ताज ट्रैपेजियम ज़ोन ऑथोरिटी के कार्यों पर सोशल ऑडिट की मांग, पर्यावरणविदों ने जताई चिंता
आगरा, 21 नवंबर:
आगरा में प्रदूषण की बढ़ती समस्या ने एक बार फिर पर्यावरणविदों और जागरूक नागरिकों का ध्यान खींचा है। ताज ट्रैपेजियम ज़ोन (टीटीज़ेड) के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में प्रदूषण से निपटने के लिए अब तक उठाए गए कदमों की प्रगति और उनकी प्रभावशीलता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
ज्ञापन सौंपकर व्यक्त की गंभीर चिंता:
रिवर कनेक्ट कैंपेन के प्रतिनिधि बृज खंडेलवाल और डॉ. देवाशीष भट्टाचार्य ने ताज ट्रैपेजियम ज़ोन (टीटीज़ेड) ऑथोरिटी की अध्यक्ष ऋतु माहेश्वरी को ज्ञापन सौंपा। इसमें उन्होंने 1994 में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बावजूद आगरा की प्रदूषण स्थिति में सुधार न होने पर गहरी चिंता जताई। पर्यावरणविदों का कहना है कि टीटीज़ेड के गठन के बावजूद वायु, जल, और ध्वनि प्रदूषण में लगातार वृद्धि हो रही है।
उन्होंने विशेष रूप से 1994 की डॉ. एस. वरदराजन समिति की सिफारिशों पर पुनर्विचार की आवश्यकता पर बल दिया। इन सिफारिशों में वायु गुणवत्ता सुधारने, जल प्रदूषण घटाने और अन्य प्रदूषण नियंत्रण उपायों का विस्तृत खाका तैयार किया गया था।
सोशल ऑडिट की मांग:
पर्यावरणविदों ने टीटीज़ेड के अंतर्गत लागू सभी प्रदूषण निवारण परियोजनाओं का सामाजिक ऑडिट कराने की मांग की है। उनका मानना है कि सरकारी नीतियों और योजनाओं का प्रभाव मापने के लिए यह कदम आवश्यक है। उन्होंने सुझाव दिया कि ऑडिट में हितधारकों की भागीदारी होनी चाहिए, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि योजनाएं न केवल कागज पर प्रभावी हों, बल्कि धरातल पर भी सुधार लाएं।
प्रदूषण के कारण और समाधान:
ज्ञापन में आगरा में बढ़ते वायु प्रदूषण के कई कारणों को रेखांकित किया गया है, जिनमें मुख्यतः यातायात की भीड़, सड़कों की खराब स्थिति, अतिक्रमण, और वाहनों के अनुचित उपयोग शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, शहर में निजी वाहनों का अंधाधुंध उपयोग वायु गुणवत्ता को और खराब कर रहा है।
पर्यावरणविदों का कहना है कि शहर की वर्तमान नीतियां मशीनों और वाहनों को प्राथमिकता देती हैं, जबकि मानव केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। इसके तहत:
- सार्वजनिक परिवहन को प्रोत्साहन:
शहर में बस सेवाओं और अन्य सार्वजनिक परिवहन साधनों को मजबूत किया जाए। इससे निजी वाहनों पर निर्भरता कम होगी और वायु प्रदूषण घटेगा। - पैदल चलने और साइकिलिंग को बढ़ावा:
पैदल चलने वालों और साइकिल सवारों के लिए अलग ट्रैक बनाए जाएं। साइकिलिंग के लिए लोगों को प्रेरित करने के उद्देश्य से सब्सिडी या अन्य प्रोत्साहन दिए जाएं। - फुटपाथ पर अतिक्रमण हटाना:
फुटपाथ पर अवैध कब्जे और दुकानों को हटाकर पैदल यात्रियों के लिए सुरक्षित रास्ता सुनिश्चित किया जाए। - वाहन प्रौद्योगिकी में सुधार:
पुराने और प्रदूषणकारी वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाया जाए और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जाए।
ताजमहल और पर्यावरणीय संकट:
