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देश और विदेश में मिठास घोलने वाला पंछी पेठा: सुभाष गोयल को “तपन शिखर सम्मान” से नवाजा गया

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आगरा के पंछी पेठे ने मिठास और स्वाद के जरिए न केवल देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक अलग पहचान बनाई है। इस प्रतिष्ठित मिठाई व्यवसाय के स्वामी, श्री सुभाष चंद गोयल और उनके परिवार को लीडर्स आगरा एवं तपन फाउंडेशन द्वारा “तपन शिखर सम्मान” से सम्मानित किया गया। यह कार्यक्रम उनके नेहरू नगर स्थित आवास पर आयोजित किया गया, जहां शहर के प्रमुख व्यक्तियों ने उनकी उपलब्धियों और योगदान को सराहा।

पंछी पेठा: मिठास की अनोखी कहानी

पंछी पेठे की कहानी 1940 के दशक से शुरू होती है, जब श्री सुभाष गोयल के पिता, स्वर्गीय पंछी लाल ने इसे प्रारंभ किया। शुरुआती दौर में सिर्फ साधारण पेठा बनाया जाता था, लेकिन श्री सुभाष गोयल ने इसे आधुनिक स्वरूप देकर नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उन्होंने पेठे को 50 से अधिक वैरायटीज में पेश किया, जिनमें अनारसी पेठा, चॉकलेट पेठा, केसर पेठा जैसी अनोखी वैरायटी शामिल हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि आज “पंछी पेठा” आगरा की पहचान बन चुका है।

अयोध्या के रामलला को 56 प्रकार के पेठे का भोग

राममंदिर के उद्घाटन के अवसर पर पंछी पेठे की ओर से 56 प्रकार के अलग-अलग स्वादों के लड्डुओं का भोग लगाया गया। यह आयोजन पूरे देश में चर्चा का विषय बना। श्री सुभाष गोयल और उनके बेटे अमित गोयल ने इस भोग को विशेष रूप से तैयार करवाया। इस आयोजन के जरिए उन्होंने यह संदेश दिया कि भारतीय परंपराओं और त्योहारों को मिठास के साथ कैसे जोड़ा जा सकता है।

सम्मान समारोह की झलक

लीडर्स आगरा और तपन फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में श्री सुभाष चंद गोयल और उनकी पत्नी को शाल ओढ़ाकर और प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। उन्हें भव्य इलायची की माला पहनाई गई, जो इस सम्मान समारोह का एक विशेष आकर्षण थी। कार्यक्रम में लीडर्स आगरा के महामंत्री सुनील जैन ने कहा कि पंछी पेठे ने न केवल आगरा बल्कि पूरे देश को अपनी मिठास से गौरवान्वित किया है।

विदेशों में भी लोकप्रियता

पंछी पेठा न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी अपनी मिठास का जादू बिखेर चुका है। अमेरिका, कनाडा, यूके जैसे देशों में भारतीय प्रवासी इस पेठे के स्वाद के दीवाने हैं। यह पंछी पेठे की खासियत है कि इसे घर पर लाने के बाद भी लंबे समय तक इसकी ताजगी बरकरार रहती है।

युवा उद्यमिता को प्रेरणा

श्री सुभाष गोयल के पुत्र अमित गोयल ने अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाते हुए पेठे की नई वैरायटीज पेश कीं और इसे युवाओं के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बनाया। अमित ने पंछी पेठे के उत्पादन और वितरण में आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर इसे और उन्नत किया। इससे न केवल रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हुए, बल्कि पेठे को नई पीढ़ी के बीच भी लोकप्रिय बनाया गया।

आगरा की पहचान

आगरा को ताजमहल के साथ पंछी पेठा भी विशिष्ट पहचान दिलाता है। आगरा आने वाला हर पर्यटक इसे अपने साथ ले जाना नहीं भूलता। यह मिठाई न केवल स्वादिष्ट है, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा की मिठास को भी समेटे हुए है।

सम्मानित हस्तियां और उनके विचार

कार्यक्रम में शहर की कई प्रतिष्ठित हस्तियों ने भाग लिया। लीडर्स आगरा के सुनील जैन, अनिल जैन, हरिकांत शर्मा और अन्य सदस्यों ने श्री गोयल को शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया। कार्यक्रम के दौरान सुभाष गोयल ने कहा, “लोगों के प्यार और भरोसे की वजह से पंछी पेठे ने यह मुकाम हासिल किया है। हमारा उद्देश्य हमेशा से लोगों को उच्च गुणवत्ता और अनूठा स्वाद देना रहा है।”

भविष्य की योजनाएं

श्री सुभाष गोयल ने इस अवसर पर अपनी भविष्य की योजनाओं के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि वह पेठे की नई वैरायटीज पर काम कर रहे हैं, जो युवा पीढ़ी को आकर्षित करेंगी। साथ ही, वह उत्पादन प्रक्रिया को और अधिक पर्यावरण-संवेदनशील बनाने की दिशा में भी काम कर रहे हैं।

कार्यक्रम की प्रमुख बातें

  1. पंछी पेठा के योगदान को सराहने और सम्मानित करने का उद्देश्य।
  2. अयोध्या के राममंदिर के भोग में 56 प्रकार के पेठे का योगदान।
  3. आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर पंछी पेठे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाना।
  4. स्थानीय रोजगार को बढ़ावा और युवाओं को प्रेरणा देना।

निष्कर्ष

श्री सुभाष चंद गोयल और उनके परिवार द्वारा पंछी पेठे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने के प्रयासों ने आगरा और भारत को गर्व का अनुभव कराया है। “तपन शिखर सम्मान” न केवल उनके प्रयासों की सराहना है, बल्कि यह उन सभी उद्यमियों के लिए प्रेरणा है जो परंपरागत व्यवसायों को आधुनिक तकनीकों और विचारों के साथ आगे बढ़ाना चाहते हैं।

इस प्रकार, पंछी पेठा न केवल मिठास की कहानी है, बल्कि यह आगरा की सांस्कृतिक और व्यावसायिक धरोहर का प्रतीक भी है।

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कार्यक्रम की चित्र झलकियां

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