहुंचा।
अनूठी सर्जरी का सफल प्रयोग
डॉ. अनूप खरे और उनके सहयोगी डॉ. तरुण खरे ने सचिन का हिप रिप्लेसमेंट करने का निर्णय लिया। इस सर्जरी में उन्होंने जॉनसन एंड जॉनसन के विशेष हिप इम्प्लांट का उपयोग किया, जो न केवल अत्यधिक सफल रहा, बल्कि सचिन के जीवन को नई दिशा देने वाला साबित हुआ।
सर्जरी के बाद सचिन पूरी तरह स्वस्थ हो गया। उसने न केवल अपनी सामान्य जीवनशैली दोबारा शुरू की, बल्कि अब वह शादीशुदा है और दो बच्चों का पिता है। एक समय जो आत्महत्या की सोच रहा था, आज वह खुशहाल और संतुष्ट जीवन जी रहा है।
वैज्ञानिक शोध ने बटोरी वाहवाही
डॉ. अनूप खरे ने इस केस स्टडी को कॉन्फ्रेंस में प्रस्तुत किया। उनके शोध ने यह दिखाया कि जटिल परिस्थितियों में भी सही तकनीक और विशेषज्ञता के साथ समाधान निकाला जा सकता है। चिकित्सकों ने इस अनूठी सर्जरी की प्रशंसा की और इसे एक प्रेरणादायक सफलता का उदाहरण बताया।
आगरा के लिए गर्व का क्षण
इस उपलब्धि ने न केवल डॉ. अनूप खरे के कौशल को उजागर किया, बल्कि आगरा शहर को भी चिकित्सा क्षेत्र में एक विशेष पहचान दिलाई। कॉन्फ्रेंस में उपस्थित चिकित्सकों ने कहा कि यह प्रयास चिकित्सा जगत में एक नई दिशा स्थापित करेगा और असाधारण परिस्थितियों में उम्मीद की किरण जगाने का काम करेगा।
डॉ. अनूप खरे की इस सफलता ने दिखाया कि सही दृष्टिकोण और तकनीक के साथ असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। यह कहानी केवल एक सर्जरी की नहीं, बल्कि जीवन को नई रोशनी देने और हिम्मत की नई परिभाषा गढ़ने की है।