पर्यावरणविदों ने आगरा की ऐतिहासिक धरोहर, विशेष रूप से ताजमहल, पर प्रदूषण के खतरों को रेखांकित किया। ताजमहल का संगमरमर वायु में मौजूद प्रदूषणकारी तत्वों के कारण पीला पड़ रहा है। इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और क्षेत्र में जल प्रदूषण से यह विश्व धरोहर और अधिक संकट में है।
टीटीज़ेड की स्थापना और वर्तमान स्थिति:
1998 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद टीटीज़ेड ऑथोरिटी का गठन हुआ था। इसका उद्देश्य आगरा और उसके आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण को नियंत्रित करना था। इसके बावजूद, स्थिति में अपेक्षित सुधार नहीं हुआ।
ज्ञापन में कहा गया है कि टीटीज़ेड ने अब तक जो भी योजनाएं लागू की हैं, उनके परिणामों का विश्लेषण करने की आवश्यकता है। योजनाओं की पारदर्शिता और उनकी प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए डिटेल्ड सोशल ऑडिट का सुझाव दिया गया है।
अध्यक्ष का जवाब:
टीटीज़ेड ऑथोरिटी की अध्यक्ष ऋतु माहेश्वरी ने ज्ञापन प्राप्त करने के बाद इसे गंभीरता से अध्ययन करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए समय-समय पर आवश्यक कदम उठाए जाते रहे हैं। उनके अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में प्रदूषण स्तर में कमी आई है, लेकिन सुधार की गुंजाइश बनी हुई है।
रिवर कनेक्ट कैंपेन की भूमिका:
रिवर कनेक्ट कैंपेन के सदस्य लंबे समय से यमुना नदी और आगरा के पर्यावरणीय मुद्दों पर काम कर रहे हैं। इस अभियान के तहत वे यमुना नदी की सफाई, प्रदूषण नियंत्रण, और जागरूकता बढ़ाने के लिए कई गतिविधियां आयोजित करते रहे हैं।
आगरा की शहरी गतिशीलता पर जोर:
ज्ञापन में शहरी गतिशीलता को सुधारने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया। इसमें सार्वजनिक परिवहन प्रणाली के विस्तार, सड़कों की मरम्मत, और यातायात के अनुशासन में सुधार पर जोर दिया गया है।
प्रदूषण नियंत्रण के लिए नीतिगत बदलाव:
पर्यावरणविदों का मानना है कि आगरा में प्रदूषण समस्या का स्थायी समाधान तभी संभव है जब नीतियों में आमूलचूल परिवर्तन किया जाए। उन्होंने सुझाव दिया कि:
- वाहनों की संख्या कम करना:
निजी वाहनों के स्थान पर सार्वजनिक परिवहन का उपयोग बढ़ाया जाए। - पुनः उपयोग और पुनः चक्रण:
कचरे के पुनः उपयोग और पुनः चक्रण को बढ़ावा दिया जाए। - हरित क्षेत्र विकसित करना:
शहरी क्षेत्रों में अधिक हरित स्थानों का विकास किया जाए, जिससे वायु गुणवत्ता में सुधार हो सके। - स्थानीय स्तर पर जागरूकता:
स्थानीय निवासियों को प्रदूषण के खतरों और उसके समाधान के तरीकों के बारे में शिक्षित किया जाए।
आगे का रास्ता:
आगरा की प्रदूषण समस्या को हल करने के लिए व्यापक दृष्टिकोण और ठोस नीतियों की आवश्यकता है। टीटीज़ेड ऑथोरिटी, स्थानीय प्रशासन, और नागरिक समाज को मिलकर काम करना होगा।
ज्ञापन में रेखांकित चिंताएं और सुझाव आगरा की प्रदूषण समस्या को हल करने में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकते हैं। यदि टीटीज़ेड ऑथोरिटी और अन्य संबंधित विभाग इन सुझावों को लागू करने पर ध्यान देते हैं, तो आगरा को प्रदूषण मुक्त और पर्यावरण अनुकूल शहर बनाने का सपना साकार हो सकता है।